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    जब बापू को देख कांप उठी थी अंग्रेजी हुकूमत, 108 साल पहले 10 अप्रैल को पड़ी थी चंपारण सत्याग्रह की नींव

    Updated: Fri, 11 Apr 2025 03:30 PM (IST)

    चंपारण सत्याग्रह 10 अप्रैल 1917 को शुरू हुआ जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। महात्मा गांधी ने नील की खेती के लिए मजबूर किसान ...और पढ़ें

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    108 साल पहल आज ही पड़ी थी चंपारण सत्याग्रह की नींव

    डिजिटल डेस्क, पटना। 10 अप्रैल, 1917 को चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत हुई, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। इस आंदोलन ने महात्मा गांधी को देश के सामने लाया और उन्हें 'महात्मा' और 'राष्ट्रपिता' की उपाधि दिलाई। चंपारण सत्याग्रह को आज 108 साल पूरे हो चुके हैं। 

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    आइए, जानते हैं कि चंपारण सत्याग्रह किस तरह आजादी की लड़ाई में नींव का पत्थर साबित हुआ...

    चंपारण की स्थिति

    पहले विश्व युद्ध के दौरान, चंपारण के किसान नील की खेती के कारण परेशान थे। अंग्रेजी हुकूमत ने 'तीन कठिया' कानून लागू किया था, जिसके तहत किसानों को अपनी जमीन के तीन कट्ठा हिस्से में नील की खेती करनी पड़ती थी। इससे किसानों की जमीन बंजर हो गई और उन्हें अपनी आजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ा।

    गांधी का आगमन

    किसानों की परेशानी को दूर करने के लिए राजकुमार शुक्ल ने महात्मा गांधी से संपर्क किया। गांधी ने चंपारण का दौरा किया और किसानों की समस्याओं को समझा। उन्होंने देखा कि किसानों को नील की खेती के लिए मजबूर किया जा रहा है और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।

    सत्याग्रह की शुरुआत

    गांधी ने चंपारण में सत्याग्रह की शुरुआत की और किसानों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाई और किसानों के समर्थन में खड़े हुए। गांधी के नेतृत्व में, किसानों ने नील की खेती के खिलाफ विरोध किया और अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी।

    चंपारण सत्याग्रह की जीत

    चंपारण सत्याग्रह की पहली जीत तब हुई जब अंग्रेजी हुकूमत ने गांधी के आगे झुकते हुए मुकदमा वापस ले लिया और जांच में सहयोग करने का आदेश दिया। इसके बाद, प्रांतीय सरकार ने भी किसानों पर अत्याचार के खिलाफ जांच के लिए एक समिति बना दी। गांधी जी को समिति में जगह मिली और उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी।

    चंपारण सत्याग्रह का महत्व

    चंपारण सत्याग्रह ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक नए युग की शुरुआत की। इस आंदोलन ने महात्मा गांधी को देश के सामने लाया और उन्हें 'महात्मा' और 'राष्ट्रपिता' की उपाधि दिलाई।

    चंपारण सत्याग्रह ने दिखाया कि अहिंसक तरीके से भी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा सकती है और किसानों के अधिकारों की रक्षा की जा सकती है।

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