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    करोड़ों की प्रापर्टी वाले पटना के महावीर मंदिर को लेकर विवाद, अयोध्‍या के हनुमानगढ़ी के दावे से उठने लगे गड़े मुर्दे

    By Shubh Narayan PathakEdited By:
    Updated: Wed, 21 Jul 2021 10:59 AM (IST)

    बिहार के सबसे धनी मंदिर पटना स्थित महावीर मंदिर को लेकर महावीर मंदिर ट्रस्‍ट और अयोध्‍या के हनुमानगढ़ी के बीच विवाद बढ़ते जा रहा है। अयोध्या के हनुमानगढ़ी ने सूर्यवंशी दास फलाहारी को राजधानी के महावीर मंदिर का मुख्य पुजारी नियुक्त किया है।

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    पटना का महावीर मंदिर और अयोध्‍या का हनुमानगढ़ी मंदिर। फाइल फोटो

    पटना, जागरण टीम। बिहार के सबसे धनी मंदिर पटना स्थित महावीर मंदिर को लेकर महावीर मंदिर ट्रस्‍ट और अयोध्‍या के हनुमानगढ़ी के बीच विवाद बढ़ते जा रहा है। अयोध्या के हनुमानगढ़ी ने सूर्यवंशी दास फलाहारी को राजधानी के महावीर मंदिर का मुख्य पुजारी नियुक्त किया है। सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में सूर्यवंशी दास ने कहा कि जब हनुमानगढ़ी ने उन्हें पुजारी नियुक्त कर दिया है तो प्रशासन मदद करे। उन्होंने आरोप लगाया कि महावीर मंदिर में लाकडाउन के दौरान भी पूजा हुई है। सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए। वहीं, दूसरी ओर बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष एके जैन ने कहा कि सितंबर में इस मामले की सुनवाई की जाएगी। दोनों पक्षों ने मामले में आवेदन दिया है।

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    हनुमानगढ़ी ने महावीर मंदिर पर किया दावा

    महावीर मंदिर के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब हनुमानगढ़ी अयोध्या ने मंदिर पर अपना दावा पेश किया है। मंदिर पर अपने दावों को लेकर हनुमानगढ़ी ने बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद को पत्र लिखने के साथ महावीर मंदिर को अपने नियंत्रण में लेने के लिए अयोध्या में हस्ताक्षर अभियान चला रहा है।

    1935 से न्‍यास कर रहा मंदिर की देखरेख

    महावीर मंदिर पर उठे विवाद के बाद महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने हनुमानगढ़ी द्वारा लगाए गए दावे को नकराते हुए कहा कि हनुमानगढ़ी से महावीर मंदिर से कोई वास्ता नहीं है। उन्होंने बताया कि महावीर मंदिर द्वारा अयोध्या में राम रसोई अनवरत चलाने के साथ रामनवमी पर पटना से नैवेद्यम भेजा जाता रहा है। वही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर महावीर मंदिर की ओर से दो करोड़ रुपये सहयोग राशि के तौर पर प्रतिवर्ष देने की बात है। महावीर मंदिर पटना उच्च न्यायालय के आदेश से सार्वजनिक मंदिर है। 1935 में इसका संचालन न्यास समिति के द्वारा होता रहा है।

    1956 में धार्मिक न्‍यास पर्षद और महावीर मंदिर के बीच हुआ समझौता

    आचार्य के मुताबिक 1956 में धार्मिक न्यास पर्षद और महावीर मंदिर के बीच समझौता हुआ था, जिसके तहत न्यास समिति जब तक मंदिर का आर्थिक विकास करते रहेगी, न्यास पर्षद इसके संचालन में हस्तक्षेप नहीं करेगी। 1958 में पटना उच्च न्यायलय ने इस समझौते को स्वीकृति दी। 1990 में धार्मिक न्यास पर्षद ने इसके संचालन के लिए विस्तृत योजना बनाई थी जिसके अनुरूप काम किया जा रहा है।

    रामानंद संप्रदाय की परंपरा  को बढ़ा रहा मंदिर

    आचार्य किशोर कुणाल की मानें तो पांच सौ साल के इतिहास में पहली बार रामावत संगत का सम्मेलन 11 अक्टूबर 2014 को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में हुआ था। इसमें रामानंदाचार्य के सभी शिष्यों के आश्रम से धर्माचार्य, प्रतिनिधि उपस्थित हुए थे। सम्मेलन में घोषणा हुई थी कि रामानन्दाचार्य द्वारा स्थापित संस्था का नाम रामावत संगत होगा। महावीर मंदिर भी प्राचीन रामानंद संप्रदाय की परंपरा को आगे बढ़ाने में लगा है। यह हनुमानगढ़ी से स्वंत्रत एक धार्मिक संस्था है, जो बिहार हिंदू धार्मिक न्यास अधिनियम के तहत धार्मिक न्यास पर्षद के अधीन कार्य करती है।

    नैवेद्यम की आमदनी से लोगों का कल्याण

    महावीर मंदिर सिर्फ आस्था का प्रतीक नहीं बल्कि सामाजिक विकास में भी अपना योगदान देता रहा है। मंदिर में चढ़ने वाले चढ़ावे एवं नैवेद्यम से मिलने वाली राशि को परोपकार के कामों में लगाया जाता है। आचार्य ने बताया कि महावीर मंदिर की कमाई से महावीर कैंसर संस्थान, महावीर वात्सल्य, महावीर आरोग्य संस्थान व महावीर नेत्रालय आदि अस्पतालों का संचालन होता है। महावीर कैंसर अस्पताल में मरीजों को तीनों वक्त का भोजन मुफ्त में मिलता है। सामान्य मरीजों को भर्ती होते ही दस हजार रुपये व गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले मरीज को 15 हजार रुपये इलाज के लिए दिए जाते हैं।

    शंकराचार्य ने रखी थी आरोग्य संस्थान की नींव

    सात नवंबर 1988 को महावीर आरोग्य संस्थान की नींव द्वारिका पीठ शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद जी ने रखी थी। एक जनवरी 1989 से पटना के किदवईपुरी में एक किराये के मकान में शुरू हुआ अस्पताल इसके बाद कंकड़बाग में स्थानांतरित कर दिया गया।  दिसंबर 2005 तक एक ओपीडी अस्पताल के रूप में काम करना शुरू कर दिया। मंदिर ट्रस्ट ने भूमि और भवन खरीदे और सभी सुपर स्पेशलिटी सेवाओं के साथ 60 बिस्तर वाला इनडोर अस्पताल शुरू कर दिया। एंबुलेंस,  कार्डियालॉजी, डॉपलर, सीटी स्कैन, दांत, ईएनटी, नेत्र, नेत्र-बाल चिकित्सा नेत्र विज्ञान, गैस्ट्रो, आम दवाई,  आईसीयू, नेफ्रोलॉजी, हड्डी रोग विज्ञान, प्लास्टिक सर्जरी के साथ ही त्वचा और उसकी सर्जरी, मूत्र विज्ञान, टीकाकरण, एक्स-रे आदि की सेवाएं यहां दी जाती है।

    स्वामी विद्यानंद गिरि ने महावीर वात्सल्य अस्पताल की रखी थी नींव

    महावीर वात्‍सल्‍य अस्पताल की नींव 21 अक्टूबर 2003 को महामंडलेश स्वामी विद्यानंद गिरि महाराज ने नींव रखी थी। वहीं  30 अप्रैल 2006 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अस्पताल का उद्घाटन किया था। 120 बिस्तर वाले सामान्य सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में  नवजात, ओबस्टेट्रिक्स और गायनोकोलॉजी, आर्थोपेडिक्स, आई, ऑरोडेंटल, सामान्य सर्जरी, त्वचा और फिजियोथेरेपी और सामान्य दवा के बारे में बेहतर उपचार प्रदान किया जाता है। वहीं महावीर मंदिर ट्रस्ट ने  1998 में महावीर कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र (एमसीएसआरसी) शुरू किया था। जहां एक छत के नीचे मरीजों का इलाज किया जाता है।

    2015 से शुरू हुआ हृदय रोग अस्‍पताल

    महावीर मंदिर न्यास समिति द्वारा संचालित महावीर हृदय रोग अस्पताल का शुभारंभ 25 अप्रैल 2016 को हुआ था। महावीर वात्सल्य अस्पताल के प्रांगण में एम्स, नई दिल्ली के हृदय रोग विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. वीके बहल ने इसकी शुरुआत की थी। अस्पताल में न्यूनतम दर पर हृदय रोगों के इलाज की सुविधा बहाल की जाती है।

    महावीर नेत्रालय में कम दर पर होता इलाज

    महावीर नेत्रालय की नींव  21 जनवरी 2006 को सीएम नीतीश कुमार ने रखी थी। यहां शंकर नेत्रालय चेन्नई, कोलकाता, अलीगढ़, सीतापुर आदि अस्पतालों से चिकित्सक आते रहते हैं और बहुत ही कम दर पर यहां इलाज किया जाता है। वहीं महावीर हृदय रोग अस्पताल में 18 साल से कम उम्र के बच्चे के हृदय में जन्मजात छेद का आपरेशन पूरी तरह से मुफ्त में किया जाता है। अभी तक सौ से अधिक ऐसे आपरेशन किए जा चुके हैं। वहीं बड़ों के आपरेशन भी रियायती दरों में किया जाता है।

    कोरोना काल में आक्सीजन बैंक की शुरुआत

    राज्य में कोरोना संक्रमण को देखते हुए महावीर मंदिर की ओर से स्थाई आक्सीजन बैंक की शुरूआत 26 मई 2021 से की गई। वहीं मंदिर में मुफ्त में कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए रिफिलिंग सेवा का आरंभ किया गया था। वहीं दूसरी ओर महावीर कैंसर संस्थान, आरोग्य संस्थान को कोरोना टीकाकरण केंद्र भी बनाया गया था। कोरोना कालके तीसरी लहर को देखते हुए महावीर वात्सल्य में बच्चों के लिए 90 आक्सीजन बेड का स्पेशल वार्ड भी बनाया गया था।

    उत्‍तर भारत के धनी मंदिरों में शुमार 

    देश के अग्रणी हनुमान मंदिरों में से एक पटना के महावीर मंदिर का स्थान उत्तर भारत के प्रमुख मंदिरों की आमदनी में दूसरा स्थान है। यह उत्तर भारत की सबसे बड़ी धार्मिक न्यास समिति है जो धार्मिक व परोपकार के कार्यो में अपना योगदान देती है। मंदिर की कमाई का पूरा पैसा परोपकार में लगता है। हनुमान को चढ़ने वाले नैवेद्यम प्रसद एवं चढ़ावा आमदनी का मुख्य स्त्रोत है। ऐसे में कहा जा सकता है कि नैवेद्यम प्रसाद से मरीजों का इलाज होता है। महावीर मंदिर में चढ़ने वाले नैवेद्यम प्रसाद सही मायने लोगों के लिए किसी दवा से कम नहीं जिससे राज्य के लाखों लोग ठीक होते हैं।

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