Bihar Voter List: दस जीवित वोटरों का नाम मृतक सूची में, मचा हड़कंप; माले ने आयोग को लिखा लेटर
Bihar Voter List 2025 भाकपा-माले ने जीवित मतदाताओं को मृतक सूची में शामिल करने पर चुनाव आयोग से आपत्ति जताई है और एसआईआर सूची सार्वजनिक करने की मांग की है। पार्टी ने बदलो सरकार-बदलो बिहार सम्मेलन में मताधिकार पर संकट बताया और कार्यकर्ताओं से मतदाता सूची की सच्चाई जानने का आह्वान किया।

राज्य ब्यूरो, पटना। भाकपा-माले ने दस जीवित मतदाताओं को मृतक सूची में डालने पर कड़ी आपत्ति प्रकट करते हुए चुनाव आयोग को पत्र लिखा है।
शनिवार को माले के राज्य सचिव कुणाल ने बताया कि एसआईआर के तहत हटाए गए मतदाताओं की पूरी सूची आयोग सार्वजनिक करे और राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराए। एसआईआर की सच्चाई धीरे-धीरे सामने आ रही है, जिसमें व्यापक पैमाने पर अनियमितता के संकेत मिल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भोरे विधान सभा (सुरक्षित) में चुनाव आयोग द्वारा मृतकों की जो सूची जारी की गई है उसमें दो बूथ पर वैसे लोगों के नाम दर्ज हैं जो जिंदा है।
इसमें विशुन कुमार सिंह, शांति देवी, मुन्नी देवी, चंद्रिका सिंह, नादानी सिंह उर्फ नंद जी सिंह, कुशनुमा खातून, शैलेश प्रसाद, लाला बाबू गौड़, कुदरत खान, रामाशीष भगत शामिल हैं।
'बदलो सरकार-बदलो बिहार’ सम्मेलन आयोजित
भाकपा-माले के महागनर कमेटी द्वारा शनिवार को बदलो सरकार-बदलो बिहार सम्मेलन का आयोजन पटना के स्वतंत्रता सेनानी भवन में किया गया।
राज्य सचिव कुणाल ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि मताधिकार पर सबसे बड़ा संकट मंडरा रहा है।
उन्होंने कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि सभी लोग बूथों पर जाएं और पता लगाएं कि एसआईआर के दौरान जिन 65 लाख से अधिक मतदाताओं का नाम पहले ही चरण में काट दिया गया है, उसकी क्या सच्चाई है?
सम्मेलन को माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, पोलित ब्यूरो के सदस्य केडी यादव, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, विधान पार्षद शशि यादव, विधायक गोपाल रविदास, सरोज चौबे, किसान महासभा के नेता उमेश सिंह, पार्टी के मीडिया प्रभारी कुमार परवेज आदि ने भी संबोधित किया, जबकि संचालन महानगर सचिव अभ्युदय ने किया।
हटाए गए मतदाताओं की सूची प्रकाशित करे आयोग : भाकपा
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने कहा कि चुनाव आयोग ने एसआईआर के दौरान हटाए गए मतदाताओं की सूची को बूथ स्तर पर प्रकाशित करे।
औपबंधिक मतदाता सूची से 65.64 लाख मतदाताओं के नाम आयोग ने काट दिया है। जिन मतदाताओं के नाम सूची से पलायन के नाम हटाए गए हैं। वे सभी मतदाता गरीब, दलित, आदिवासी पिछड़ा और अल्पसंख्यक हैं। जो अपनी रोजी रोटी के लिए बिहार से बाहर गए हुए हैं।
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