Dussehra 2025 : पटना में दशहरे का अनोखा नजारा, जलकर नहीं गलकर मर गया रावण, लोग मायूस
पटना के गांधी मैदान में इस साल रावण दहन का कार्यक्रम बारिश के कारण अधूरा रह गया। लोग रावण के पुतले को जलते देखने के लिए उत्साहित थे लेकिन बारिश ने विघ्न डाल दिया। रावण का पुतला जलने की बजाय गलकर गिर गया जिससे लोग निराश हो गए।दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

डिजिटल डेस्क, पटना। पटना के गांधी मैदान में इस साल दशहरे के मौके पर रावण दहन का कार्यक्रम कुछ अलग ही अंदाज में खत्म हुआ। हर साल की तरह इस बार भी लोग रावण के पुतले को जलते देखने के लिए बेताब थे।
गांधी मैदान में हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे, हर कोई इस पल का गवाह बनना चाहता था। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक, सभी इस साल के रावण दहन कार्यक्रम के लिए बहुत उत्साहित थे। रावण के पुतले के दहन को देखने के लिए सब बेसब्र थे, जैसे कि यह एक अद्भुत नजारा हो जिसे हर कोई अपनी आंखों से देखना चाहता है।
लेकिन अचानक हुई तेज बारिश ने सबको मायूस कर दिया। रावण दहन के कार्यक्रम के अंतिम चरण में जब पुतले को जलाने का वक्त आया, तभी जोरदार बारिश शुरू हो गई। बारिश ने इस पूरे आयोजन पर जैसे ग्रहण लगा दिया। नतीजा यह हुआ कि रावण का पुतला जलकर नहीं, बल्कि गलकर गिर गया। यह देखकर वहां मौजूद लोगों के चेहरों पर मायूसी छा गई। लोग जो इस पल का इंतजार कर रहे थे, उनकी उम्मीदें जैसे धरी रह गईं।
बारिश के बावजूद गांधी मैदान में लोगों की भीड़ में कोई खास कमी नहीं आई थी। सबको इस पल का इंतजार था कि रावण का पुतला जलाया जाएगा, लेकिन जब लोगों को पता चला कि रावण दहन के कार्यक्रम पर ग्रहण लग गया है तो लोग बहुत निराश हुए। बच्चे, बूढ़े, जवान... सभी मायूस होकर अपने घर लौटने लगे। गांधी मैदान का वह माहौल, जो उत्साह और उमंग से भरा होना चाहिए था, अचानक उदासी में बदल गया।
दशहरा तो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है और यह माना जाता है कि रावण का दहन करके हम सभी बुराइयों को खत्म कर रहे हैं। पूरे देश में दशहरे का त्योहार बहुत ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन पटना में इस साल मौसम ने जैसे सबकुछ उलट-पुलट कर दिया।
यह देखना दिलचस्प है कि कैसे प्रकृति का एक छोटा सा हस्तक्षेप, यानी अचानक हुई बारिश, ने इस पूरे आयोजन का मिजाज बदल दिया। आयोजकों के लिए भी यह एक चुनौती बन गई क्योंकि पुतले को जलाना मुश्किल हो गया था। लोगों की उम्मीदें धरी रह गईं और सबको निराशा हाथ लगी। लोग उदास होकर अपने घर लौट गए।
कुल मिलाकर, पटना के गाँधी मैदान में इस साल का रावण दहन कार्यक्रम मौसम की मार के कारण लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। वैसे, दशहरा तो हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने का मौका देता है, शायद अगले साल सब कुछ धूमधाम से हो!
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