Bihar Election: बिहार में घट रही निर्दलीय उम्मीदवारों की पूछ, कभी मुख्यमंत्री पद पर था कब्जा
बिहार विधानसभा चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों का प्रभाव लगातार कम हो रहा है। 2000 में झारखंड के विभाजन के बाद से निर्दलीय उम्मीदवारों की सीट जीतने की क्षमता और वोट शेयर दोनों में गिरावट आई है। 2005 में 17 निर्दलीय विधायक जीते थे जबकि 2020 में केवल एक। कई निर्दलीय उम्मीदवार बाद में राजनीतिक दलों में शामिल हो गए जिससे उनकी संख्या और कम हो गई।

कुमार रजत, पटना। इसे राजनीतिक दलों का बढ़ता प्रभुत्व कहें या लोकतंत्र का बदला चेहरा, बिहार विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों की पूछ लगातार घट रही है।
वर्ष 2000 में झारखंड बंटवारे के बाद हुए पिछले पांच विधानसभा चुनावों के आंकड़ों पर गौर करें तो निर्दलीय उम्मीवारों के सीट जीतने की क्षमता में तेजी से गिरावट हुई है। वोट शेयर भी लगभग आधा हो गया है।
फरवरी, 2005 के विधानसभा चुनाव में 17 निर्दलीय विधायक जीते थे, जिसमें चुनाव दर चुनाव कमी आती गई। वर्ष 2020 के पिछले चुनाव में महज एक निर्दलीय प्रत्याशी सुमित कुमार सिंह ही जीत दर्ज कर सके। उन्होंने भी महज 551 मतों से चकाई से निर्दलीय जीत दर्ज की थी। बाद में वह जदयू के पाले में चले गए और वर्तमान में मंत्री भी हैं।
इसके पहले वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में चार निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। इनमें बोचहां से बेबी कुमारी, कांटी से अशोक कुमार चौधरी, मोकामा से अनंत सिंह और वाल्मीकिनगर से धीरेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ रिंकू सिंह शामिल थे।
वर्ष 2010 में छह विधायक निर्दलीय जीते। इनमें बलरामपुर से दुलाल चंद्र गोस्वामी, डेहरी से ज्योति रश्मि, ढाका से पवन कुमार जायसवाल, लौरिया से विनय बिहारी, ओबरा से सोमप्रकाश सिंह और सिकटा से दिलीप वर्मा शामिल रहे।
2005 में दो विधानसभा चुनाव, जीते 27 निर्दलीय विधायक
वर्ष 2005 में छह माह के अंतराल पर दो विधानसभा चुनाव हुए जिनमें कुल 27 निर्दलीय विधायकों ने जीत दर्ज की थी। फरवरी, 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में 17 विधायकों ने निर्दलीय जीत दर्ज की थी।
इनमें बछवाड़ा से रामदेव राय, बहादुरगंज से मो तौसिफ आलम, बिस्फी से हरिभूषण ठाकुर, गरखा से रघुनंदन मांझी, गया मुफिस्सल से अवधेश कुमार सिंह, घोसी से जगदीश शर्मा, गोबिंदपुर से कौशल यादव, मधेपुरा से रूप नारायण झा, महिषी से सुरेन्द्र यादव, मढ़ौरा से लालबाबू राय, मशरख से तारकेश्वर सिंह, मटिहानी से नरेन्द्र कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर से विजेन्द्र चौधरी, नवादा से पूर्णिमा यादव, रघुनाथपुर से जगमातो देवी, सिकटी से मुरलीधर मंडल और सोनबरसा से किशोर कुमार निर्दलीय जीते।
राष्ट्रपति शासन लगने के कारण जब अक्टूबर, 2005 में फिर से विधानसभा चुनाव हुए तो दस निर्दलीय विधायक जीतकर सदन पहुंचे। इनमें बाइसी से सैयर रुकनुदीन, बिस्फी से हरिभूषण ठाकुर, डेहरी से प्रदीप कुमार जोशी, गोबिंदपुर से कौशल यादव, मढ़ौरा से लालबाबू राय, मटिहानी से नरेन्द्र कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर से विजेन्द्र चौधरी, नवादा से पूर्णिमा यादव, सोनबरसा से किशोर कुमार और वारसलिगंज से प्रदीप कुमार ने निर्दलीय जीत दर्ज की।
जीत के बाद दलों के हो जाते हैं निर्दलीय
बिहार के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों की अपनी पहचान रही है। उनका अपना गढ़ रहा है। जिसे भेदने में बड़े-बड़े दिग्गज हार गए।
डुमरांव से ददन पहलवान, मोकामा से अनंत सिंह, मुजफ्फरपुर से विजेन्द्र चौधरी, बिस्फी से हरिभूषण ठाकुर, सोनबरसा से किशोर कुमार, रूपौली से बीमा भारती समेत ऐसे कई नाम रहे। बाद में इनमें से कई निर्दलीय राजनीतिक दलों में शामिल हो गए और फिर पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने लगे।
दरअसल, राजनीतिक दलों को भी ऐसे उम्मीदवारों की तलाश होती है, जिनका अपना वोट बैंक हो। ऐसे में निर्दलीय जीतकर आए उम्मीदवार, उनकी पहली पसंद होते हैं।
अमूमन देखा जाता है कि बड़े राजनीतिक दल ऐसे निर्दलीय उम्मीवारों को अगली बार उसी सीट से अपना उम्मीदवार बना लेते हैं। चुनाव दर चुनाव निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या घटने का यह भी एक बड़ा कारण है।
कभी मुख्यमंत्री को हराकर निर्दलीय बने थे सीएम
बात 1967 के विधानसभा चुनाव की है। तब पटना पश्चिम (वर्तमान बांकीपुर सीट) से चुनाव लड़ रहे तत्कालीन मुख्यमंत्री केबी सहाय चुनाव को निर्दलीय प्रत्याशी महामाया प्रसाद सिन्हा ने हरा दिया था।
इस चुनाव में किसी गठबंधन को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। इसके बाद संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनसंघ, सीपीआइ, जन क्रांति दल और प्रजा सोशलिस्ट जैसी पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई। महामाया प्रसाद जनक्रांति दल में शामिल हो गए और खुद मुख्यमंत्री बने।
घट रही निर्दलीयों की पूछ
वर्ष | निर्दलीय प्रत्याशी | जीते | दूसरा स्थान | वोट प्रतिशत |
---|---|---|---|---|
2020 | 1300 | 01 | 10 | 8.8% |
2015 | 1150 | 04 | 05 | 9.6% |
2010 | 1342 | 06 | 09 | 13.2% |
2005 (अक्टूबर) | 746 | 10 | 07 | 8.8% |
2005 (फरवरी) | 1493 | 17 | 16 | 16.2% |
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