बिहार में दीपावली पर जश्न के बीच जख्म, दो दिन में पटाखों से 80 से अधिक लोग हुए घायल
पटना में दीपावली के जश्न के दौरान पटाखे और दीयों से हुए हादसों में 80 से अधिक लोग घायल हो गए। एम्स, पीएमसीएच और आइजीआइएमएस में घायलों की भीड़ रही। एम्स में एक युवक की अंगुली काटनी पड़ी। नेत्र विभाग में बारूद से झुलसे 15 मरीज पहुंचे। अस्पताल प्रबंधन ने किसी की मृत्यु होने से इनकार किया है।

दो दिन में पटाखों से 80 से अधिक लोग हुए घायल
जागरण संवाददाता, पटना। दीपावली की रोशनी और जश्न के बीच पटना में कई घरों की खुशियां मातम में बदल गईं। पटाखों और दीयों के कारण हुए हादसों में बीते दो दिनों के दौरान 80 से अधिक लोग घायल हो गए। शहर के प्रमुख अस्पतालों एम्स, पीएमसीएच, आइजीआइएमएस में देर रात तक मरीजों की भीड़ लगी रही। इनमें कई को भर्ती करना पड़ा, जबकि कुछ को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।
एम्स में युवक की हुई प्लास्टिक सर्जरी, अंगुली काटनी पड़ी
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), पटना में एक गंभीर मामला सामने आया, जहां एक युवक पटाखे की चपेट में आकर दोनों हाथों से गंभीर रूप से घायल हो गया। प्लास्टिक सर्जरी विभाग की प्रमुख डा. वीणा सिंह ने बताया कि युवक की सर्जरी की गई, इसमें एक अंगुली काटनी पड़ी। दीपावली के दौरान अस्पताल में पटाखों से घायल लगभग 30 मरीज पहुंचे, जिनमें से छह को भर्ती कर इलाज किया गया।
पीएमसीएच और आइजीआइएमएस में दर्जनों घायल पहुंचे
सोमवार देर रात पीएमसीएच में पटाखों और दीयों की चपेट में आए 15 मरीज पहुंचे। इनमें एक महिला के कपड़े दीए की आग से जल गए, जिन्हें भर्ती कर इलाज किया गया। अधीक्षक डा. आईएस ठाकुर ने बताया कि बाकी मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। वहीं, आइजीआइएमएस में भी देर रात 11 घायल पहुंचे, इनमें से अधिकतर को पटाखों से हाथ, चेहरा और अन्य अंगों पर चोटें आई थीं।
नेत्र विभाग में बारूद से झुलसे 15 लोग पहुंचे
पीएमसीएच और आइजीआइएमएस के नेत्र रोग विभाग में पटाखों की चिंगारी और बारूद आंखों में चले जाने से कुल 15 मरीज इलाज के लिए पहुंचे। इनकी उम्र 8 से 40 वर्ष के बीच थी। डाक्टरों के अनुसार, कुछ मामलों में आंखों की रोशनी पर भी असर पड़ा है, लेकिन समय रहते इलाज शुरू कर दिया गया।
जलने से मौत की पुष्टि नहीं
हालांकि अस्पताल प्रबंधन की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि किसी भी मरीज की मृत्यु नहीं हुई है। अधिकांश मामलों में मामूली झुलसना, चोट लगना या आंखों में जलन की शिकायत थी, जिनका तत्काल इलाज किया गया।
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