Bihar Politics: सधी चाल से महागठबंधन में कांग्रेस का चेहरा चमका रहे राहुल, बिहार विधानसभा चुनाव पर है नजर
पटना से विकाश चन्द्र पाण्डेय के अनुसार राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा बिहार में कांग्रेस के शक्ति प्रदर्शन का एक तरीका है। इस यात्रा में प्रियंका गांधी की संभावित भागीदारी और कन्हैया कुमार और पप्पू यादव की सक्रियता ने राजद नेतृत्व को चिंतित कर दिया है। यात्रा का नेतृत्व कांग्रेस कर रही है और 1 सितंबर को पटना में रैली का आयोजन भी कांग्रेस के हाथ में है।
विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। राहुल गांधी की जीप में सहयात्रियों का स्थान जब-तब बदल जा रहा। एकमात्र राहुल की अगली सीट पक्की है। यह अनायास नहीं, बल्कि कांग्रेस की रणनीति है। ''वोटर अधिकार यात्रा'' के नायक राहुल की तरह ही बिहार में कांग्रेस को महागठबंधन में अपनी भूमिका की अपेक्षा है।
इस भूमिका की पृष्ठभूमि के लिए एक अवसर की तलाश थी। मतदाता-सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) ने अवसर सुलभ करा दिया, अन्यथा वर्षा-ऋतु में यात्रा नहीं होती। कटिहार में रिमझिम फुहारों के बीच यह प्रतिक्रिया सीमांचल के एक कद्दावर नेता की रही। उनका कहना है कि इस यात्रा में जन-उत्साह बता रहा कि एनडीए के विरुद्ध नेतृत्व की क्षमता राहुल और कांग्रेस में ही है।
बिहार से बाहर के राज्यों के कुछ मंत्री-सांसद व कांग्रेस पदाधिकारी पहले से ही यात्रा में राहुल के साथ चल रहे। अब तीसरे चरण में कांग्रेस व आइएनडीआइए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियोंं व पूर्व मुख्यमंत्रियों के साथ प्रियंका गांधी की भी सहभागिता होनी है।
बिहार में प्रियंका की डिमांड
इसका निर्णय मात्र भीड़ जुटाने के लिए ही नहीं, बल्कि महागठबंधन को कांग्रेस के व्यापक स्वरूप का संदेश देने के लिए हुआ है। यह अंदर की बात है। लोकसभा के पिछले चुनाव में बिहार में सर्वाधिक मांग प्रियंका की जनसभाओं की थी, लेकिन वे नहीं आईं।
पिछले वर्ष जनवरी-फरवरी में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान भी जन-उत्साह चरम पर था, फिर भी उसमें प्रियंका की सहभागिता नहीं हुई। लोकसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन के भीतर की उठापटक के कारण कांग्रेस ने प्रियंका की चुनावी रैलियां नहीं कराई।
अब विधानसभा चुनाव में उसकी भी संभावना बन आई है, क्योंकि इन दो यात्राओं ने कांग्रेस को बिहार के लिए कुछ साहसी बना दिया है। इस यात्रा में NSUI के प्रभारी कन्हैया कुमार और पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव की सक्रियता को इसका प्रमाण बताया जा रहा। इन दो चेहरों पर राजद नेतृत्व को आज भी आपत्ति है, लेकिन कांग्रेस उससे बेपरवाह है।
कांग्रेस बनी यात्रा की अगुआ
इस यात्रा का समय और रूट भी कांग्रेस ने ही निर्धारित किया। उसी ने तय किया कि तेजस्वी के साथ दीपंकर भट्टाचार्य और मुकेश सहनी भी राहुल की खुली जीप पर सवार होंगे। राहुल के हाव-भाव दीपंकर के साथ एक अच्छी केमेस्ट्री का संकेत भी दे रहे।
कई स्थानों पर सहनी पीछे से बीच की पंक्ति में लाए गए और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार खुली जीप पर गर्मी से बेहाल तेजस्वी को कई बार दुलार करते हुए भी दिखे। यात्रा के दौरान प्रतिदिन प्रेस-वार्ता भी हो रही।
उसमें कांग्रेस के किसी नेता के साथ घटक दलों से कोई एक नेता रह रहा। यात्रा के समापन पर एक सितंबर को पटना के गांधी मैदान में प्रस्तावित रैली का अगुआ भी कांग्रेस ही है। इस मैदान में महागठबंधन की रैली पिछले वर्ष भी हुई थी, तब उसका नेतृत्व राजद के हाथ में था।
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