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Land For Job Scam: ईडी का दावा- जमीन के बदले नौकरी घोटाले में 600 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत, RJD भड़की

ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिलने के दावे के साथ कई और बातें कही हैं। जैसे न्यू फ्रेंड्स कोलानी वाला 150 करोड़ रुपये का मकान महज चार लाख में खरीदा गया था। ईडी ने छापे में बड़ी संख्या में बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज मिलने का भी दावा किया।

By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Sat, 11 Mar 2023 09:08 PM (IST)
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ईडी का दावा- जमीन के बदले नौकरी घोटाले में 600 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग के मिले सबूत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली/पटना। जमीन के बदले नौकरी घोटाले में ईडी ने अभी तक 600 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिलने का दावा किया है।

ईडी के अनुसार, अपराध से बनाई संपत्तियों में से 350 करोड़ की अचल संपत्ति है, जबकि 250 करोड़ रुपये बेनामी लोगों के माध्यम से लालू यादव के परिवार के सदस्यों के पास आये थे।

ईडी के अनुसार दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कालोनी स्थित घर घोटाले की रकम से महज में चार लाख रुपये में खरीदी गई थी, जिसका बाजार मूल्य 150 करोड़ रुपये है।

ईडी के अनुसार 350 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों में 250 करोड़ की संपत्तियां पटना में हैं। वहीं न्यू फ्रेंड्स कालोनी की 150 करोड़ रुपये का मकान एबी एक्सपो‌र्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर है।

ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एजेंसी के पास इस बात के ठोस सबूत हैं कि एबी एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के मालिक बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और उनका परिवार है।

उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव इसे दिल्ली में अपने आवास के रूप में इस्तेमाल करते हैं और शुक्रवार को छापे दौरान इस मकान में उनकी मौजूदगी से यह साबित भी हो गया। जबकि इसे एबी एक्पो‌र्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालय के रूप में दिखाया गया है।

ध्यान देने की बात है कि लालू यादव की दो बेटियां चंदा यादव और रागिणी यादव एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक रह चुकी हैं।

ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि घोटाले की कमाई को सफेद बनाने के लिए मुंबई स्थित जेम्स एंड ज्वेलरी से कुछ कंपनियों का इस्तेमाल किया गया था।

शुक्रवार को इनके ठिकानों की भी तलाशी ली गई है। उनके अनुसार घोटाले से की गई अवैध कमाई और उससे बनाई गईं संपत्तियां बहुत ज्यादा हो सकती है और इन्हें कई स्थानों पर रियल इस्टेट व अन्य क्षेत्रों में निवेश किये जाने के संकेत मिल हैं।

ईडी इनका पता लगाने में जुटी है। पटना में मिली 200 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को बेनामी मालिकों, शेल कंपनियों की आड़ में छिपाया गया है।

ईडी ने इन बेनामी मालिकों, शेल कंपनियों और उनके असली मालिकों का पता लगाने में सफल रही है। इसी तरह से ग्रुप डी की नौकरियों के बदले में मात्र 7.5 लाख रुपये में लिये चार जमीन को राजद के पूर्व विधायक सैयद अबु दोजाना को 3.5 करोड़ में बेचा गया।

राबड़ी देवी ने इसका अधिकांश हिस्सा तेजस्वी यादव को ट्रांसफर कर दिया था, इसके भी सबूत मौजूद हैं। ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए रेलवे के कई जोन में हुई नियुक्तियों में 50 फीसद लोग लालू यादव और उनके परिवार के क्षेत्रों से जुड़े होने का पता चला है।

इनकी अलग से जांच की जा रही है। ईडी के अनुसार शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर, पटना, रांची और मुंबई में मारे गए छापे में कुल एक करोड़ रुपये नकद बरामद किये गए।

इसके साथ ही 1.25 करोड़ रुपये की 1.5 किलो सोने की ज्वेलरी, 1900 अमेरिकी डालर और 540 ग्राम सोने के बिस्किट भी बरामद किये गए। इसके अलावा छापे में बड़ी संख्या में बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज भी मिले हैं, जिनकी पड़ताल की जा रही है।

सीबीआइ के पास दूसरी बार भी नहीं पहुंचे तेजस्वी यादव

उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सीबीआइ के दूसरे समन के बावजूद सीबीआइ के सामने पूछताछ के लिए नहीं पहुंचे। उन्हें शनिवार को बुलाया गया था।

लेकिन तेजस्वी ने अपनी पत्नी की तबीयत खराब होने और उनके चेकअप में व्यस्त होने का हवाला देते हुए असमर्थता जताई।

इसके पहले सीबीआइ ने चार मार्च को तेजस्वी को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन उस समय भी उन्होंने व्यस्त होने का हवाला देकर आने में असमर्थता जताई थी।

ईडी तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही: राजद

ईडी द्वारा लालू प्रसाद के परिजनों के यहां की गई छापेमारी के बाद शनिवार को संपत्तियों के बारे में जो सूची जारी की गई, उस पर राजद ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

राजद के प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि ईडी द्वारा तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। अपने गलत कारनामों पर पर्दा डालने के लिए ईडी द्वारा गलत तरीके से तथ्य पेश किए जा रहे हैं।

उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव की छवि को प्रभावित करने को लेकर भाजपा द्वारा पूर्व से तैयार स्क्रिप्ट को ईडी ने जारी कर दिया है।

ईडी के बयान की भाषा, दर्शाए गए तथ्य और जारी की गई तस्वीर यह बता रहे कि तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है।

राजनीतिक प्रतिशोध में नौ वर्षों बाद प्राथमिकी दर्ज की गई, जबकि सीबीआइ को इस मामले में कोई साक्ष्य नहीं मिला था।

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