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    'गाय की सींग भैंस में और भैंस की सींग गाय में जोड़ रहे', JDU चीफ ललन सिंह बोले- CBI को दिव्यशक्ति से मिले सबूत

    ईडी द्वारा लालू प्रसाद के परिजनों के यहां की गई छापेमारी के बाद ललन सिंह ने कहा कि नौकरी के बदले जमीन मामले में सीबीआइ दो बार जांच कर साक्ष्य नहीं जुटा पाई। नौ अगस्त 2022 के बाद अचानक दिव्यशक्ति से उनको साक्ष्य मिलने लग गया।

    By Jagran NewsEdited By: Aditi ChoudharyUpdated: Sun, 12 Mar 2023 08:22 AM (IST)
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    JDU चीफ ललन सिंह बोले- CBI को दिव्यशक्ति से मिले सबूत

    पटना, राज्य ब्यूरो। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने लालू परिवार पर ईडी की छापेमारी व सीबीआइ की कार्रवाई पर कहा कि गाय की सींग भैंस में और भैंस की सींग गाय में जोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अरे भाई जब साक्ष्य नहीं भी मिलता तो साक्ष्य दिखाने के लिए पालतू तोते कुछ भी कर सकते हैं। गाय का सींग भैंस में और भैंस का सींग गाय में जोड़ रहे।

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    ललन सिंह ने कहा कि यह कहा जा रहा कि एके इंफोसिस्टम के कारण छापा डाला गया है। इसका नौकरी से कुछ भी लेना-देना नहीं। हालांकि, पालतू तोते अपने मालिक के निर्देश पर कुछ भी कर सकते हैं। अघोषित आपातकाल जो है। गर्भवती महिला और छोटे-छोटे बच्चों के साथ इस तरह का निर्मम आचरण देश में पहली बार हुआ है।

    ललन सिंह ने कहा कि नौकरी के बदले जमीन मामले में सीबीआइ दो बार जांच कर साक्ष्य नहीं जुटा पाई। नौ अगस्त 2022 के बाद अचानक दिव्यशक्ति से उनको साक्ष्य मिलने लग गया और लालू प्रसाद व उनके परिजनों के यहां भारी छापेमारी हुई।

    राजद का आरोप- तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही ईडी

    ईडी द्वारा लालू प्रसाद के परिजनों के यहां की गई छापेमारी के बाद शनिवार को जो सूची जारी की गयी उस बारे में राजद ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। राजद के प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि ईडी द्वारा तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा।

    राजद प्रवक्ता ने कहा कि अपने गलत कारनामों पर पर्दा डालने के लिए ईडी द्वारा गलत तरीके से तथ्य पेश किए जा रहे हैं। उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव की छवि को प्रभावित करने के लिए भाजपा द्वारा पूर्व से तैयार स्क्रिप्ट को ईडी ने जारी कर दिया है। ईडी के बयान की भाषा, दर्शाए गए तथ्य, और जारी की गई तस्वीर यह बता रहे हैं कि तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा। राजनीतिक प्रतिशोध में नौ वर्षों बाद प्राथमिकी दर्ज की गई, जबकि सीबीआई को इस मामले में कोई साक्ष्य नहीं मिला था।