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    Bihar Budget Session: 3.15 लाख करोड़ पहुंच सकता है बजट का आकार, नीतीश सरकार देगी 2 लाख नौकरियां!

    बिहार विधानसभा में तीन मार्च को बजट पेश किया जाएगा। बजट में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) का एजेंडा नजर आएगा। यह आशंका जताई जा रही है कि इस बार बिहार का बजट तीन लाख करोड़ की सीमा को पार कर जाएगा। इस बजट में बुजुर्गों को दी जाने वाली पेंशन राशि में वृद्धि हो सकती है।

    By Vikash Chandra Pandey Edited By: Piyush Pandey Updated: Thu, 27 Feb 2025 09:26 PM (IST)
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    तीन मार्च को पेश होगा बजट। (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, पटना। इस बार बिहार का बजट तीन लाख करोड़ की सीमा को पार कर जाएगा। इसमें सर्वाधिक आवंटन स्थापना और प्रतिबद्ध व्यय के मद में होना है। इस मद में प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही और इस कारण पूंजीगत व्यय की राशि उस अनुपात में नहीं बढ़ रही।

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    इस बार तो वेतन मद में ही प्रति माह लगभग 500 करोड़ की वृद्धि अनुमानित है। यह वृद्धि उन एक लाख के लगभग सरकारी सेवकों के कारण होनी है, जिनकी नियुक्ति पिछले महीनों में हुई है। आने वाले वर्षों में वेतन मद पर व्यय और बढ़ेगा, क्योंकि इस वर्ष दो लाख के लगभग पदों पर नियुक्ति संभावित है।

    तीन मार्च को प्रस्तुत होगा बजट

    वित्त विभाग का दायित्व संभाल रहे उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के लिए बजट प्रस्तुत करने का यह दूसरा अवसर होगा। वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट विधान मंडल में तीन मार्च को प्रस्तुत होना है।

    शिक्षा, ग्रामीण कार्य, पथ निर्माण, स्वास्थ्य, समाज कल्याण और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के योजना मद में अधिक बजटीय प्रविधान हो सकता है। इस कारण बजट आकार के बढ़कर 3.15 लाख करोड़ तक पहुंच जाने का अनुमान है।

    वेतन-पेंशन पर भी बढ़ेगा खर्च

    इस बजट में वेतन-पेंशन आदि पर भी खर्च बढ़ना है। नौकरी और रोजगार पर सरकार का फोकस है। शिक्षा, पुलिस और इंजीनियरिंग क्षेत्र में नई नियुक्तियां हुई हैं। इस कारण वेतन मद में लगभग 12 हजार करोड़ अधिक का आवंटन हो सकता है।

    अभी सरकार का वेतन बिल प्रतिवर्ष लगभग 40569 करोड़ रुपये है। इसमें नियमित सरकारी सेवकों के अलावा संविदा कर्मियों को होने वाला भुगतान भी सम्मिलित है। इसके अलावा 31796 करोड़ रुपये पेंशन मद में जा रहे। ब्याज और कर्ज अदायगी को जोड़कर यह राशि प्रतिवर्ष 115275 करोड़ रुपये है।

    वर्ष प्रतिवर्ष इसमें वृद्धि हो रही। 10 वर्ष पहले यानी 2010-11 में यह राशि 22606.41 करोड़ रुपये थी। इस मद में बढ़ते आवंटन के कारण इस बार वार्षिक योजनाओं के लिए बजटीय आवंटन अपेक्षा के अनुरूप संभव नहीं है।

    केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी और मिलने वाले अनुदान से पूंजीगत व्यय की स्थिति निर्धारित होती है। पथ निर्माण और सिंचाई सुविधा के साथ बाढ़ नियंत्रण के उद्देश्य से ढांचागत निर्माण का पहले से ही दबाव है। ऐसे में वार्षिक योजनाओं के लिए अतिरिक्त आवंटन बढ़ने की संभावना बहुत कम है।

    चालू वित्तीय वर्ष (2024-25) में वार्षिक योजनाओं के लिए बजट परिव्यय लगभग एक लाख करोड़ प्रस्तावित है।चालू वित्तीय वर्ष में केंद्रीय करों के हस्तांतरण से बिहार को 1.25 लाख करोड़ रुपये मिल रहे। लगभग एक लाख करोड़ रुपये मिल भी चुके हैं।

    विकासात्मक कार्याें के साथ केंद्र प्रायोजित योजनाओं और राज्य योजनाओं का क्रियान्वयन इसी राशि के बूते हो रहा है। नए वित्तीय वर्ष में इसमें थोड़ी वृद्धि अनुमानित है, लेकिन वह समय से राजस्व की वसूली के आधार पर ही होगी।

    आर्थिक समीक्षा में दिखेगी बिहार के विकास की झलक 

    विधान मंडल में शुक्रवार को आर्थिक समीक्षा की रिपोर्ट प्रस्तुत होनी है। यह रिपोर्ट वित्तीय वर्ष 2023-24 की होगी। नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने से पहले तक बिहार में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी।

    विकासात्मक प्रतिबद्धता व राजकोषीय अनुशासन के दृष्टिगत उन्होंने इसकी शुरुआत की। इस रिपोर्ट से वर्ष-प्रति-वर्ष विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ते-घटते बिहार का आकलन होता है। योजनाओं के निर्माण में भी यह सहायक होती है।

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