Sugar Test Machine: नहीं सहनी होगी सुई की चुभन, फूंक से चीनी की मात्रा बता देगी 'केयर'
पटना के अच्युत अग्रवाल और प्रयागराज के सर्वेश द्विवेदी ने 'केयर' नामक एक मशीन बनाई है, जो फूंक मारकर खून में चीनी की मात्रा बताएगी। बैटरी से चलने वाली यह मशीन 5-10 सेकंड में परिणाम देती है और एक बार चार्ज करने पर 20 बार जांच कर सकती है। इस मशीन का क्लीनिकल ट्रायल एम्स पटना में चल रहा है। पेटेंट मिलने के बाद इसे बाजार में लाया जाएगा।

नहीं सहनी होगी सुई की चुभन, फूंक से चीनी की मात्रा बता देगी 'केयर'
जागरण संवाददाता, पटना। मधुमेह की जांच के लिए अब सुई की चुभन नहीं सहनी होगी। पटना के अच्युत अग्रवाल और प्रयागराज के सर्वेश द्विवेदी की 'केयर' नाम की मशीन फूंक से खून में चीनी की मात्रा बता देगी। बैटरी से चलने वाली 500 ग्राम की मशीन पांच से 10 सेकेंड के अंदर परिणाम देती है। 86 प्रतिशत सही रिजल्ट बताने वाली ''''केयर'''' को एक बार चार्ज करने पर 20 बार मधुमेह की जांच की जा सकती है।
पटना सिटी के रहने वाले 24 वर्षीय अच्युत और 26 वर्षीय सर्वेश ने आईआईटी दिल्ली में मशीन का निर्माण किया। इसके लिए वर्ष 2022 से शोध शुरू करने के बाद दो साल में सात लाख रुपये खर्च कर मशीन तैयार की।
वीआईटी वेल्लोर से इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक और गुरुग्राम के पीडब्ल्यूसी से डेढ़ साल साइबर सिक्योरिटी पर काम करने वाले अच्युत के स्टार्टअप को आईआईटी पटना के सहयोग से केंद्र सरकार की निधि प्रयास योजना से छह लाख रुपये की मदद मिली।
20 हजार जांच कर सकती एक मशीन
अच्युत ने बताया पांच हजार रुपये की एक वशीन से 20 हजार बार डायबिटीज की जांच की जा सकती है। एक वर्ष की गारंटी वाली मशीन में डायबिटीज की गड़ना के लिए ऐसीटोन गैस, समस्थानिक कार्बन डाइऑक्साइड गैस, आइसोप्रीन गैस का इस्तेमाल किया गया है।
तीन एस्ट्रोनाइड की खोज करने वाले नासा के सिटीजन साइंटिस्ट अच्युत बताते हैं कि अभी मशीन 86 प्रतिशत सही परिणाम बता रही है। इसके लिए डेटा और बेहतर करने की कोशिश की जा रही है। तीन से चार महीने में 95 प्रतिशत तक सही आंकड़ा बताने की उम्मीद है। पेटेंट मिलने पर इसे बाजार में लाएंगे। एक मशीन की कीमत सात हजार रुपये होगी।
दादा का कष्ट देख बना दी मशीन
अच्युत के दादा कैंसर पीड़ित थे। जिन्हें बार-बार डायबिटीज जांच के लिए रक्त परीक्षण करना पड़ता था। उनकी पीड़ा देख अच्युत ने सस्ती, तेज, और दर्दरहित मशीन बनाने का विचार आया। इसके लिए इंटरनेट और विषय से संबंधित किताबें पढ़ीं। इसके बाद मशीन पर काम शुरू किया
। अच्युत ने बताया कि इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) और एम्स पटना में मशीन का क्लीनिकल ट्रायल प्रगति पर है।

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