अपनी नाबालिग बेटी को ही बना दिया औजार, काम नहीं आई मां की गुहार; बक्सर के न्यायालय ने सुनाया बड़ा फैसला
बिहार के बक्सर जिले में एक नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले में कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। जांच के दौरान मामला झूठा निकला। इसके बाद कोर्ट ने ...और पढ़ें

पॉक्सो एक्ट के मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला। सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, बक्सर। किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म से जुड़े पाॅक्सो अधिनियम (POSCO At) के एक मामले में न्यायालय ने असाधारण फैसला सुनाया है। इसमें सभी चार आरोपितों बैजनाथ चौधरी, अंतु चौधरी, जोधा चौधरी और कविन्द्र चौधरी को दोष मुक्त कर दिया।
साथ ही जानबूझकर झूठा केस करने के लिए मामले के सूचक और किशोरी की मां के खिलाफ पाक्सो की धारा 22 के तहत कार्रवाई शुरू की गई है।
बक्सर के एडीजे-6 सह पाॅक्सो कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अमित कुमार शर्मा के न्यायालय में स्पीडी ट्रायल के तहत नौ महीने के अंदर मामले की सुनवाई पूरी की गई है।
न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि इस तरह के संगीन आरोप में सूचक और किशोरी की मां ने उसे फर्जी मामला गढ़ने के लिए औजार की तरह इस्तेमाल किया। इस मामले में पुलिस ने बीते 13 अगस्त को अपनी रिपोर्ट में केस को झूठा करार दे दिया था।
पाॅक्सो कोर्ट के विशेष लोक अभियोजक सुरेश कुमार सिंह ने बताया कि यह मामला सिकरौल थाना क्षेत्र का है। इसकी प्राथमिकी इसी साल 28 मार्च को महिला थाने में कराई गई थी।
सुनवाई के दौरान कई तरह की गड़बड़ी आई सामने
हालांकि प्राथमिकी में घटना की तारीख 15 मार्च ही बताई गई थी। न्यायालय ने अपने फैसले में प्राथमिकी में अकारण विलंब को भी आधार बनाया है। हालांकि इसके अलावा भी मामले की सुनवाई के दौरान कई तरह की गड़बड़ियां सामने आईं।
सिकरौल थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाली किशाेरी के एक रिश्तेदार ने पुलिस को लिखित आवेदन के माध्यम से सूचना दी थी कि कट्टा और पिस्टल का भय दिखाकर सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया है।
इसी आवेदन के आधार पर प्राथमिकी की गई, जिसमें चार लोगों को नामजद आरोपित बनाया गया था। आवेदन में दावा किया गया था कि सूचक को यह जानकारी किशोरी की मां ने दी। जब मामले की सुनवाई न्यायालय में शुरू हुई, तो उसने बताया कि केवल एक व्यक्ति ने कोई दवा खिलाकर दुष्कर्म किया था।
किशोरी ने यह भी बताया था कि घटना के बाद वह खुद ही घर लौटी थी और अगले दिन अपनी मां को इसके बारे में बताया था। न्यायालय ने पाया कि प्राथमिकी और किशोरी के बयान में पर्याप्त विरोधाभास है। मामले की जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि किशोरी की मां शराब बेचने के अवैध धंधे में शामिल है और ऐसे मामले में वह जेल भी जा चुकी है।
उसकी दुकान से शराब बरामद होने के मामले में जिस व्यक्तियों ने जब्ती सूची पर बतौर गवाह हस्ताक्षर किए थे, उनको ही इस मामले में आरोपित बनाया गया था।
किशोरी की मां को आशंका थी कि इन लोगों ने ही पुलिस को इस बारे में खबर दी थी। इसको लेकर दोनों पक्षों के बीच विवाद भी हुआ था और इसके समाधान के लिए सरपंच और बीडीसी के पति की उपस्थिति में एक पंचायत भी हुई थी।
19 मार्च को इस पंचायत में 100 रुपए के गैर न्यायिक स्टांप पेपर पर दोनों पक्षों ने करार किया था कि वे एक-दूसरे के खिलाफ कोई केस नहीं करेंगे।
किशाेरी लगातार बदलती रही बयान
इस मामले में पुलिस के अनुसंधान अधिकारी ने किशोरी की ओर से दिए गए दो अलग-अलग लिखित आवेदन भी कोर्ट में प्रस्तुत किए। इनमें 16 मार्च को दिए आवेदन में सामूूहिक दुष्कर्म की बात कही गई थी, जबकि 17 मार्च के आवेदन में कहा कि अंटू ने उसके साथ कुछ भी गलत नहीं किया है।
इसमें किशोरी की ओर से दावा किया गया कि पिछला आवेदन उसने दूसरे लोगों के उकसाने पर दिया था। इस आवेदन पर पीड़िता की मां के भी हस्ताक्षर थे। मामले की जांच के दौरान पटना से आई फोरेंसिक जांच की टीम ने पीड़िता से उसके घटना के दिन वाले कपड़ों के बारे में पूछा, तो वह इस बारे में कुछ नहीं बता पाई।
कॉल डिटेल की जांच और गवाहों के बयान से भी मामले में गंभीर विरोधाभास उजागर हुए। पीड़िता ने अपनी चिकित्सकीय जांच कराने से भी इंकार कर दिया था।

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