शरीर में सूजन को न लें हल्के में, हो सकती है गंभीर बीमारी, सावधानी बरतने की जरूरत
यदि आपके शरीर के किसी भाग में सूजन आ रहे है तो तो इसे हल्के में लेने की जशरत नहीं है। होसकता है कि आप किसी ौंभीर बीमारी से ग्रसित हो। इसलिए समय रहते चिकित्सक से मिलकर इसका इलाज कराने में ही फायदा है।
पटना [जेएनएन]। हृदय संबंधी बीमारी पूरी दुनिया में बढ़ती जा रही है। इसके कई कारण चिकित्सा विज्ञान ने खोजी हैं। बढ़ती उम्र और वंशानुगत कारणों को अगर छोड़ दिया जाए तो अधिकतर कारण उच्च रक्तचाप, मधुमेह, तंबाकू का सेवन, मोटापा आदि को बताया गया है। इन कारणों पर हम अपनी इच्छाशक्ति से रोक लगा सकते हैं।
ज्यादातर बीमारियां इलाज नहीं कराने के कारण इस स्तर तक पहुंच जाती हैं कि इनमें कुछ खास नहीं किया जा सकता है। परेशानी की बात यह हैं कि लोग उन्हें समय रहते पहचान नहीं पाते और उनकी गंभीरता को नहीं समझ पाते। आम लोगों के लिए यह जानना बहुत जरूरी हैं कि हृदय संबंधी बीमारी के क्या-क्या लक्षण हैं। जिससे वो समय रहते अपनी बीमारी को पहचाने और अपने चिकित्सक से सलाह लें। उक्त बातों की जानकारी डॉ. विकास सिंह, डीएम कॉर्डियोलॉजी ने दी।
शरीर में सूजन आने के कुछ आम वजहों में हृदय रोग भी है। अन्य वजहों में लीवर की गड़बड़ी गुर्दो में परेशानी, थायरॉयड की कमी एवं खून की कमी जैसे वजह शामिल है।
हृदय रोग से संबंधित सूजन सबसे पहले घुटनों के नीचे पैरों में दिखती है। ज्यादातर यह दिन बीतने के साथ दिखता हैं और सुबह सोकर उठने के बाद गायब या कम हो गया दिखता है। थायरॉयड कमी से हुआ सूजन पूरे शरीर में दिखता है। गुर्दो की परेशानी से आया सूजन सबसे पहले आंखों के चारों ओर और चेहरे पर सुबह जागने के पश्चात दिखता हैं जबकि लीवर की परेशानी की परेशानी से होने वाला सूजन पेट में सबसे अधिक दिखता है। लंबे समय तक बैठने या खड़े रहने से कई बार स्वस्थ्य लोगों के पैरों में भी सूजन आ सकता है। अगर आपके शरीर में सूजन आता तो कतई हल्के में न लें। यह आगे की परेशानी को इंगित कर रहा है।
सीने में दर्द, दबाव या भारीपन का महसूस होना हृदय संबंधित बीमारियों का लक्षण हो सकता है। कुछ लोगों में यह केवल तब होता हैं जब वो खाने के बाद चलते हैं। या फिर जब सीढ़ी चढ़ते हैं या दौड़ते हैं। ऐसे में थोड़ा आराम कर लेने से अथवा जीभ के नीचे नाइट्रेट दवा रखने से उन्हें तत्काल आराम मिल जाता है। इस स्थिति को ऐंजाइना के नाम से भी जाना जाता है। अगर यहीं परेशानी आराम के दौरान हो या पहले से ज्यादा तेज हो या 5-10 मिनट से ज्यादा के लिए रहे तो यह हार्ट अटैक भी हो सकता है।
सीने की परेशानी कई बार जबड़ों अथवा बांहों की ओर से भी आता हैं। ऐसा मना जाता है कि यदि दर्द जबड़ों के ऊपर या नाभी के नीचे हो तो हृदय संबंधिक बीमारी होने की आशंका कम रहती है। कई बार डायबिटीज के मरीजों में या उम्रदराज लोगों में दर्द महसूस नहीं होता। कई बार तो यह दर्द न होकर कुछ अजीब सी बेचैनी घबराहट, बेवजह पसीना आना या सांस फूलने के तौर पर प्रस्तुत करता है।
सांस फूलने की कई वजहें हो सकती है। इसमें सबसे आम हैं मोटापा और चलने-फिरने की आदत नहीं होना। आज भी बहुत से लोगों को यह लगता हैं कि सांस फूलने का केवल मतलब है दमा या फिर फेफड़ों में कोई परेशानी होना जो कि बिल्कुल गलत है। हृदय की बीमारी भी सांस फूलने के तौर पर प्रस्तुत कर सकती है। आम तौर पर अगर आपकी सांस मौसम के बदलने या धूल आदि के संसर्ग में आने से फूलती हैं परेशानी सुबह उठने के समय ज्यादा लगती हैं, साथ में बलगम आता हो, सांस में सीटी की तरह आवाज आती हैं या परिवार में और लोगों में अस्थमा की परेशानी का पता हैं तो फेफड़े की परेशानी होने का अंदेशा ज्यादा है। यह समझना जरूरी हैं कि फेफड़े की परेशानी भी आगे चलकर हृदय पर असर डाल सकती है। इसलिए अगर आपको सांस फूलने की तकलीफ हैं तो निस्संदेह जल्दी से चिकित्सक से मिलना चाहिए। कई बार हृदय एवं फेफड़ों की समस्या एक साथ हो सकती है। इसलिए इस बात का ख्याल रखें कि आपके हृदय की भी जांच जरूर हो जाएं।
हृदय 24 घंटे धड़कता हैं, लेकिन हमारा ध्यान इस पर नहीं जाता। अगर यह इतनी तेज या इतने जोरों से धड़के कि आपका ध्यान अपनी ओर खींचे तो इसे ही धड़कन महसूस होना या मेडिकल टर्म में पालपिटेशन कहते है। ऐसा तब भी होता जब दिल की धड़कन किसी वजह से अनियमित हो जाएं।
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