Cancer: कैंसर होने की सामने आई एक और वजह, नई रिपोर्ट ने सबको चौंकाया; तुरंत हो जाएं सावधान!
Cancer Treatment एक रिसर्च मे चौंका देने वाली बात सामने आई है। महावीर कैंसर अस्पताल के विज्ञानियों ने एक अध्ययन में पाया कि गंगा तट पर रहने वाले लोगों में मैंगनीज की उच्च सांद्रता कैंसर का कारण बन सकती है। 1146 कैंसर रोगियों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि 908 रोगियों में मैंगनीज की सांद्रता सामान्य से अधिक थी।

पवन कुमार मिश्र, पटना। गंगा तट पर रहने वालों को अब केवल आर्सेनिक, आयरन, जिंक, कैडमियम की अधिकता से कैंसर का खतरा नहीं है। इसमें पहली बार मैंगनीज धातु भी शामिल हो गई है, जिसे अब तक कम कैंसरकारक माना जाता था।
आइसीएमआर की स्वीकृति व अनुदान से महावीर कैंसर अस्पताल के विज्ञानियों ने 1146 कैंसर रोगियों पर किए अध्ययन से यह सिद्ध किया है। 767 महिलाओं व 379 पुरुष कैंसर रोगियों में से 908 के रक्त में मैंगनीज की उच्च सांद्रता 15 माइक्रोन ग्राम प्रति लीटर से अधिक पाई गई। 41 से 60 आयुवर्ग के लोगों में यह सर्वाधिक थी।
इनमें से सर्वाधिक 381 स्तन, 309 हेपेटोबिलरी-गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, 64 सर्वाइकल कैंसर के मरीज थे। 398 अन्य रोगी मुंह, गला, नाक, किडनी, एडनेक्सल, लिंग कैंसर से पीड़ित थे।
अपनी तरह के इस पहले शोध को महावीर कैंसर संस्थान के प्रोफेसर अशोक घोष, वैज्ञानिक अरुण कुमार, राजीव कुमार, मोहम्मद अली, अभिनव श्रीवास्तव, मुकेश कुमार, निर्मल कुमार, सिद्धांत आर्यल, मनीषा सिंह ने जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया की अखौरी विश्वप्रिया व महावीर कैंसर संस्थान के निदेशक डॉ. विश्वजीत सान्याल के सहयोग से किया। कुछ दिन पहले इस शोध को प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित किया गया।
सामान्य से सात गुना से अधिक मैंगनीज सांद्रता
शोधकर्ता अरुण कुमार ने बताया कि धरती पर उपलब्धता के मामले में मैंगनीज पांचवें स्थान पर है। भूगर्भ जल, चट्टानों, मिट्टी के अलावा यह पानी व बहुत से अनाज, फलों व मसालों के साथ शरीर में पहुंचती है। मैंगनीज शरीर के लिए बहुत जरूरी है।
इसकी कमी से बच्चों का विकास बाधित होता है, हड्डियां कमजोर, त्वचा पर चकत्ते, मूड में बदलाव होता है। इसकी अधिकता होने पर भूख की कमी, मांसपेशियों में अकड़न, पैर में ऐंठन, कंपकंपी व चिड़चिड़ापन हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार शरीर में इसकी सांद्रता का सामान्य स्तर 15 माइक्रोन ग्राम प्रति लीटर है।
जिन कैंसर रोगियों पर अध्ययन किया गया, उनमें से केवल 235 लोगों में ही यह सामान्य स्तर पर था। 331 में यह 16 से 50 माइक्रोन ग्राम प्रति लीटर, 159 में यह 51 से 100 माइक्रोन, 249 में 101 से 500 माइक्रोन तो 98 में 501 से 1000 माइक्रोन व 48 में 1001 से 5000 था।
लिवर कैंसर से पीड़ित एक व्यक्ति में तो मैंगनीज सांद्रता 6022 माइक्रोन ग्राम प्रति लीटर पाया गया। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) ने 972 कैंसर रोगियों के घर के पानी में मैंगनीज सांद्रता 100 माइक्रोन ग्राम प्रति लीटर से अधिक पाया।
97 कैंसर रोगियों के घर के पानी में 100 से 200 माइक्रोन, 40 रोगियों के घर के पानी में 200 से 300 तो तीस कैंसर रोगियों के घर में आपूर्ति वाले जल में 300 से 400 पाया गया।
सात कैंसर रोगियों के घर में मैंगनीज सांद्रता 400 माइक्रोन ग्राम प्रति लीटर पाया गया। प्रदेश के मध्य गंगा के मैदानी क्षेत्र, दक्षिण-पश्चिमी व उत्तर-पूर्वी भागों के भूगर्भ जल में यह सांद्रता सामान्य से काफी अधिक है।
पुरुषों को ज्यादा खतरा, पटना में सर्वाधिक मरीज
शोध में पाया गया कि कैंसरग्रस्त पुरुषों में से 93 प्रतिशत के शरीर में मैंगनीज विषाक्तता का स्तर सामान्य 15 माइक्रोन ग्राम प्रति लीटर से बहुत अधिक थी।
मैंगनीज विषाक्तता वाले कैंसर रोगियों की अधिकतम संख्या सर्वाधिक 116 पटना में थी। इसके बाद क्रमश: वैशाली 60, पूर्वी चंपारण 57, सारण 55, मुजफ्फरपुर 52 मरीज थे। कैमूर, शेखपुरा व अरवल जिलों में कैंसर रोगियों के रक्त के नमूनों में कम मैंगनीज सांद्रता देखी गई।
कैंसर के तृतीय व चतुर्थ चरण के रोगियों में मैंगनीज सांद्रता सबसे अधिक पाई गई। इसका कारण लंबे समय से मैंगनीज की उच्च सांद्रता वाला जल पीना माना गया।
ध्यान देने वाली बात
- 1146 कैंसर रोगियों, 767 महिलाओं व 379 पुरुष कैंसर रोगियों पर अध्ययन
- 908 रोगियों के रक्त में मैंगनीज की सांद्रता 15 माइक्रोन ग्राम प्रति लीटर से अधिक तो 238 में था इससे कम
- 41 से 60 आयुवर्ग के रक्त में मैंगनीज सांद्रता थी बहुत अधिक
- 381 सर्वाधिक स्तन कैंसर, 309 हेपेटोबिलरी-गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल,
- 64 सर्वाइकल कैंसर से थे पीड़ित
- 398 अन्य रोगियों में नाक, मुंह, किडनी, एडनेक्सल, लिंग कैंसर के थे मरीज
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