Bihar News: खतरे में हैं बिहार की 75000 महिलाएं, अब CNLU करेगा डायन-बिसाही पर अध्ययन
चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय डायन-बिसाही पर अध्ययन करेगा। कुलपति प्रो. फैजान मुस्तफा ने कहा कि कानून से बदलाव नहीं आएगा सोच बदलनी होगी। प्रो. पीपी राव ने 2000-2016 के बीच 2500 से ज्यादा हत्याओं की जानकारी दी और बताया बिहार में 75000 महिलाएं खतरे में हैं। डॉ. आयुषी दुबे ने अधिनियम की समीक्षा पर जोर दिया।
जागरण संवाददाता, पटना। चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (सीएनएलयू) ने डायन-बिसाही पर अध्ययन करने का निर्णय लिया है। इस पर विश्वविद्यालय के जेंडर रिसोर्स सेंटर (जीआरसी) सामाजिक और कानूनी शोध करेगा।
इसको लेकर विश्वविद्यालय में बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता कुलपति प्रो. फैजान मुस्तफा ने की। उन्होंने कहा कि केवल कानून बना देने से समाज में बदलाव नहीं आता, जब तक लोगों की सोच, सामाजिक रीतियों और स्थानीय व्यवस्थाओं में बदलाव नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि डायन-बिसाही के मामलों को अंधविश्वास, डर और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव से जुड़ा है। कानून विभाग के प्रो. पीपी राव ने बताया कि साल 2000 से 2016 के बीच देशभर में 2,500 से ज्यादा महिलाओं की हत्या डायन कहकर कर दी गई।
वहीं, 2023-24 में एक सर्वे के अनुसार बिहार में करीब 75,000 महिलाएं अब भी डायन कहलाने के खतरे में हैं।
बैठक में डॉ. फादर पीटर लाडिस एफ, जेंडर रिसोर्स सेंटर की निदेशक डॉ. आयुषी दुबे ने कहा कि बिहार डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम कानून पर सामाजिक और कानूनी दोनों नजरियों से समीक्षा जरूरी है।
शोध के दौरान जाति, वर्ग, धर्म और लिंग के प्रभावों का भी विश्लेषण किया जाएगा। बैठक में तय हुआ कि इस शोध को सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों, फंडिंग एजेंसियों और स्थानीय समुदायों की मदद से आगे बढ़ाया जाएगा।
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