Covid-19 Update: ज्यादा जिंक टैबलेट खाने से अब सामने आया यलो फंगस का खतरा, जानिए कैसे
कोरोना वायरस से बचाव को लगातार जिंक टैबलेट खाने से अचानक सामने आया छिपकली जैसे जंतुओं में पाया जाने वाला यलो फंगस का खतरा। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद म ...और पढ़ें

पटना, पवन कुमार मिश्र। कोरोना के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से एक ओर ब्लैक फंगस जैसे छह मौकापरस्त फंगल इंफेक्शन के साथ अब विरले होने वाले संक्रमण के मामले भी सामने आने लगे हैं। इसका कारण डॉक्टर कोरोना के विरुद्ध रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रखने के लिए अत्यधिक मात्रा में जिंक का इस्तेमाल बता रहे हैं।
बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में येलो फंगल इंफेक्शन का जो मामला सामने आया है, वह छिपकली, सांप, मेढक, गिरगिट जैसे रेप्टाइल वर्ग के जंतुओं में पाया जाता था। इस म्यूकस सेप्टिकस (यलो फंगस) को जिंक काफी आकर्षित करता है। इसी प्रकार ब्लैक फंगस (म्यूकोर माइकोसिस) की आशंका उन लोगों में ज्यादा होती है, जिनके खून में आयरन की मात्रा ज्यादा होती है।
जानवरों में होते थे ये संक्रमण
पीएमसीएच में माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने बताया कि गाजियाबाद में म्यूकस सेप्टिकस (येलो फंगस) का जो मामला सामने आया है, यह इंसानों में सामान्यत: नहीं पाया जाता है। इंसानों में जो ब्लैक, यलो या ग्रीन फंगस के संक्रमण के मामले सामने आते हैं, वे सभी एस्परजिलस वर्ग के हैं। स्पुटम (बलगम) कल्चर के दौरान इस वर्ग के फंगस जिस रंग के मीडियम में विकसित होते थे, उसी अनुसार रंगों के आधार पर उनका नामकरण किया जाता था। गाजियाबाद का मामला इससे बिल्कुल इतर है।
सबसे खतरनाक ब्लैक फंगस :
डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने बताया कि अब तक जितने भी फंगल इंफेक्शन के मामले सामने आए हैं, उनमें ब्लैक फंगस ही सबसे खतरनाक है। सफेद फंगस सामान्यत: त्वचा, नाखून, जननांग जैसे अंगों में होता है। फेफड़े तक संक्रमण पहुंचने पर भी पहचान हो जाने पर रोगी पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। वहीं, ब्लैक फंगस खून में मिलने के बाद मस्तिष्क, फेफड़े समेत तमाम अंगों को प्रभावित करता है। ऐसे में समय पर सही उपचार मिलने में देरी पर रोगियों के शरीर में ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत हो जाती है।
येलो फंगस के लक्षण
गाजियाबाद में जो विरला येलो फंगस का मामला मिला है, उसके लक्षण जुकाम, सिरदर्द और घाव भरने में देरी हैं। गंभीर रोगियों में नाक व आंख से खून आने की समस्या होती है। इसकी भयावहता काफी कम है।
इन छह मौकापरस्त फंगस का खतरा पहले से :
- 24 से अधिक प्रकार के फंगस इंसान को संक्रमित करते हैं। छह इम्यून पॉवर के कमजोर होने पर ही सक्रिय होता है।
- 80 फीसद सबसे अधिक संक्रमण कैंडिडियासिस व्हाइट फंगस से होता है।
-10 फीसद इंफेक्शन एस्परजिलस यानी ब्लैक, व्हाइट, ग्रीन या येलो (रेप्टाइल वर्ग का नहीं) से होता है।
- 10 फीसद अन्य फंगल इंफेक्शन में पेनीसिलोसिस, क्रिप्टो कोकोसिस और निमोसिस्टिस आदि हैं।

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