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    Ekadashi Vrat February 2025: वैष्णव और गृहस्थ एक साथ रखेंगे एकादशी व्रत, जानिए पूजा विधि और महत्व

    24 फरवरी को सिद्ध योग में वैष्णव और गृहस्थ एक साथ एकादशी व्रत रखेंगे। इस दिन साधु-संत सन्यासी वैष्णवजन के साथ गृहस्थ आश्रम के लोग पवित्रता व निष्ठा के साथ व्रत रख कर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा अर्चना करेंगे। विजया एकादशी को शिववास का संयोग होने से विष्णु के साथ भगवान शिव का भी पूजन होगा। व्रत करने से साधक को सभी क्षेत्रों में विजय की प्राप्ति होती है।

    By prabhat ranjan Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 21 Feb 2025 03:05 PM (IST)
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    वैष्णव और गृहस्थ एक साथ रखेंगे एकादशी व्रत

    जागरण संवाददाता, पटना। सनातन धर्म में एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat February 2025) का विशेष महत्व है। वर्ष में 24 एकादशी व्रत होते हैं। प्रत्येक मास में दो एकादशी जिसमें एक कृष्णपक्ष में तो दूसरा शुक्लपक्ष में पड़ता है। फाल्गुन कृष्ण एकादशी 24 फरवरी सोमवार को विजया एकादशी के रूप में मनाया जाएगा।

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    इस दिन साधु-संत, सन्यासी, वैष्णवजन के साथ गृहस्थ आश्रम के लोग पवित्रता व निष्ठा के साथ व्रत रख कर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा अर्चना करेंगे।

    इस दिन शाम 4.10 बजे तक पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र फर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र विद्यमान रहेगा। विजया एकादशी को शिववास का संयोग होने से विष्णु के साथ भगवान शिव का भी पूजन होगा।

    व्रत करने से साधक को सभी क्षेत्रों में विजय की प्राप्ति होती है। एकादशी का व्रत रोग-शोक से मुक्ति तथा शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी का व्रत करने प्रभु श्रीराम ने रावण पर विजय हासिल किया था।

    पूजन विधि:

    विजया एकादशी के दिन पवित्र जल या गंगा नदी में स्नान कर श्रीहरि विष्णु की विधिवत पूजा होगी। इस दौरान गंगाजल व पंचामृत से स्नान कराकर वस्त्र, उपवस्त्र, यज्ञोपवीत, चंदन, पुष्प, इत्र, तिल, तुलसी से शृंगार कर धूप-दीप, मिष्ठान अर्पित कर भगवान की आरती होगी।

    इस दिन श्रद्धालु घरों में भगवान सत्यनारायण की पूजा प कथा श्रवण करेंगे। शंख, करताल, झाल, घंटी बजा कर भगवान की आरती उतारी जाएगी। व्रत का पारण 25 फरवरी मंगलवार को स्नान, पूजा के बाद अन्न, वस्त्र, फल, घी, स्वर्ण आदि के दान के बाद गाय के दही से पारण होगा।

    व्रत के दौरान इस मंत्र का करें जाप

    व्रत के दौरान श्रद्धालु ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः। ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात्। ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम: का जाप करने के साथ विष्णु सहस्त्रनाम, पुरुष सुक्त, श्री सुक्त, रामचरित मानस का पाठ करेंगे।

    श्रद्धालु गोदान, वस्त्रदान, छत्र, जूता, फल, सत्तू, सुपारी, जनेऊ, जलघट, पंखा आदि का दान जरूरतमंदों को अर्पित कर पुण्य प्राप्त करेंगे।

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता में एकादशी व्रत की महिमा का वर्णन किया है। व्रत करने से प्राणी एकादशी के समान पवित्र और दिव्य हो जाता है।

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