दिनकर सुलभ पुरस्कार से सम्मानित होंगी डॉ. शांति जैन
गोवा की राज्यपाल ने शांति जैन की पांच पुस्तकों का किया विमोचन। पांच पुस्तकों में तीन पुस्तक है
गोवा की राज्यपाल ने शांति जैन की पांच पुस्तकों का किया विमोचन
पांच पुस्तकों में तीन पुस्तक हैं लोक गीतों पर आधारित
जागरण संवाददाता, पटना - लोक साहित्य जगत में डॉ. शंाति जैन का योगदान सराहनीय है। पौराणिक चरित्रों पर आधारित इनके उपन्यासों ने साहित्य जगत में एक विशेष पहचान बनाई है। ये बातें गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कहीं। मौका था वातायन की ओर से वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शांति जैन की पांच पुस्तकों के विमोचन का।
तरन्नुम, समय का स्वर, एक कोमल क्रांतिवीर के अंतिम दो वर्ष, तुतली बोली के गीत एवं व्रत त्योहार कोश आदि पुस्तकों का लोकार्पण पद्भूषण डॉ. बिन्देश्वर पाठक, बिहार राज्य फिल्म निगम के गंगा कुमार, पूर्व आइएएस अधिकारी जियालाल आर्य ने किया। गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कहा कि डॉ. शांति जैन ने लोक साहित्य के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सानिध्य को डायरी के रूप में उतार कर शांति ने लोकनायक के जीवन को एक अलग पहलू को जीवंत किया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए सुलभ इंटरेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने पुस्तकों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शांति ने अपने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव देखते हुए साहित्य एवं संगीत समाज में अपना विशेष स्थान बनाया। पाठक ने अगले वर्ष दिनकर सुलभ पुरस्कार के रूप में पांच लाख रुपये देने की घोषणा की। पूर्व आइएएस जियालाल आर्य एवं बिहार राज्य फिल्म निगम के गंगा कुमार ने डॉ. शांति जैन की रचनाओं की सराहना करते हुए और रचनाएं प्रकाशित करने की बात कही। पुस्तक पर सार संक्षेप व्यक्त करते हुए शांति जैन ने कहा पांच पुस्तकों में तीन पुस्तकें लोक गीतों पर आधारित हैं। तुतली बोली के गीत पुस्तक में बच्चों के गीत को रखा गया है वही व्रत त्योहार कोश में बिहार में होने वाले व्रत-त्योहार को मुख्य रूप से प्रकाशित किया गया है। एक कोमल क्रांतिवीर के अंतिम दो वर्ष में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जीवन के अंश को बयां किया है। पुस्तक लोकार्पण पर डॉ. जैन ने 'पिया की हवेली में तो चली री अकेली' को पेश कर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की शवयात्रा की याद दिला दी। इस गीत को दूरदर्शन पर भी प्रसारित किया गया था। कार्यक्रम का संचालन उर्दू के कथाकार डॉ. शाहिद जमील, धन्यवाद ज्ञापन वातायन के निदेशक राजेश शुक्ला ने किया। मौके पर साहित्य जगत से जुड़े कई गणमान्य मौजूद थे।
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