Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भयानक था मौत का वो मंजर, उड़कर खेतों में जा रहे थे कटे अंग

    By Amit AlokEdited By:
    Updated: Tue, 22 Nov 2016 11:11 PM (IST)

    दुर्घटनाग्रस्त इंदौर-पटना एक्सप्रेस में सफर कर रहीं डॉ. क्षिप्रा द्विवेदी ने मौत का वो मंजर करीब से देखा। वे बताती हैं कि इंसानों के कटे अंग उड़कर पास ...और पढ़ें

    Hero Image

    पटना [जेएनएन]। दुर्घटनाग्रस्त इंदौर-पटना एक्सप्रेस में यात्रा कर रहीं डॉ. डाॅ. क्षिप्रा द्विवेदी का ठीक जन्मदिन पर मौत से साक्षात्कर हुआ। एक तरह से यह उनका पुनर्जन्म है। ट्रेन हादसे में 14 डिब्बे तहा-नहस हो गए, लेकिन उनका बाल भी बांका नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि मौत का वो मंजर भयानक था। लोगों के कटे अंग उड़कर खेतों में जा रहे थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ट्रेन दुर्घटना में बचे ऐसे यात्रियों में क्षिप्रा भी शामिल हैं, जिन्होंने मौत को करीब से देखा। वे भोपाल में ट्रेन के एस 1 कोच में सवार हुईं थीं। उन्हें आजमगढ़ जाना था।

    डॉ. क्षिप्रा बताती हैं, ''अचानक बोगी टुकड़ों में बंट गई। इसके बाद बोगियां पलटने और एक-दूसरे पर चढ़ने लगीं।'' उन्होंने बताया कि दुर्घटना के वक्त वे जगी थीं, लेकिन अन्य यात्री नींद में थे। सबी मौत नींद में ही आ गई।

    उन्होंने बताया कि डॉक्टर होने के बावजूद लोगों को इस तरह मरते नहीं देखा था। बोगी के लोगों के कटे अंग उड़कर पास के खेतों तक जा रहे थे। बताया कि करीब एक घंटे तक लोग इसी हालत में पड़े रहे। इसके बाद स्थानीय ग्रामीणों ने मदद की। फिर, पुलिस व एनडीआरएफ की टीम भी पहुंची।

    डॉ. क्षिप्रा की दोस्त बिहार की डॉ. वीणा ने बताया कि यह पुनर्जन्म से कम नहीं। फिर बोलीं, ''जाको राखे सरइयां, मार सके ना कोय।''