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    उपेंद्र कुशवाहा के दल छोड़ने की चर्चा पर नीतीश कुमार बोले- सभी को कहीं भी आने जाने का अधिकार

    जदयू संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के दूसरे दल में जाने की चर्चा है। इस पर नीतीश कुमार का कहना है सभी को आने-जाने का अधिकार है। कुशवाहा दिल्ली एम्स में इलाज करा रहे हैं। यहां उनका हाल जानने आने वालों में बड़ी संख्या भाजपा नेताओं की है।

    By Arun AsheshEdited By: Yogesh SahuUpdated: Sat, 21 Jan 2023 08:28 PM (IST)
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    कुशवाहा के दल छोड़ने की चर्चा पर नीतीश कुमार बोले- सभी को कहीं भी आने जाने का अधिकार

    राज्य ब्यूरो, पटना। जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा जल्द ही पार्टी से विदा हो सकते हैं। उनके दूसरे दल में जाने की चर्चाओं के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा- सभी को कहीं भी आने-जाने का अधिकार है। मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। इस प्रकरण पर कुशवाहा की कोई टिप्पणी नहीं आई है। वे नई दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती हैं, जहां तीन दिनों से उनके स्वास्थ्य की जांच चल रही है। चर्चाओं को बल इसलिए भी मिला है कि हालचाल पूछने के लिए अस्पताल जाने वालों में बड़ी संख्या भाजपा के नेताओं की है।

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    शनिवार को गया की समाधान यात्रा के दौरान पत्रकारों ने नीतीश कुमार से उपेंद्र कुशवाहा के दूसरे दल में जाने की संभावनाओं से जुड़ा सवाल किया था। इस पर नीतीश का जवाब था- आपलोग उपेंद्र कुशवाहा जी को कह दीजिए कि हमसे बात कर लें। वे तो दो-तीन बार हमें छोड़कर गए और खुद मेरे पास आए। उनकी क्या इच्छा है, मुझे नहीं मालूम है। मुझे पता चला है कि अभी उनकी तबीयत खराब है। हम बाहर हैं। उनका हालचाल ले लेंगे।

    वैसे अभी हाल ही में उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात हुई थी, तो वे पार्टी के पक्ष में ही बोल रहे थे। स्वस्थ होकर वे पटना आएंगे, तो हम उनसे पूछ लेंगे कि क्या मामला है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बिहार दौरे के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हर पार्टी को अपना कार्यक्रम करने का अधिकार है। उससे हमको कोई मतलब नहीं है। सभी पार्टियां अपना कार्यक्रम करती हैं।

    बहुत दिनों से नहीं हुई है भेंट

    उपेंद्र कुशवाहा जदयू की रीति-नीति से नाराज चल रहे हैं। तीन दिन पहले भी जब मुख्यमंत्री से उनके बारे में पूछा गया था तो यही जवाब मिला- इधर उनसे हमारी बातचीत नहीं हुई है। यह भी कि पार्टी के मामले में राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ही जवाब देते हैं। उपेंद्र को उप मुख्यमंत्री बनाने के सवाल पर मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया भी अच्छी नहीं थी, जिसमें मुख्यमंत्री ने हंसकर कहा था कि ऐसी कोई बात नहीं है। भाजपा वालों ने दो उप मुख्यमंत्री बनाया था। अभी ऐसी कोई बात नहीं है।

    अप्रसन्नता के कई कारण हैं

    संगठन के बदले संसदीय बोर्ड का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के दिन से ही उपेंद्र का जदयू में मन नहीं लग रहा है। उनके समर्थकों को उप मुख्यमंत्री या राज्य कैबिनेट में महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री बनने की उम्मीद थी। उप चुनावों में भी उनकी खास पूछ नहीं हुई। कुढ़नी उप चुनाव की हार के बाद उपेंद्र की इस टिप्पणी को भी पार्टी ने सहज भाव से नहीं लिया कि जनाधार कमजोर हुआ है। उपेंद्र ने अपने स्तर से राज्य की यात्राएं भी कीं। इस दौरान वे सरकार के कामकाज पर लोगों की राय भी ले रहे थे।

    नीतीश ने बनाया था विपक्ष का नेता

    साल 2000 में पहली बार समता पार्टी के टिकट पर विधायक बने उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कुमार ने 2003 में जदयू में विलय के बाद विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाया। वे 2005 का विधानसभा चुनाव हार गए। कुछ दिन राकांपा में रहे। फिर जदयू में शामिल होकर राज्यसभा में चले गए। बीच अवधि में उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दिया। रालोसपा के नाम से पार्टी बनाई। 2014 में अपनी ही पार्टी से लोकसभा के लिए चुने गए। मोदी मंत्रिपरिषद में राज्यमंत्री बने। 2019 का लोकसभा चुनाव वे राजद गठबंधन से लड़े और हार गए। उसके बाद रालोसपा का जदयू में विलय हो गया।