Updated: Wed, 20 Aug 2025 03:33 PM (IST)
चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (सीएनएलयू) में शैक्षणिक सत्र 2025-26 से एलएलबी का तीन वर्षीय पाठ्यक्रम शुरू होगा। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इसकी अनुमति दे दी है। कुलपति प्रो. फैजान मुस्तफा ने बताया कि छात्रावास की सुविधा फिलहाल उपलब्ध नहीं होगी। नामांकन के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाएगी और विस्तृत जानकारी वेबसाइट पर मिलेगी।
जागरण संवाददाता, पटना। चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (सीएनएलयू) में एलएलबी पाठ्यक्रम की शुरुआत होगी। मंगलवार को बार काउंसलिंग ऑफ इंडिया से अनुमति मिलने के बाद वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2025-26 से तीन वर्षीय पाठ्यक्रम आरंभ होगा।
कुलपति प्रो. फैजान मुस्तफा ने बताया कि सीमित व्यवस्था के कारण फिलहाल तीन वर्षीय एलएलबी के विद्यार्थियों को छात्रावास की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा सकेगी। विश्वविद्यालय के कार्यकारी परिषद ने वर्ष 2022 में एलएलबी पाठ्यक्रम की स्वीकृति दे दी थी, किंतु बार काउंसिल ऑफ इंडिया की अनुमति की प्रतीक्षा की जा रही थी।
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इस स्वीकृति के साथ सीएनएलयू देश का चौथा राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय बन गया है, जो नेशनल ला स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी बेंगलुरु, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ओडिशा और डीएसएनएलयू विशाखापत्तनम के बाद तीन वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम की शुरुआत कर रहा है। नामांकन की प्रक्रिया जल्द प्रारंभ की जाएगी।
इसके लिए सीएनएलयू की वेबसाइट पर विस्तृत जानकारी और लिंक अपलोड किया जाएगा। नामांकन के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाएगी।
छात्रावास के लिए सरकार से किया अनुरोध
कुलपति प्रो. फैजान मुस्तफा ने बताया कि एलएलबी में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों के लिए छात्रावास की व्यवस्था को विश्वविद्यालय ने बिहार सरकार से विश्वविद्यालय के समीवर्ती भूमि आवंटित करने का अनुरोध किया है, ताकि भविष्य में नए छात्रावासों का निर्माण कर आवासीय सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।
कुलपति ने विश्वास जताया कि जैसे विश्वविद्यालय के बीए एलएलबी (आनर्स), बीबीए एलएलबी (आनर्स) और एलएलएम पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को आकर्षित करते हैं, वैसे ही तीन वर्षीय एलएलबी भी छात्रों की पहली पसंद बनेगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस पाठ्यक्रम की शैक्षणिक गुणवत्ता पांच वर्षीय पाठ्यक्रम के समान स्तर की होगी।
कुलपति प्रो. फैजान मुस्तफा ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय बिहार सहित अन्य राज्यों के उन स्नातक विद्यार्थियों की वर्षों पुरानी मांग को पूरा करता है, जो स्नातक के उपरांत सीएनएलयू से विधि की पढ़ाई करना चाहते थे।
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