बिहार के वोटरों के लिए बदलेंगे मतदान केंद्र, बूथों की संख्या भी घटेगी; चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में बड़ा फेरबदल
बिहार में आगामी चुनाव से पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण हो रहा है जिससे कई मतदाताओं के मतदान केंद्र बदलेंगे। बूथों का पुनर्गठन मृतकों और पलायन कर चुके लोगों के नाम हटाने जैसे कारणों से बदलाव हो रहा है। एक बूथ पर मतदाताओं की संख्या भी 1500 से घटाकर 1200 की जा रही है। शहरी क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अपार्टमेंट में भी मतदान केंद्र बनाए जाएंगे।

राज्य ब्यूरो, पटना। विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा कराए जा रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के कारण बड़ी संख्या में लोगों के मतदान केंद्र का पता बदलेगा।
इसकी वजह बूथों का पुनर्गठन, मृत मतदाताओं, दोहरे मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) वाले और स्थायी रूप से पलायन कर चुके मतदाताओं के नाम सूची से हटाना और नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में शामिल करना है। साथ ही, प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की संख्या 1500 से घटाकर 1200 किए जाने के कारण भी यह बदलाव संभव है।
आयोग ने इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी है। हालांकि, इस बदलाव को 90712 बूथों तक ही सीमित रखने की पहल की जा रही है। लेकिन जरूरत के हिसाब से इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
गौरतलब है कि अब तक जिन 65 लाख 64 हजार 75 मतदाताओं के नाम प्रारूप सूची से हटाए गए हैं, उनमें से 22 लाख 34 हजार की मृत्यु हो चुकी है। साथ ही, 36 लाख 28 हज़ार लोग स्थायी रूप से अपना स्थान छोड़ चुके हैं, जबकि सात लाख मतदाताओं के नाम एक से अधिक क्षेत्रों की मतदाता सूची में दर्ज हैं।
एक बूथ पर सिर्फ़ 1200 मतदाता
आयोग ने यह भी निर्णय लिया है कि अब एक बूथ सिर्फ़ 1200 मतदाताओं के लिए होगा। राज्य में वर्तमान में 77895 बूथ हैं, जो पहले 1500 मतदाताओं के मानक पर बनाए गए थे। लेकिन अब बूथों की संख्या बढ़ाकर 90,712 कर दी गई है।
इससे लोगों के लिए मतदान सरल और आसान हो जाएगा। देश के शहरी क्षेत्रों में गिरते मतदान प्रतिशत को देखते हुए, भारत निर्वाचन आयोग ने अब अपार्टमेंट परिसरों और आवासीय कॉलोनियों के भीतर मतदान केंद्र स्थापित करने का निर्देश दिया है। यह निर्णय बिहार जैसे राज्यों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहाँ अपार्टमेंट संस्कृति तेज़ी से बढ़ रही है।
शहरीकरण को बढ़ावा देने की पहल के कारण, अब नगरपालिका क्षेत्रों की संख्या 261 तक पहुँच गई है। पटना के अपार्टमेंट में रहने वाले लाखों मतदाता अक्सर बूथ की दूरी और लंबी कतारों के कारण मतदान करने से कतराते हैं।
2024 के केएपी सर्वेक्षण के अनुसार, 6.3 प्रतिशत मतदाताओं ने दूरी को वोट न देने का कारण बताया, जबकि 2.4 प्रतिशत मतदाताओं ने लंबी कतारों का हवाला दिया। अब आयोग की नई रणनीति से यह दूरी भी कम होगी और कतारें भी।
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