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    भारत की क्रिश्चिनिटी यूरोप से काफी पुरानी, लोकभवन में क्र‍िसमस उत्‍सव में बोले राज्‍यपाल, मैथ‍िली ठाकुर ने दी सुरीली प्रस्‍तुत‍ि

    By Dina Nath Sahani Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Tue, 23 Dec 2025 09:33 PM (IST)

    पटना के लोक भवन में पहली बार क्रिसमस उत्सव का आयोजन किया गया। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां ने कहा कि भारत में क्रिश्चिनिटी यूरोप से काफी पुरानी है। मैथिल ...और पढ़ें

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    लोक भवन में क्रिसमस कार्यक्रम का उद्घाटन करते राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा।

    राज्य ब्यूरो, पटना। Christmas in Governor House: बिहार लोक भवन में पहली बार क्रिसमस उत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां ने सभी धर्मों के उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यह त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है।

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    यह हमारे आपसी भाईचारा और प्रेम को मजबूती प्रदान करता है। हमारे देश में इस त्योहार को सभी समुदायों के लोग मनाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में क्रिश्चिनिटी यूरोप के क्रिश्चिनिटी से काफी पुरानी है और हमें इसपर गर्व है।

    राज्यपाल ने बिहार तथा देशवासियों को क्रिसमस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम को राज्यपाल के प्रधान सचिव राबर्ट एल. चोंग्थू, कैथोलिक चर्च, पटना के फादर जेम्स एवं नेशनल चर्च आफ इंडिया के विशप अब्राहम ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर कैरोल सॉंग की प्रस्तुति की गई। सुप्रसिद्ध लोक गायिका एवं विधायक मैथिली ठाकुर ने भी अपनी प्रस्तुति दी।

    कार्यक्रम में बिहार विधान सभा के अध्यक्ष डा. प्रेम कुमार, उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री रमा निषाद, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा. अनिल सुलभ तथा पूर्व गृह सचिव जियालाल आर्य समेत विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधि एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

    भारत का सर्वोच्च आध्यात्मिक एवं दार्शनिक आदर्श एकात्मता है 

    राज्यपाल ने कहा कि भारत का सर्वोच्च आध्यात्मिक एवं दार्शनिक आदर्श एकात्मता है। जब व्यक्ति के अंत:करण में एकात्मता का भाव जागृत होता है तब उसे यह अनुभूति होती है कि प्रत्येक व्यक्ति के भीतर परमात्मा के रूप में वही आत्मा विद्यमान है जो उसके भीतर है।

    मंगलवार को राज्यपाल ने बिहार लोक भवन के दरबार हाल में प्रभाकर सिन्हा द्वारा लिखित पुस्तक ट्रांसेडेंटल इकोज : ए स्पिरिचुअल जर्नी आफ अ वाक-इन-सोल के विमोचन के अवसर पर यह बात कही।

    उन्होंने कहा कि एकात्मता की इस अवस्था को इसी जीवन में प्राप्त किया जा सकता है। एकात्मता के भाव में रहने के कारण ही हमारे ऋषियों ने अपराधियों के लिए भी अपने दरवाजे खुले रखे और उनमें सुधार के प्रयास करते रहे।

    उन्होंने कहा कि हमारा शरीर नश्वर है, परंतु हमारे भीतर आत्मा के रूप में विद्यमान परमात्मा अविनाशी है। हमारी आध्यात्मिक परंपरा में उसे मानने का नहीं, बल्कि जानने का आवाहन किया गया है।

    उसे देखने के लिए ज्ञान चक्षु की आवश्यकता होती है। कार्यक्रम को बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रो.अरूण भगत, श्री श्री मां आनंदमयी संघ के महासचिव श्यामल जी महाराज एवं राज्यपाल के प्रधान सचिव राबर्ट एल. चोंग्थू समेत अन्य लोग उपस्थित थे।