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    बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों को भाजपा देगी धार, पटना आएंगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

    Updated: Tue, 01 Jul 2025 05:46 PM (IST)

    डा. दिलीप जायसवाल की अध्यक्षता में प्रदेश कार्यसमिति की यह पहली बैठक बुधवार को होगी। बुधवार पूर्वाह्न 1130 बजे उद्घाटन सत्र की शुरुआत होगी। मुख्य उद्बोधन राजनाथ सिंह का होगा। वे पूर्वाह्न 1100 बजे पटना हवाईअड्डा पहुंचेंगे और वहां से बैठक के लिए प्रस्थान करेंगे। विधानसभा चुनाव के क्रम में राजनीतिक प्रस्ताव पारित किए जाने की संभावना है।

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    भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक का उद्घाटन करेंगे राजनाथ सिंह। जागरण आर्काइव।

    राज्य ब्यूरो, पटना। ज्ञान भवन में बुधवार को भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई है। डा. दिलीप जायसवाल की अध्यक्षता में प्रदेश कार्यसमिति की यह पहली बैठक होगी, जिसका उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। महत्वपूर्ण यह कि कार्यसमिति की घोषणा किए बगैर यह बैठक बुलाई गई है।

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    ऐसे में यह बैठक पुरानी कार्यसमिति के आधार पर ही होगी। कार्यसमिति में स्थायी और विशेष आमंत्रित सदस्यों के साथ जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारी आदि आमंत्रित सदस्य होते हैं।

    दो सत्रों वाली कार्यसमिति की यह बैठक एक दिवसीय है। बुधवार पूर्वाह्न 11:30 बजे उद्घाटन सत्र की शुरुआत होगी। मुख्य उद्बोधन राजनाथ सिंह का होगा। वे पूर्वाह्न 11:00 बजे पटना हवाईअड्डा पहुंचेंगे और वहां से बैठक के लिए प्रस्थान करेंगे।

    इस बैठक में विधानसभा चुनाव के क्रम में राजनीतिक प्रस्ताव पारित किए जाने की संभावना है। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से पिछले 11 वर्षों में बिहार को क्या कुछ मिला, उससे संबंधित प्रस्ताव भी प्रस्तुत होगा। इसके अलावा चुनावी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार-विमर्श संभावित है।

    विश्वस्त सूत्र बता रहे कि तगड़ी दावेदारी और उन दावेदारों के पीछे खड़े पार्टी के प्रमुख नेताओं के कारण अभी तक प्रदेश कार्यसमिति घोषित नहीं हो पाई है। लगभग 11 माह की लंबी प्रतीक्षा के बाद 31 मई को प्रदेश पदाधिकारियों की सूची जारी हुई थी।

    इस विलंब का कारण भी तगड़े दावेदारों के साथ प्रदेश इकाई का नेतृत्व कर चुके नेताओं की पसंद-नापसंद रही। अंतत: कार्यकारिणी में अधिसंख्य पुराने चेहरे ही रह गए। इसके बावजूद अभी तक प्रदेश प्रवक्ताओं एवं मीडिया प्रभारियों के नामों की घोषणा नहीं हो पाई है। मोर्चा, मंच एवं प्रकोष्ठ अध्यक्षों के नाम भी दिलीप अभी तक घोषित नहीं कर पाए। सामने विधानसभा चुनाव है।

    ऐसे में कार्यसमिति के साथ दूसरे पदधारकों के नामों की घोषणा में सामाजिक समीकरण को प्राथमिकता दिए जाने का दबाव है। यह दबाव विभिन्न स्तर से प्राप्त नामों की सूचियों के कारण और बढ़ गया है।

    केंद्रीय नेतृत्व का स्पष्ट निर्देश है कि चुनावी वर्ष में संगठन के अंदर किसी भी तरह का असंतोष नहीं होना चाहिए। सभी को साधे रखने की चुनौती है, जिसके लिए दिलीप अभी हाथ-पैर मार रहे। इसी उपक्रम में कार्यसमिति अटकी हुई है।