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    नहाय-खाय के साथ 4 दिवसीय छठ महापर्व आज से आरंभ, कल से शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 06:00 AM (IST)

    आज से नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व का आरंभ हो गया। श्रद्धालु गंगा घाटों पर एकत्रित होकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं। बाजारों में पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए भीड़ उमड़ रही है। छठ व्रती भगवान सूर्य की उपासना में लीन हैं और घरों में प्रसाद बनाने की तैयारी चल रही है। यह पर्व शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का प्रतीक है, जिसमें छठी मैया की विशेष कृपा बरसती है।

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    नहाय-खाय के साथ 4 दिवसीय छठ महापर्व आज से आरंभ

    जागरण संवाददाता, पटना। भगवान भास्कर की आराधना के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शनिवार को नहाय-खाय से शुरू होगा। रविवार को खरना पूजन के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा। सोमवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य और मंगलवार को सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। राजधानी समेत प्रदेश भर में छठ महापर्व को लेकर उल्लास है।

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    पटना के गंगा घाटों पर तैयारियां अंतिम चरण में हैं। प्रदेश के प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में देव, बडगांव, उलार, पुण्यार्क आदि जगहों पर छठ व्रती भगवान सूर्य की उपासना में लीन रहेंगे। छठ व्रती गंगा और तालाबों से जल ले जाकर मिट्टी के बने चूल्हे पर शुद्ध वातावरण में प्रसाद तैयार करेंगे।

    प्रशासन की ओर से भी शुक्रवार की शाम तक छठ घाटों को अंतिम रूप दिया जा रहा था। शुक्रवार को दिन भर तैयारी का जायजा लेने के लिए राजधानी के लोग अलग-अलग घाटों पर पहुंचते रहे। नहाय-खाय को लेकर बाजारों में पूरे दिन चहल-पहल रही। लोगों ने पूजन सामग्री के अलावा कद्दू, मटर, धनिया पत्ता, साग, अगस्त के फूल, चना का दाल, चावल आदि की खरीदारी करते नजर आएं।

    ग्रह गोचर का बना रहेगा संयोग:

    लोक आस्था का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान कार्तिक शुक्ल चतुर्थी में नहाय-खाय के शुरू होगा। ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि शनिवार को शोभन , रवि एवं सिद्ध योग के उत्तम संयोग में व्रती नहाय-खाय करेंगी। रविवार को रवियोग व सर्वार्थ सिद्धि योग में व्रती खरना का प्रसाद ग्रहण करेंगी।

    सोमवार को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के साथ सुकर्मा योग में अस्ताचलगामी सूर्य को एवं मंगलवार को त्रिपुष्कर एवं रवियोग का मंगलकारी संयोग में व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद चार दिवसीय महापर्व का समापन पारण के साथ करेंगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ व्रत करने की परंपरा ऋग्वैदिक काल से चली आ रही है।

    महापर्व में बरसती है छठी मैया की कृपा:

    छठ महापर्व के दौरान व्रती पर छठी मैया की कृपा बरसती है। छठ महापर्व खासकर शरीर, मन तथा आत्मा की शुद्धि का पर्व है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार नहाय-खाय से छठ के पारण सप्तमी तिथि तक भक्तों पर छठी मैया की विशेष कृपा बरसती है। प्रत्यक्ष देवता सूर्य को पीतल या तांबे के पात्र से अर्घ्य देने से आरोग्यता का वरदान मिलता है। सूर्य की किरणों में कई रोगों को नष्ट करने की क्षमता होती है।

    नहाय-खाय के प्रसाद से दूर होते कष्ट

    छठ महापर्व के पहले दिन में आज नहाय-खाय में लौकी की सब्जी, अरवा चावल, चने की दाल, आंवला की चासनी के सेवन का खास महत्व है। वैदिक मान्यता है कि इससे संतान प्राप्ति को लेकर व्रती पर छठी मैया की कृपा बरसती है। खरना के प्रसाद में ईख के कच्चे रस, गुड़ के सेवन से त्वचा रोग, आंख की पीड़ा समाप्त हो जाते है। इसके प्रसाद से तेजस्विता, निरोगिता व बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है।

    स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है छठ

    मौसम में फास्फोरस की कमी होने के कारण शरीर में रोग (कफ, सर्दी, जुकाम) के लक्षण परिलक्षित होने लगते हैं। प्रकृति में फास्फोरस सबसे ज्यादा गुड़ में पाया जाता है। जिस दिन से छठ शुरू होता है उसी दिन से गुड़ वाले पदार्थ का सेवन शुरू हो जाता है, खरना में चीनी की जगह गुड़ का ही प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही ईख, गागर एवं अन्य मौसमी फल प्रसाद के रूप प्रयोग किया जाता है।

    जगमग हो रहे घाट:

    राजधानी में घर से लेकर घाट तक सजकर तैयार है। रंगीन रोशनी से घाट जगमगा रहे हैंं और छठ गीतों से माहौल भक्तिमय बना हुआ है। व्रतियों को घर-घर गंगाजल उपलब्ध हो इसके लिए हर मोहल्ले में निगम प्रशासन की ओर से टैंकर के माध्यम से गंगा जल पहुंचाया जा रहा है।

    छठ महापर्व में नहाय-खाय की तिथि

    • सूर्योदय: प्रातः 06:24 बजे
    • सूर्यास्त: शाम 05:36 बजे

     

    चार दिवसीय अनुष्ठान:

    • 25 अक्टूबर : नहाय-खाय
    • 26 अक्टूबर : खरना पूजन
    • 27 अक्टूबर : शाम का अर्घ्य
    • 28 अक्टूबर : सुबह का अर्घ्य