बिहारः आइपीएस राकेश दुबे व सुधीर पोरिका की बढ़ी मुश्किल, छह महीने बढ़ा निलंबन
आरा के तत्कालीन एसपी राकेश कुमार दुबे और औरंगाबाद के तत्कालीन एसपी सुधीर कुमार पोरिका को फिलहाल राहत नहीं मिलेगी। गृह विभाग ने समीक्षा के बाद दोनों आइपीएस अफसरों की निलंबन अवधि 180 दिनों यानी छह माह के लिए बढ़ा दी है।
राज्य ब्यूरो, पटना: अवैध बालू खनन में निलंबित किए गए आरा के तत्कालीन एसपी राकेश कुमार दुबे और औरंगाबाद के तत्कालीन एसपी सुधीर कुमार पोरिका को फिलहाल राहत नहीं मिलेगी। गृह विभाग ने समीक्षा के बाद दोनों आइपीएस अफसरों की निलंबन अवधि 180 दिनों यानी छह माह के लिए बढ़ा दी है। गृह विभाग ने शुक्रवार को इसका संकल्प जारी कर दिया है। संकल्प के मुताबिक सात जनवरी को निलंबन समीक्षा समिति द्वारा दोनों मामलों पर विचार किया गया। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए निलंबन अवधि को 21 जुलाई 2022 तक बढ़ाने की अनुशंसा की गई है।
27 जुलाई को हुए थे निलंबित
दोनों आइपीएस अफसर राकेश दुबे और सुधीर कुमार पोरिका 27 जुलाई को तत्काल प्रभाव से निलंबित किए गए थे। इसकी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजते हुए निलंबन को संपुष्ट करने का अनुरोध किया गया था। गृह मंत्रालय द्वारा निलंबन अवधि को 60 दिनों के लिए पुष्ट किया गया जो 24 सितम्बर तक थी। इससे पहले सितंबर में ही निलंबन अवधि 120 दिनों के लिए बढ़ाई गई थी जो 22 जनवरी को समाप्त हो रही थी जिसे अगले 180 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया।
संपत्ति जांच के साथ चल रही विभागीय कार्रवाई
दोनों अधिकारियों पर आर्थिक अपराध इकाई की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई हुई थी। इस मामले में फिलहाल आय से अधिक संपति के साथ विभागीय कार्रवाई भी चल रही है। राकेश दुबे के ठिकानों पर इओयू की टीम ने छापेमारी भी की है, जबकि सुधीर पोरिका के मामले में जांच प्रक्रिया जारी है।
राकेश दुबे ने नहीं दिया बचाव जवाब
विभागीय कार्रवाई के दौरान दोनों आइपीएस अफसरों से अपने बचाव में बयान समर्पित करने को कहा गया था। सुधीर पोरिका ने अपना बचाव बयान समर्पित किया है जिसे समीक्षा के उपरांत संतोषप्रद नहीं पाया गया। वहीं राकेश दुबे को बचाव बयान देने का अंतिम अवसर भी दिया गया मगर उन्होंने बयान समर्पित नहीं किया। गृह विभाग का मानना है कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बचाव बयान समर्पित करने में उनकी कोई रुचि नहीं है और वह विभागीय कार्यवाही को विलंबित करने का प्रयास कर रहे हैं।