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    Chaiti Chhath 2022: नहाय-खाय के साथ आज से चैती छठ आरंभ, जानिए किस दिन क्‍या है और शुभ मुहर्त

    By Shubh Narayan PathakEdited By:
    Updated: Tue, 05 Apr 2022 06:19 AM (IST)

    Chaiti Chhath 2022 Date छठ सुनते ही जेहन में बिहार की तस्‍वीर उभरती है। बिहार की राजधानी पटना में लोग चैती छठ के लिए पूरी तरह तैयार हो गए हैं। छठ के व्रत का आरंभ नहाय-खाय के साथ आज से हो रहा है।

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    पटना में छठ पर्व की पुरानी तस्‍वीर। जागरण आर्काइव

    जागरण संवाददाता, पटना। Chaiti Chhath 2022: सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान  मंगलवार से नहाय-खाय से आरंभ हो रहा है। शहर के गंगा घाटों पर छठ गीत गाते व्रती नहाय-खाय के साथ व्रत को आरंभ कर रहीं हैं। ज्योतिषाचार्य राकेश झा ने पंचांग के हवाले से बताया कि चैत्र शुक्ल चतुर्थी पांच अप्रैल को सर्वार्थ सिद्धि व रवि योग के पुण्यकारी संयोग में नहाय-खाय होगा। व्रती गंगा स्नान करने के बाद भगवान सूर्य को अघ्र्य एवं पूजा अर्चना करने के बाद अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी ग्रहण करेंगी।

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    छह अप्रैल को रोहिणी नक्षत्र व आयुष्मान योग में पूरे दिन उपवास करने के बाद शाम में खरना का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला उपवास व्रत का संकल्प लेंगी। चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि सात अप्रैल को छठ व्रती अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य को अघ्र्य  देंगी। आठ अप्रैल को उदयीमान सूर्य को अर्ध्‍य देकर चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ का समापन करेंगी। 

    चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि को मां कात्यायनी की पूजा 

    चैत्र नवरात्र के छठे दिन यानी चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि को मां कात्यायनी की पूजा का विधान है। वहीं, प्राचीन समय से इस दिन सूर्य देव की भी पूजा होते रही है जिसे सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार छठी मइया को ब्रह्मा का मानस पुत्री कहा जाता है। ये वही देवी हैं जिनकी पूजा नवरात्र में षष्ठी तिथि को मां कात्ययानी के रूप में की जाती है। इनकी पूजा करने से संतान की प्राप्ति व संतान को लंबी उम्र प्राप्त होती है। मान्यता के अनुसार सूर्य देव की बहन के रूप में छठी मइया को जाना जाता है। छठ पर्व के मौके पर भगवान सूर्य और छठी मइया की पूजा अर्चना करने से व्रती को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। 

    प्रमुख तिथियां

    • पांच अप्रैल - नहाय-खाय
    • छह अप्रैल - खरना 
    • सात अप्रैल - डूबते सूर्य को अर्घ्‍य
    • आठ अप्रैल - उगते सूर्य को अर्घ्‍य