Bihar Politics: कैग रिपोर्ट पर गरमाई बिहार की सियासत, तेजस्वी ने लगाए घोटाले के आरोप; डिप्टी सीएम ने किया पलटवार
कैग की रिपोर्ट में लंबित यूसी और डीसी बिलों को लेकर तेजस्वी यादव और सम्राट चौधरी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। तेजस्वी ने सरकार पर 80000 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया जबकि सम्राट चौधरी ने इसे महागठबंधन सरकार के समय का बताया। दोनों नेता इस मुद्दे पर जनता के बीच जाने की बात कर रहे हैं।

राज्य ब्यूरो, पटना। पिछले कुछ वित्तीय वर्षों के लंबित उपयोगिता प्रमाण-पत्र (यूसी) और सार आकस्मिक विपत्र (एसी बिल) के विरुद्ध विस्तृत विपत्र (डीसी बिल) उपलब्ध नहीं कराए जाने का उल्लेख नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में किया है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च, 2024 तक 70877.61 करोड़ के यूसी नहीं मिले। स्मरण कराने के बावजूद इस अवधि तक 9205.76 करोड़ के डीसी बिल उपलब्ध नहीं कराए गए। अब विपक्ष इसे गबन और घोटाला बता रहा।
बुधवार को प्रेस-वार्ता कर तेजस्वी यादव ने कहा कि सरकार की चुप्पी बता रही कि कहीं-न-कहीं गड़बड़ी हुई है। प्रत्युत्तर में उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का कहना है कि विपत्र जमा कराने में देरी का आशय घोटाला नहीं होता और अगर यह घोटाला है तो यह महाठबंधन की सरकार का घोटाला है।
सर्वाधिक विपत्र उस दौरान के लंबित हैं, जब तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री हुआ करते थे। तेजस्वी के आरोप के कुछ ही देर बाद प्रेस-वार्ता कर सम्राट ने कहा कि वित्त विभाग के प्रधान सचिव बता चुके हैं कि पिछले पांच वर्षों के दौरान सबसे कम राशि के यूसी 2024 में लंबित रहे।
सरकार और मंत्री आते-जाते रहेंगे, लेकिन अधिकारी तो वहीं रहते हैं। अगर कोई अधिकारी उचित बात करता है तो उस पर हमें संज्ञान लेना चाहिए। तेजस्वी को आधी-अधूरी जानकारी है। सर्वाधिक राशि के लंबित विपत्र उन्हीं के कार्यकाल के हैं।
इस गड़बड़ी पर सरकार चुप रही तो हम जनता के बीच जाएंगे : तेजस्वी
महागठबंधन की समन्वय समिति की बैठक के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव ने जिन मुद्दों पर सरकार की आलोचना की, उनमें एक प्रमुख मुद्दा यूसी और एसी-डीसी बिल भी रहा। उन्होंने कहा कि कैग की रिपोर्ट बता रही कि लगभग 80000 करोड़ का हिसाब नहीं मिल रहा। यह कोई मामूली राशि नहीं।
इसका बिहार सरकार हिसाब नहीं दे पाई। इसका आशय है कि कहीं-न-कहीं बड़ा घोटाला हुआ है। हम लोग शुरुआत से ही कह रहे कि वर्तमान सरकार, जो डबल इंजन का दावा करती है का एक इंजन अपराध और दूसरा भ्रष्टाचार में लगा है।
प्रश्न यह कि इन 80000 के घोटालों के संदर्भ में सरकार चुप क्यों है। इस पर सरकार के लोग उत्तर नहीं दे रहे कि आखिर यह मामला क्या है। क्यों नहीं सरकार अब तक हिसाब-किताब दे पाई।
यह तो जांच का विषय है, लेकिन इसकी जांच ईडी, सीबीआई नहीं करेगी, क्योंकि ये एजेंसियां भाजपा के प्रकोष्ठ के तौर पर काम कर रही हैं। फिर भी सरकार को हिसाब तो देना ही होगा। हम इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाएंगे।
यह अगर घोटाला है तो उस समय का जब तेजस्वी सत्ता में थे : सम्राट
वित्त विभाग का दायित्व संभाल रहे उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बुधवार को प्रेस-वार्ता कर महागठबंधन पर कई प्रश्न उठाए। उन्होंने कहा कि जिस लंबित यूसी व डीसी बिल को तेजस्वी घोटाला बता रहे, वह उस समय की है, जब राज्य में तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री हुआ करते थे।
महालेखाकार को एनडीए सरकार एक-एक पाई का हिसाब देगी। विपक्ष वस्तुत: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपलब्धियों से हताश है, इसलिए अनाप-शनाप आरोप लगा रहा। तेजस्वी अनजाने में ही अपनी ही सरकार की कमियों को उजागर कर रहे। कुल 1.15 लाख करोड़ रुपये के यूसी लंबित थे।
उसमें से बीते चार माह में 50 हजार करोड़ रुपये का समायोजन किया गया है। यह एक सतत प्रक्रिया है और इसमें कोई वित्तीय अनियमितता नहीं है। वित्त विभाग के प्रधान सचिव पहले ही इस मामले पर स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं।
उन्होंने कहा कि कैग की रिपोर्ट लोक लेखा समिति देखती है, जिसके अध्यक्ष अभी राजद विधायक भाई वीरेन्द्र हैं। उनके पहले ललित यादव थे। तेजस्वी तो अपनी ही सरकार पर बार-बार प्रश्न उठा रहे।
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