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    बिहार में निजी स्‍कूल खोलना अब होगा मुश्‍क‍िल, शर्तें पूरी नहीं करने वाले पुराने संस्‍थान भी होंगे बंद

    By Shubh Narayan PathakEdited By:
    Updated: Sun, 15 May 2022 12:48 PM (IST)

    निजी स्कूलों को आसान नहीं होगा संबद्धता लेना कड़े होंगे प्रविधान एनओसी के लिए शिक्षा विभाग से स्थल निरीक्षण एवं भौतिक सत्यापन कराना जरूरी जांच टीम जियो मैपिंग कराकर सौपेंगी रिपोर्ट विद्यालय प्रबंधन को एनओसी के लिए कार्यपालक दंडाधिकारी से अनुमोदित शपथ पत्र के साथ करना होगा आवेदन

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    बिहार में नए और पुराने निजी स्‍कूलों के लिए नियम होंगे और कड़े। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

    दीनानाथ साहनी, पटना। बिहार में नए निजी स्कूलों को सीबीएसई और आइसीएसई से संबद्धता प्राप्त करना अब आसान नहीं होगा। एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) देने के लिए कड़े प्रविधान किए जा रहे हैं। स्कूल प्रबंधन को एनओसी के लिए शिक्षा विभाग से स्थल निरीक्षण एवं भौतिक सत्यापन कराना जरूरी होगा। आनलाइन आवेदन में स्कूल के बारे में जो भी जानकारी दी जाएगी, उसके आलोक में ही जांच टीम निरीक्षण करेगी और संतुष्ट होने पर जियो मैपिंग कराकर रिपोर्ट देगी। 

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    स्कूल की मान्यता के लिए एक एकड़ जमीन अनिवार्य 

    अब सिर्फ रजिस्टर्ड सोसायटी को प्राइवेट स्कूल खोलने की मान्यता मिलेगी। स्कूलों के प्रस्ताव पर तभी विचार किया जाएगा, जब निर्धारित अर्हता पूरी होगी। इसमें शहरी क्षेत्र में कम से कम एक एकड़, अनमुंडल में डेढ़ एकड़ और ग्रामीण क्षेत्र में दो एकड़ जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। इससे कम जमीन होने पर मान्यता नहीं दी जाएगी। कम जमीन पर एनओसी तो दूर आवेदन को ही खारिज कर दिया जाएगा। 

    258 स्कूल ऐसे हैं जो पूरा नहीं करते अर्हता 

    एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि विभिन्न जिलों से मिली रिपोर्ट में ऐसे 258 निजी स्कूलों की जानकारी मिली है, जो अर्हता पर खरा नहीं उतरते हैं। ऐसे स्कूलों की रिपोर्ट सीबीएसई/आइसीएसई को भेजी जाएगी ताकि उसके संज्ञान में रहे कि ऐसे स्कूलों की मान्यता देने से पहले सरकार की एनओसी जरूर प्राप्त कर लें। इतना ही नहीं, दर्जनों स्कूल ऐसे हैं जो शहर के बीचोंबीच हैं, ऐसे में या तो स्कूल शिफ्ट करना होगा, या फिर बंद ही एकमात्र विकल्प बचेगा।

    संगीत और खेल शिक्षक होना भी जरूरी 

    इसके साथ ही स्कूलों को अब एक संगीत शिक्षक, खेल शिक्षक, प्रयोगशाला सहायक और एक कार्यालय सहायक के साथ ही एक सलाहकार रखना जरूरी होगा, जो मनोविज्ञान विषय में स्नातक हो या जिसके पास काउंसिलिंग में डिप्लोमा का सर्टिफिकेट हो। दरअसल, सरकार की मंशा है कि प्रदेश में भले ही कम निजी स्कूल खुलें, लेकिन जो भी खुलें वो अच्छे हों।