सरकार मेहरबान, फिर भी सूक्ष्म सिंचाई योजना में रुचि नहीं दिखा रहे बिहार के किसान, क्या है कारण
सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली में बिहार के किसानों की विशेष रुचि नहीं दिख रही है। इसके लिए बिहार सरकार 90 प्रतिशत अनुदान भी दे रही है फिर भी किसान सूक्ष्म स ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, पटना। कम पानी में खेतों की सिंचाई के लिए सरकार अभियान चला रही है। किसानों को पांच साल में एक लाख एकड़ क्षेत्र में पीएम कृषि सिंचाई (सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली) योजना का लाभ देने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए सरकार 90 प्रतिशत अनुदान भी दे रही है, फिर भी किसान सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इसके पीछे कई कारण माने जा रहे हैं।
सूक्ष्म प्रणाली से होती है 60 फीसद तक पानी की बचत
दरअसल, फसलों की सिंचाई पारंपरिक की तुलना में सूक्ष्म प्रणाली ( Micro Irrigation System) से करने पर लगभग 60 प्रतिशत पानी की बचत होती है। वहीं, उत्पादन में करीब 35 प्रतिशत की वृद्धि होती है। साथ ही फसल लागत में भी 25 प्रतिशत की बचत होती है। तमाम सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए योजना लागू की गई है। और तो और किसानों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली का लाभ लेने के लिए एलपीसी की बाध्यता को खत्म कर दिया गया है। बावजूद राज्य के किसानों में योजना का लाभ लेने का विशेष उत्साह नहीं है।
मायूसी के पीछे यह है कारण
उद्यान विभाग के अधिकारियों की मानें तो राज्य में छोटी जोत ज्यादा है। बड़ी जोत के किसान खुद खेती नहीं करते हैं। खेती करने वाले किसान इसे पेशेवर के रूप में नहीं ले रहे हैं। सबसे प्रमुख कारण यह भी है कि बिहार में पानी की प्रचुरता होने से सिंचाई की परंपरागत प्रणाली किसान छोड़ नहीं रहे हैं। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो 129.53 लाख एकड़ में मात्र पांच हजार एकड़ जमीन पर ही किसानों ने सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली अपनाई है।
गौरतलब है कि बिहार में परंपरागत तरीके से अधिकांश किसान खेती करते हैं। हाल के वर्षों में देखें तो वैज्ञानिक खेती की ओर भी किसानों का रुझान बढ़ा है। वे नए तरीके से खेती कर फायदा भी उठा रहे हैं।

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