ACS सिद्धार्थ में दिखा KK Pathak वाला रूप! अधिकारियों और शिक्षकों में मचा हड़कंप; दे दी चेतावनी
बिहार के सरकारी स्कूलों में छात्रों के फर्जी नामांकन और फर्जी उपस्थिति का मामला सामने आया है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र लिखकर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो दोषियों के खिलाफ निलंबन से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्रवाई होगी।

राज्य ब्यूरो, पटना। सरकार की सख्ती के बावजूद राज्य के सरकारी विद्यालयों में अब भी छात्र-छात्राओं के फर्जी नामांकन और फर्जी उपस्थिति दर्ज हो रही है। इस मामले में प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों की मिलीभगत सामने आई है। जबकि हर माह सभी सरकारी विद्यालयों के निरीक्षण में जिला और मुख्यालय के पदाधिकारियों की ड्यूटी लगायी जा रही है। जाहिर है, इतने बड़े फर्जीवाड़े काे निरीक्षण में नहीं पकड़ पाने वाले लापरवाह पदाधिकारी भी जिम्मेदार माने जा रहे हैं।
पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने मंगलवार को सभी शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र लिखकर आगाह किया है। उन्होंने कहा है कि अगर स्थिति में फैारी सुधार नहीं हुआ तो दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ निलंबन से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्रवाई होगी।
डॉ. एस. सिद्धार्थ ने पत्र में कहा है कि कुछ व्यक्तियों को गांवों के विद्यालयों के निरीक्षण हेतु भेजा गया था। इन व्यक्तियों ने विभिन्न गांवों में एक महीने रहकर विद्यालयों के संचालन के संबंध में लिखित जानकारी दी है जिसमें बड़ी संख्या में जहां एक ओर कुछ समर्पित शिक्षकों के प्रयत्न से विद्यालयों में सुधार आने की जानकारी दी है, वहीं दूसरी ओर कुछ लापरवाह शिक्षकों द्वारा विद्यालयों के सुचारू संचालन में धोखाधड़ी किए जाने की भी सूचना मिली है। बच्चों की उपस्थिति की फर्जी संख्या रहे हैं। इसमें प्रधानाध्यापकों की भी मिलीभगत है। यह निरीक्षण रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारियों ने बनायी है। इतना ही नहीं, विद्यालय के पास रहने वाले शिक्षक शिक्षण कार्य में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
अपर मुख्य सचिव ने निरीक्षी पदाधिकारियों को भी आगाह करते हुए कहा है कि निरीक्षण से संबंधित स्पष्ट निर्देश के बावजूद निरीक्षण व्यवस्था में इतनी त्रुटि गंभीर मामला है। निरीक्षी पदाधिकारी किसी भी विद्यालय में त्रुटि पाते हैं तो इसकी सूचना जिला शिक्षा पदाधिकारी को देंगे जो इस पर कार्रवाई करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। यह माना जाता है कि इस लापरवाही में निरीक्षी पदाधिकारियों की भी मिलिभगत है। सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को भी आगाह किया जाता है कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो आपको जवाबदेह मानते हुए आपके विरूद्ध विभागीय कार्रवाई होगी।
जांच रिपोर्ट के महत्वपूर्ण बिंदु-
- कुछ विद्यालयों में प्रधानाध्यापक और शिक्षकों द्वारा छात्र-छात्राओं की फर्जी उपस्थिति अभी भी लगायी जा रही है। यह दिखाया जा रहा है कि 50 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थी उनके विद्यालय में उपस्थित हैं, जबकि वास्तव में देखा जाए तो 50 प्रतिशत से भी कम विद्यार्थी उपस्थित हैं।
- ऐसे विद्यालयों में काफी अधिक विद्यार्थी नामांकित हैं, जबकि नियमित दिनों में छात्रों की उपस्थिति अत्यंत ही कम होती है। इससे स्पष्ट है कि विद्यालय में बच्चे नियमित रूप से नहीं आ रहे हैं एवं अन्यत्र निजी विद्यालयों एवं कोचिंग संस्थानों में नामांकित हैं। ये बच्चे केवल विद्यालय में उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए परीक्षा के दिन उपस्थित हैं।
- कुछ शिक्षकों की रूचि कक्षा के सुचारू संचालन में नहीं है। उनका मूल उद्देश्य यह नहीं है कि बच्चे पढ़ें, बल्कि उनका उद्देश्य केवल यह रहता है कि उनकी उपस्थिति समय पर लग जाए यानी कक्षाएं संचालित करने की अपेक्षा उपस्थिति बनाए रखने पर अधिक जोर है।
- कुछ शिक्षक सुबह नौ बजे से अपराह्न चार बजे के बीच अनुपस्थित रहते हैं। ये शिक्षक विद्यालय आते हैं तथा कुछ कक्षाएं लगाने के बाद निजी कामों से चले जाते हैं तथा मात्र अपनी उपस्थिति दर्ज करने हेतु वापस विद्यालय आते हैं, जो धोखाधड़ी है।
- कुछ शिक्षक जो अपने घरों के पास पदस्थापित हैं। वे शिक्षण कार्य हेतु काफी कम समय देते हैं और मात्र उपस्थिति दर्ज करने के उद्देश्य से विद्यालय आते हैं। उन्हें पठन-पाठन कार्य से कोई लेना-देना नहीं है।
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