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Durga Puja 2022: बिहार में माता सती से जुड़े कई शक्तिपीठ, सबसे जुड़ी हैं अलग-अलग मान्‍यताएं

Durga Puja 2022 दशहरा के साथ बुधवार को दुर्गापूजा संपन्‍न हो जाएगी। इस दौरान माता के मंदिरों व पूजा पंडालों में श्रद्धालु उमड़ते दिखे। खासकर माता सती से जुड़े शक्तिपीठों में आस्‍था का जन-सैलाब उमड़ पड़ा। आइए जानते हैं इन शक्तिपीठों से जुड़ीं मान्‍यताएं।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 04 Oct 2022 08:19 PM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 11:01 PM (IST)
Durga Puja 2022: बिहार में माता सती से जुड़े कई शक्तिपीठ, सबसे जुड़ी हैं अलग-अलग मान्‍यताएं
Durga Puja 2022: सहरसा का मां उग्रतारा शक्तिपीठ एवं पटना का बड़ी पटनदेवी मंदिर (इनसेट- मंदिर में उमड़े श्रद्धालु)।

पटना, आनलाइन डेस्‍क। Durga Puja 2022: नवरात्रि (Navratri) का आज नौवां दिन है। बुधवार को दशहरा (Dussehra) के साथ दुर्गा पूजा संपन्‍न हो जाएगा। इस दौरान मां की पूजा के लिए मंदिरों व पूजा पंडालों में जन-सैलाब उमड़ता दिखा। खासकर माता के शक्तिपीठों में।

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बिहार में मां के कई प्रसिद्ध शक्तिपीठ (Maa Durga Shaktipeeth) मंदिर हैं और सबों से अलग-अलग मान्यताएं जुड़ी हैं। दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) के अनुसार जब माता सती ने अपना प्राण हवन कुंड में त्याग दिए थे, तब भगवान शिव (Lord Shiva) सती के शरीर को कंधे पर लेकर तांडव (Tandav) करने लगे थे। भगवान शिव को ऐसे करने से रोकने के लिए भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने चक्र चलाकर देवी सती के कई टुकड़े कर दिए। जिन स्थानों पर माता सती के अंग और आभूषण गिरे, वे ही शक्तिपीठ कहलाए। माता सती के कुछ अंग और आभूषण बिहार में भी हैं।

बड़ी व छोटी पटनदेवी (पटना)

सबसे पहले बात बिहार की राजधानी पटना की। पटना के महाराजगंज में बड़ी पटनदेवी शक्तिपीठ स्थित है। मान्‍यता है कि इस जगह सती के शरीर से दाहिनी जंघा गिरी थी। पटना के ही हाजीगंज क्षेत्र में छोटी पटनदेवी शक्तिपीठ है। मान्यता है कि यहां देवी सती के पट और वस्त्र गिरे थे।

मां शीतला मंदिर (नालंदा)

बिहारशरीफ से पश्चिम एकंगरसराय पथ पर मघरा गांव में प्राचीन शीतला मंदिर शक्तिपीठ है। यहां सती के हाथ से कंगन गिरा था।

मां मंगला गौरी मंदिर (गया)

गया-बोधगया मार्ग पर भस्मकुट पर्वत है, जहां मां मंगला गौरी शक्तिपीठ है। माना जाता है कि यहां देवी सती का स्तन गिरा था।

चामुंडा मंदिर (नवादा)

नवादा-रोह-कौआकोल मार्ग पर रुपौ गांव में चामुंडा शक्तिपीठ है। कहा जाता है कि यहां देवी सती का सिर गिरा था।

मां चंडिका स्‍थान (मुंगेर)

मुंगेर में गंगा तट पर मां चंडिका देवी के मंदिर को शक्तिपीठ का दर्जा प्राप्‍त है। कहते हैं कि यहां माता सती की दांयीं आंख गिरी थी।

उग्रतारा स्थान (सहरसा)

सहरसा से 17 किमी दूर महिषी में उग्रतारा शक्तिपीठ है। मान्‍यता है यहां देवी सती की बायीं आंख गिरी थी।

धीमेश्वर स्थान (पूर्णिया)

पूर्णिया के बनमनखी प्रखंड के धीमेश्वर स्थान में छिन्नमस्ता देवी का मंदिर है। यह शक्तिपीठों में शुमार है।

अंबिका भवानी (सारण)

छपरा- पटना मुख्य मार्ग पर आमी स्थित अंबिका भवानी मंदिर को शक्तिपीठ माना जाता हैं।

मां ताराचंडी (रोहतास)

सासाराम से करीब छह किमी दूर कैमूर पहाड़ी की गुफा में मां ताराचंडी मंदिर है, जो देश के 51 शक्तिपीठों में एक माना जाता है।


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