पटना के बिक्रम सीट पर महागठबंधन में तकरार, कांग्रेस, भाकपा और माले आमने-सामने
पटना जिले के बिक्रम विधानसभा सीट को लेकर महागठबंधन में रस्साकशी चल रही है। कांग्रेस भाकपा और भाकपा (माले) तीनों ही इस सीट पर अपना दावा कर रही हैं। कांग्रेस जहां अपनी सीट बचाने की कोशिश में है वहीं भाकपा अपने पुराने दबदबे की बात कर रही है। माले भी अपनी दावेदारी पेश कर रही है।

विद्या सागर, पटना। पटना जिले की बिक्रम विधानसभा सीट को लेकर महागठबंधन के भीतर खींचतान तेज हो गई है। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में यह सीट कांग्रेस के खाते में रही, लेकिन इस बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और भाकपा (माले) ने भी इस सीट पर दावा ठोक दिया है।
कांग्रेस से लगातार दो बार विधायक रहे सिद्धार्थ, 2022 में पार्टी छोड़कर एनडीए खेमे में शामिल हो गए। अब वे भाजपा का झंडा लेकर मैदान में सक्रिय हैं। ऐसे में कांग्रेस को यहां नए चेहरे की तलाश है। कांग्रेस में कई दावेदार सामने आ चुके हैं, लेकिन पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि पहले सीट को महागठबंधन में अपने खाते में सुरक्षित रखे।
भाकपा ने राज्य स्तर पर महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव को 24 सीटों की सूची सौंपी है, जिसमें बिक्रम भी शामिल है। भाकपा का दावा है कि 1980 से 1995 तक पार्टी के दिग्गज नेता रामनाथ यादव इस सीट से लगातार जीत दर्ज करते रहे हैं। हालांकि 2000 के बाद से भाकपा के उम्मीदवार यहां चुनाव लड़ते रहे लेकिन सफलता नहीं मिली।
वहीं, भाकपा (माले) ने भी तेजस्वी यादव को 40 सीटों की सूची दी है। इसमें पटना जिले की चार सीटें — बिक्रम, फुलवारी, पालीगंज और दीघा शामिल हैं। माले ने 2020 में फुलवारी और पालीगंज सीट जीती थी और दीघा से चुनाव लड़ा था। इस बार माले विक्रम को भी अपने हिस्से में शामिल करना चाहती है।
भाकपा के जिला सचिव विश्वजीत कुमार ने कहा कि पटना जिले में पार्टी को कम से कम एक सीट चाहिए। “हमने बिक्रम, फुलवारी, कुम्हरार और दीघा सीट का प्रस्ताव भेजा था। राज्य पार्टी ने विक्रम सीट को महागठबंधन के लिए प्राथमिकता दी है।”
भाकपा (माले) के जिला प्रभारी अमर जी ने कहा कि तीन सीटें पहले से हमारे पास हैं, लेकिन विक्रम पर भी हम गंभीरता से तैयारी कर रहे हैं। इसलिए हमने इसे सूची में शामिल किया है।
कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सुमित कुमार सन्नी ने कहा कि बिक्रम कांग्रेस पार्टी की सीट है। यहां हमारी तैयारी चल रही है। दावा करने वाले कुछ भी करते रहें।
कुल मिलाकर, विक्रम विधानसभा सीट पर महागठबंधन के भीतर तीन दलों कांग्रेस, भाकपा और माले के बीच जोरदार खींचतान हो रही है। कांग्रेस जहां अपने पुराने जनाधार और दावेदारों के सहारे सीट बचाने में लगी है, वहीं भाकपा अपने ऐतिहासिक आधार की दुहाई दे रही है। दूसरी ओर, माले 2020 की उपलब्धियों को आधार बनाकर एक अतिरिक्त सीट हासिल करने के प्रयास में है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि सीट बंटवारे की राजनीति में विक्रम किस दल की झोली में जाती है।
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