झारखंड से मंगाता था सिम, अंतर्राष्ट्रीय कॉल्स को..., पटना में साइबर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश
पटना में साइबर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। ये गिरोह झारखंड से सिम कार्ड खरीदते थे ताकि अंतर्राष्ट्रीय कॉल्स को लोकल बनाया जा सके। मुख्य आरोपी हर्षित को सुमित शाह नामक व्यक्ति सिम कार्ड सप्लाई करता था। सुमित को सुल्तान सिम कार्ड देता था जो CSC सेंटर चलाता है और बायोमेट्रिक डेटा से सिम कार्ड लेता था। पुलिस ने सुमित शाह को गिरफ्तार कर लिया है।

राज्य ब्यूरो, पटना। अंतरराष्ट्रीय गिरोहों से जुड़े साइबर ठग गिरोहों के लिए अंतरराष्ट्रीय कॉल को स्थानीय बनाने के लिए झारखंड से सिम कार्ड खरीदे जाते थे। ईओयू अधिकारियों के अनुसार, गिरोह का मास्टरमाइंड हर्षित झारखंड के पाकुड़ निवासी सुमित शाह नामक अपराधी से सिम बॉक्स संचालित करने के लिए संपर्क करता था।
सुमित शाह ने मार्च से अब तक हर्षित को लगभग एक हजार सिम कार्ड उपलब्ध कराए थे। सुमित खुद सुल्तान नामक व्यक्ति से सिम कार्ड लेता था। सुल्तान ने भी हर्षित को लगभग 400 सिम कार्ड उपलब्ध कराए थे। हर्षित और सुल्तान की मुलाकात हाजीपुर में कई बार हुई थी।
जांच में यह भी पता चला है कि सिम आपूर्तिकर्ता दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के वितरकों से सांठगांठ करते थे। इस मामले में गिरफ्तार मो सुल्तान एक कार्य सेवा केंद्र का संचालक है। वह गांवों में कैंप लगाकर लोगों को कई फर्जी सरकारी योजनाओं का लाभार्थी बनाने का लालच देकर आम जनता का बायोमेट्रिक डेटा एकत्र करता था।
इसी बायोमेट्रिक डेटा की मदद से दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के पंजीकृत वितरकों और खुदरा विक्रेताओं से मिलीभगत कर बड़ी संख्या में सिम कार्ड प्राप्त किए जाते थे। फिर इन सिम कार्डों को सिम बॉक्स में डालकर साइबर ठगी की जाती थी।
इस मामले में सीएससी संचालक सुल्तान के अलावा सिम कार्ड बेचने वाले चार पॉइंट-ऑफ-सेल संचालकों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। सिम सप्लायर सुमित शाह को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुर हाट रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया है और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।
एक दर्जन से ज्यादा बार विदेश यात्रा कर चुका है हर्षित
अब तक की जाँच में पता चला है कि हर्षित कुमार पिछले कुछ सालों में थाईलैंड और बैंकॉक समेत एक दर्जन देशों की यात्रा कर चुका है। सूत्रों के मुताबिक, मोतिहारी में उसका एक आलीशान घर है। उसके अलग-अलग नामों से 30 से 35 बैंक खाते मिले हैं, जिनमें साइबर ठगी की रकम का लेन-देन होता था।
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