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    Bihar Politics : 2 लोकसभा सीट छोड़ने को तैयार नहीं माले, सीपीआई ने भी बांका समेत इन 3 सीटों पर ठोका दावा

    Bihar Politics बिहार में लोकसभा चुनाव की तैयारी अभी से शुरू हो गई है। इसमें वाम दल भी पीछे नहीं हैं। सीटों के बंटवारे के बिना ही वाम दलों ने अपनी तैयारी तेज करते हुए दावा जताना शुरू कर दिया है। खास बात ये भी है कि विपक्षी महागठंधन में शामिल इन छोटी क्षेत्रीय पार्टियों का इतिहास देखें तो इनकी कुछ जगहों पर स्थिति मजबूत रही है।

    By Arun AsheshEdited By: Yogesh SahuUpdated: Wed, 13 Dec 2023 05:55 PM (IST)
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    Bihar Politics : 2 लोकसभा सीट छोड़ने को तैयार नहीं माले, सीपीआई ने बांका समेत इन सीटों पर ठोका दावा

    राज्य ब्यूरो, पटना। महागठबंधन के दलों के बीच लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। लेकिन, वाम दलों ने लड़ने लायक अपनी सीटों पर चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है।

    भाकपा माले ने दो सीटों पर सघन तैयारी शुरू की है। ये हैं- आरा और सिवान। भाकपा बेगूसराय, बांका और मधुबनी में अपने पुराने और जिताऊ जनाधार की खोज में जुट गई है।

    माकपा का भी चुनाव लड़ने का इरादा

    माकपा भी एक सीट पर लड़ने का इरादा रखती है। वह अभी सीट की खोज में है। पूर्व में माकपा नवादा एवं भागलपुर से जीत दर्ज कर चुकी है।

    समस्तीपुर जिला के उजियारपुर में पिछले चुनाव में माकपा उम्मीदवार को तीसरा स्थान मिला था। माकपा इन्हीं में से किसी एक पर दावा कर सकती है।

    इन सीटों पर दो बार जीती भाकपा

    भाकपा के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय ने बताया कि मधुबनी में छह और बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में दो बार हमारे पार्टी के उम्मीदवारों की जीत हो चुकी है।

    इन सीटों पर कई बार हमारे उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे हैं। बांका के दो चुनावों में भाकपा को सम्मानजक वोट मिला था। इसलिए इन सीटों पर हमारे दावे का तार्किक आधार है।

    इधर, भाकपा माले आरा और सिवान लोकसभा क्षेत्रों में तैयारी कर रही है। आरा में 1989 में उसकी जीत हुई थी। उस समय इंडियन पीपुल्स फ्रंट के नाम से भाकपा माले चुनाव लड़ती थी।

    2019 में तीसरे नंबर पर थी ये पार्टी

    2019 में आरा में माले उम्मीदवार राजू यादव को चार लाख 19 हजार वोट मिला था। इसी तरह सिवान भी उसका आधार क्षेत्र रहा है। सिवान में माले की कभी जीत नहीं हुई। लेकिन, तीन चुनावों में उसके उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे हैं।

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    भाकपा माले और राजद के बीच 2019 के लोकसभा चुनाव में भी समझौता हुआ था। भाकपा स्वतंत्र लड़ी थी। भाकपा का जदयू के साथ 2014 में चुनावी समझौता हुआ था। जदयू ने उसके लिए बेगूसराय और बांका की सीट छोड़ दी थी।

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