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    पटना में पटाखों के विकल्प बनी कार्बाइड गन ने 50 से अधिक लोगों की नेत्र ज्योति छीनी

    Updated: Thu, 23 Oct 2025 08:53 AM (IST)

    पटना में पटाखों के विकल्प के तौर पर कार्बाइड गन का उपयोग बढ़ रहा है, जिससे 50 से ज़्यादा लोगों की आँखों की रोशनी जा चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे निकलने वाली गैस आँखों के लिए हानिकारक है, जिससे अंधापन हो सकता है। प्रशासन ने इसके इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया है।

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     इमरजेंसी में पहुंचे बच्चों के चेहरे व आंखों को हुआ गंभीर नुकसान

    पवन कुमार मिश्र, पटना। दीपावली और पटाखों का गहरा संबंध है लेकिन कार्बाइड गन रूपी जुगाड़ खुशियों की जगह मातम लेकर आ रहा है। सस्ते में जितनी बार चाहे आवाज के साथ चमक और नए रोमांच की चाहत में यह घटना हो रही है। देश के विभिन्न राज्यों की तरह प्रदेश भी करीब 150 बच्चे इसकी चपेट में आकर अस्पताल पहुंच चुके हैं। इनमें से कई रेटिना उड़ने से स्थायी रूप से आंखों की रोशनी खो चुके हैं तो कई के आंख के आसपास व चेहरे की त्वचा बुरी तरह झुलस गई है।

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    आइजीआइएमएस स्थित क्षेत्रीय चक्षु केंद्र के चीफ सह उप निदेशक डा. विभूति प्रसन्न सिन्हा के अनुसार दिवाली के पहले व बाद में अबतक करीब 50 बच्चे कार्बाइड गन से घायल होकर इलाज कराने आ चुके हैं। सरकारी व निजी अस्पतालों के आंकड़े समेकित न होने से अभी यह नहीं पता कि प्रदेश में कुल कितने बच्चे इसकी चपेट में आए होंगे लेकिन अनुमान है कि 150 से 200 तक लोग गंभीर या आंशिक रूप से जुगाड़ गन से दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं।


    जुगाड़ में धोखे की आशंका कई गुना ज्यादा

    डा. विभूति व नेत्र रोग विशेषज्ञ निम्मी रानी के अनुसार कार्बाइड गन, दो प्लास्टिक पाइप एक थोड़ा मोटा व दूसरा थोड़ा पतला को ज्वाइंटर से जोड़ कर बनाया जाता है। मोटे पाइप को एक ओर से बंद कर उसमें कैल्शियम कार्बाइड व पानी डाल कर पाइप के ऊपर से गैस लाइटर लगाया जाता है। कैल्शियम कार्बाइड पानी के संपर्क में आने पर अत्यधिक ज्वलनशील एसिटिलिन गैस पैदा करती है जो जरा सी चिंगारी या अधिक दबाव से रोशनी के साथ विस्फोट करती है।

    बच्चे कैल्शियम कार्बाइड को पानी के संपर्क में लाने के लिए पहले पाइप को हिलाते हैं और फिर ऊपर से गैस लाइटर दबाते हैं तो विस्फोट होता है। कई बार विस्फोट नहीं होने पाइप के एक सिरे पर आंख लगाकर अंदर देखने का प्रयास करते हैं कि कैल्शियम कार्बाइल पानी के संपर्क में आ रहा है कि नहीं। इसी क्रम में अचानक तेजी से हुआ विस्फोट आंखों की रेटिना तक उड़ा देता है।

    धमाके के साथ निकली लपट का तापमान व दबाव इतना अधिक होता है कि कुछ सेकेंड में ही चेहरा, आंख व त्वचा जल जाती है। गैस व विस्फोटक दबाव के साथ निकले कार्बाइड के बारीक कण आंख की पुतली, कार्निया व नसों में धंस कर गंभीर नुकसान पहुंचाते हुए स्थायी अंधेपन तक की आशंका बढ़ जाती है। वहीं कई बच्चे आंख की जगह कान लगाकर गैस निकलने की आवाज सुनने का प्रयास करते हैं, ऐसे में उनके कान का पर्दा फट जाता है। इससे अस्थायी या स्थायी श्रवण क्षति हो सकती है।


    सावधानी ही सुरक्षा

    • बच्चों को किसी भी देसी गन या गैस वाले पटाखे से दूर रखें।
    • आंख या चेहरा जलने पर तुरंत ठंडे पानी से धोकर नजदीकी अस्पताल ले जाएं।
    • घर में ऐसी कोई सामग्री (कैल्शियम कार्बाइड, गैस लाइटर, पाइप आदि) बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
    • इस गन से चोट लगने पर आंख नहीं रगड़नी नहीं चाहिए क्योंकि आंख में घुसे कार्बाइड के कण अंदर घुस कार्निया को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर सकते हैं।


    इंटरनेट मीडिया से वायरल हुई कार्बाइड गन

    कार्बाइड गन इंटरनेट मीडिया से वायरल होकर लाखों-करोड़ों बच्चों तक पहुंच गई है। बच्चे इसे दिवाली का नया ट्रेंड समझ बैठे। इसके खतरे से अंजान दुकानदार भी इन्हें बेचने लगे। सौ से दो सौ में बाजार में यह बिक रही है तो घर में भी इसे बना कर प्रयोग किया जा रहा है। बच्चे दुकान से खरीदी या बनाई गन के अचानक रूकने पर इसकी नाल में झांक कर देखने के क्रम में हादसे का शिकार हो रहे हैं। देश भर में ऐसे मामले सामने आने के बाद कार्बाइड गन को खतरनाक ट्रेंड माना जा रहा है पर इसके वीडियो अभी तक हटाए नहीं गए हैं।

    साल दर साल बढ़ रही ऐसे बच्चों की संख्या

    नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. निम्मी रानी के अनुसान हर साल की तरह इस साल भी कार्बाइड पटाखे की वजह से हर आयु वर्ग के बहुत से साधारण, गंभीर व अतिगंभीर मरीज अस्पताल पहुंचे हैं। कार्बाइड गन अत्यंत खतरनाक बम जैसा है। हर वर्ष इस बम की वजह से कई युवा व बच्चे चोटिल हो रहे हैं, इनमें से अधिसंख्य की आंखें हमेशा के लिए क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। जटिल व त्वरित आपरेशन करके भी हम ऐसी आंखों को बचा नहीं पाते हैं। कार्बाइड गन बनाने व इनकी बिक्री पर तुरंत रोक लगनी चाहिए।