पटना में 100 साल पहले सबसे अधिक अहीर, कुर्मी और बाभन की थी आबादी; इस बार होगी इन 204 जातियों की गणना
Bihar News बिहार में जाति आधारित गणना की तैयारी शुरू पटना में 41 चार्ज पदाधिकारी कराएंगे जाति आधारित जनगणना जिले में 204 जातियों की होगी गणना 700 की आबादी पर एक ब्लाक का होगा गठन जानिए 100 साल पहले कैसी थी स्थिति

पटना, जागरण टीम। Bihar News: बिहार में जाति आधारित गणना का कार्य शुरू होने वाला है। पटना जिले में 41 चार्ज पदाधिकारी यह कार्य करेंगे। 700 की आबादी पर एक ब्लाक का गठन किया जाएगा। यदि किसी वार्ड की संख्या अधिक होगी तो वहां उप-ब्लाक बनाया जाएगा। जिले में 204 जातियों की सूची बनाई गई है जिसकी गणना की जाएगी। इससे लंबे समय के बाद जातिवार आंकड़े सामने आएंगे। अंग्रेजी राज में इस तरह का सर्वे कराया गया था। तब पटना जिले में सबसे अधिक आबादी अहीर या ग्वाला और कुर्मी जाति की थी। तीसरे नंबर पर बाभन थे।
1907 में पटना में 19 प्रमुख जातियां थीं
अंग्रेजी राज में 1907 में एक ब्रिटिश अधिकारी ओ. मैली ने पटना समेत कई अन्य जिलों के गजेटियर तैयार कराए थे। उस वक्त पटना जिला के गजेटियर में यहां की प्रमुख जातियों की जनसंख्या का ब्योरा जुटाया गया था। मैली के अनुसार मुसलमानों में शेख (56,302) के बाद जुलाहों (28,602) की महत्वपूर्ण उपस्थिति है। ङ्क्षहदुओं में सबसे अधिक अहीर या ग्वाला (232,908 ), कुर्मी (167,522), बाभन (108,263), दुसाध (100,200), कहार (84,531), कोइरी (72,491), राजपूत (63,724), चमार (60,472) और तेली (42,277) थे। इसके अतिरिक्त आठ ऐसी और जातियां हैं जिनकी आबादी 25,000 से ज्यादा हैं। इनमें बढई, ब्राह्मण, धानुक, हज्जाम, कन्दुस, मुसहर, पासी और कायस्थ थे।
पटना जिले को मिली 240 जातियों की सूची
इस बार जाति गणना के लिए जिलाधिकारी को नोडल पदाधिकारी सह प्रधान गणना पदाधिकारी अधिसूचित किया गया है। पटना जिले में एक नगर निगम, 12 नगर परिषद, चार नगर पंचायत, 23 प्रखंड और एक छावनी परिषद है। जिले को इसके हिसाब से 41 चार्ज पदाधिकारी होंगे। चार्ज पदाधिकारी के रूप में प्रखंड विकास पदाधिकारी, कार्यपालक पदाधिकारी और प्रशासी पदाधिकारी होंगे। सामान्य प्रशासन विभाग ने पटना जिले को 204 जातियों की सूची भेजी है। सूची के अनुसार अनुसूचित जाति में 22, अनुसूचित जनजाति में 32, पिछड़ा वर्ग में 30, अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 113 और उच्च जाति में 7 की गणना करनी है।
अत्यंत पिछड़ा वर्ग में हैं ये जातियां
कपरिया, कानू, कलन्दर, कोछ, कुर्मी (महतो) झारखंड क्षेत्र, केवट (कउट), कादर, कोरा, कोरकू, केवर्त, खटवा, खतौरी, खंगर, खटिक, खेलटा, गोड़ी (छावी), गंगई, गंगोता, गंधर्व, गुलगुलिया, चांय, चपोता, चन्द्रवंशी(कहार, कमकर), टिकुलहार, ढेकारू, तमरिया, तुरहा, तियर, धानुक, धामिन, धीमर, धनवार, नोनिया, नाई, नामशुद्र, पांडी, पाल(भेड़िहार, गड़ेरी), प्रधान, पिनगनिया, पहिरा, बारी, बेलदार, बिन्द।
सेखड़ा, बागदी, भुईयार, भार, भास्कर, माली (मालाकार), मांगर, मदार, मल्लाह, मझवार, मारकंडे, मोरियारी, मलार, (मालहोर), मौलिक, राजधोबी, राजभर, रंगवा, वनपर, सौटा (सोता), संतराश (केवल नवादा में), अघोरी, अबदल, कसाब (कसाई मुस्लिम), चीक, डफाली (मुस्लिम), धुनिया (मुस्लिम), नट (मुस्लिम), पमरिया (मुस्लिम), भठियारा (मुस्लिम), भाट (मुस्लिम), मेहतर, लालबेगीया, हलालखोर, भंगी (मुस्लिम), मिरियासीन, (मुस्लिम).मदारी (मुस्लिम), मोरशिकार (मुस्लिम), साई/फकीर/दिवान/मदार (मुस्लिम), मोमिन (मुस्लिम) (जुलाहा/अंसारी), अमात, चुडीहार (मुस्लिम)।
प्रजापति (कुम्हार), राईन या कुंजरा (मुस्लिम), सोयर, ठकुराई (मुस्लिम), नागर, शेरशाहबादी, बक्खो (मुस्लिम), अदरखी, छीपी, तिली, इदरीसी या दर्जी (मुस्लिम), सैकलगर (सिकलगर मुस्लिम), रंगरेज (मुस्लिम), मुकेरी (मुस्लिम), ईटफरोश/गदहेड़ी/ईटपज इब्राहिमी (मुस्लिम), सिंदुरिया बनिया/कैथल वैश्य / कथबनिया, बढई, पटवा, कमार (कर्मकार), देवहार, सामरी, वैश्य, हलुवाई, पैरघा/परिहार, जागा, लहेरी, राजवंशी( रिसिया/देशिया या पोलिया), कुल्हैया, अवध बनिया, बरई, तमोली (चौरसिया), तेली (हिंदु एवं मुस्लिम) और दांगी।
सामान्य में केवल सात जातियां
भूमिहार, ब्राह्मण, राजपूत, ठाकुर, पठान, कायस्थ और बरनवाल
अनुसूचित जाति
बंतार, बौरी, भोगता, भुईया, चमार, मोची, चौपाल, दबगर, धोबी, डोम, धनगड, दुसाध, धारी, धारही, घासी, हलालखोर, हरि, मेहतर, भंगी, कंजर, कुररियार, लालबेगी, मुसहर, नट, पान, स्वासी, पासी, रजवार, तुरी।
अनुसूचित जनजाति
असुर, अगरिया, बैगा, बेदिया, बिनझिया, बिरहोर, बिरजिया, चेरो, चिक, बराइक, बरैक, गोंड, गोरेत, हो, करमाली, खरिया, धेलकी खरिया, दूध खरिया, हिल खरिया, खरवार, खोंड, किसान, नगेसिया, कोरा, मुदी- कोरा, कोरवा, लोहार, लोहरा, माहली, माल पहाडिया, कुमारभग पहाडिया, मुंडा, पतार, धांगर/धनगर (उरांव), परहैया, संताल, सौरिया पहाडिया, सावर, कवार और कोल।
पिछड़ा वर्ग
कुशवाहा (कोईरी), कागजी, कोस्ता, गद्दी, घटवार, चनउ, जदुपतिया, जोगी, नालबंद (मुस्लिम), परथा, बनिया, यादव-(ग्वाला, अहीर, गोरा, घासी, मेहर, सदगोप, लक्ष्मी नारायण गोला), रौतिया, शिवहरी, सोनार, सुकियार, ईसाई धर्मावलंबी (हरिजन), ईसाई धर्मावलंबी (अन्य पिछड़ी जाति), कुर्मी, भाट,भट, ब्रह्मभट्ट (हिंदू), जट (हिन्दू) (सहरसा, सुपौल, मधेपुरा और अररिया जिलों के लिए), मडरिया (मुस्लिम भागलपुर जिला के सन्हौला प्रखंड एवं बांका जिला के धोरैया प्रखंड के लिए)
दोनवार (केवल मधुबनी और सुपौल जिला), सुरजापुरी मुस्लिम (शेख, सैयद, मल्लिक, मोगल, पठान को छोडकर केवल पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज एवं अररिया जिले में), मलिक (मुस्लिम), राजवंशी (रिसिया एवं पोलिया), छीपी, गोस्वामी, सन्यासी, अतिथ /अथित, गोसाई, जति/यती, ईटफरोश/ गदहेडी, सैंथवार, किन्नर/कोथी/हिजड़ा/ट्रांसजेंडर।
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