Bihar Politics: 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी चंद्रशेखर की आसपा, उनमें 64 पर पिछली बार हारा था महागठबंधन
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में 100 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जौहर आजाद ने बताया कि 64 सीटें ऐसी हैं जहां महागठबंधन पिछली बार हारा था। उन्होंने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर भाजपा जीती तो श्रेय दो युवराजों को जाएगा। बाकी सीटों पर राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्णय लेंगे।

राज्य ब्यूरो, पटना। आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) में 100 सीटों पर प्रत्याशी देने की घोषणा की है।
गुरुवार को प्रेस-वार्ता कर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जौहर आजाद ने बताया कि पार्टी की पसंदीदा 100 में से 64 सीटें ऐसी हैं, जहां पिछली बार महागठबंधन की हार हुई थी और इस बार भी वहां उसकी स्थिति कमजोर है।
आंतरिक सर्वेक्षण के आधार पर इन सीटों पर आजाद समाज पार्टी (आसपा) पूरी शक्ति से दांव आजमाएगी। अगर बिहार में भाजपा की सरकार बनी तो उसका श्रेय दो युवराजों को जाएगा। उनका संकेत राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की ओर था।
जौहर ने बताया कि शेष 143 सीटों पर चुनाव लड़ने या किसी को समर्थन देने का निर्णय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद लेंगे। 21 जुलाई को बापू सभागार में भीम आर्मी के राष्ट्रीय अधिवेशन में उनकी उपस्थिति होनी है।
मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्य पर रोक लगाए चुनाव आयोग : श्रवण अग्रवाल
दूसरी ओर, बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर सियासत तेज है। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी एवं दलित सेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने राज्य में चल रहे मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान पर अविलंब रोक लगाने की मांग की है।
उन्होंने बुधवार को चुनाव आयोग से कहा कि जब तक मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है और न्यायालय का आदेश नहीं आ जाता है तब तक इस पुनरीक्षण कार्य पर रोक लगनी चाहिए।
श्रवण अग्रवाल ने कहा कि राज्य में मतदाता सूची पुनरीक्षण की आड़ में दलित, पिछड़े एवं गरीब तबको के मताधिकार से वंचित करने का बड़ा षड्यंत्र चुनाव आयोग द्वारा रचा गया है। देश के इतिहास में पहली बार वंचित एवं गरीब तबकें के लोगों का वोट छीनने का काम चल रहा है।
केंद्र सरकार द्वारा चुनाव आयोग का राजनीतिकरण किया जा रहा है जो लोकतंत्र के लिए बेहद ही गंभीर खतरा है। ऐसा लग रहा है भारतीय जनता पार्टी जिन मतदाताओं एवं नागरिकों को वोटर मानेगी, उसे ही चुनाव आयोग के द्वारा मतदाता सूची में स्थान दिया जायेगा। पहले भी मतदाता सूची का पुनरीक्षण अभियान चलाया गया था, लेकिन कभी भी चुनाव आयोग इतने गंभीर आरोप नहीं लगे थे।
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