छठ नहाय-खाय : शुद्धता और स्वास्थ्य का संदेश, लौकी से लेकर चने की दाल तक की बढ़ी मांग, बाजारों में रौनक<br/>
छठ महापर्व का आरंभ नहाय-खाय से होता है, जिसमें व्रती शुद्ध होकर सात्विक भोजन करते हैं। इस दिन चना दाल, लौकी और चावल का विशेष महत्व है। ये खाद्य पदार्थ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक हैं। नहाय-खाय का भोजन शरीर को शुद्ध करता है और उपवास के लिए तैयार करता है। खरीदारी करते समय सामग्री की शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए।

नहाय-खाय के प्रसाद में भी छिपे है औषधीय गुण
जागरण संवाददाता, पटना। छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और इसी दिन से व्रत की पवित्र परंपरा प्रारंभ मानी जाती है। इस दिन व्रती शुद्धता का पालन करते हुए सात्विक भोजन करते हैं। भोजन में प्रयुक्त हर वस्तु जैसे चना दाल, लौकी, चावल और अगस्त का फूल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है, बल्कि यह स्वास्थ्य लाभ और शरीर शुद्धि से भी जुड़ी हुई है।
ज्योतिषाचार्य पीके युग बताते हैं कि नहाय-खाय का अर्थ ही है स्नान कर शुद्ध होकर सात्विक भोजन करना। इस दिन व्रती गंगा स्नान के बाद लौकी-चना दाल और अरवा चावल का भोजन करते हैं। यह भोजन शरीर को शुद्ध करने, पाचन तंत्र को संतुलित रखने और आने वाले कठोर उपवास के लिए तैयार करने में मदद करता है।
राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के काय चिकित्सा (मेडिसीन) विभाग के वरीय प्राध्यापक डा. अमरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि चना दाल में प्रोटीन और फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है, जो शरीर को लंबे समय तक ऊर्जा देता है। वहीं लौकी हल्की, पचने में आसान और शरीर को ठंडक देने वाली होती है। अरवा चावल यानी बिना पालिश वाला चावल शरीर में आवश्यक कार्बोहाइड्रेट प्रदान करता है, और अगस्त का फूल कैल्शियम, आयरन और विटामिन से भरपूर होता है, जो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
खरीदारी में रखें ध्यान
- नहाय-खाय की सामग्री बिना मिलावट और ताजा होनी चाहिए।
- चना दाल में नमी या काला दाग न हो, यह देखें।
- लौकी कच्ची, हरी और हल्की हो, अधिक पकी लौकी खाने योग्य नहीं रहती।
- अगस्त के फूल ताजे और बिना झुर्री के हों।
- अरवा चावल चुनते समय बिना चमक वाला, मोटा दाना लें, यह अधिक पौष्टिक होता है।

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