नए साल में बिहार में घर बनाना हो सकता है महंगा, जानें ईंट खरीदने को कितनी ढीली करनी होगी जेब
ईंट पर जीएसटी की दर बढ़ सकती है। इसको लेकर ईंट निमाता परेशान हैं और सरकार से पुरानी दर को ही यथावत रखने की मांग कर रहे हैं। अगर उनकी मांग नहीं सुनी जाती है तो ईंट के महंगा होने से मकानों की लागत भी बढ़ जाएगी।

दिलीप ओझा, पटना: नये साल में लाल ईंट महंगी हो सकती है। दरअसल, ईंट पर जीएसटी की दर बढ़ सकती है। इसको लेकर ईंट निमाता परेशान हैं और सरकार से पुरानी दर को ही यथावत रखने की मांग कर रहे हैं। अगर उनकी मांग नहीं सुनी जाती है तो ईंट के महंगा होने से मकानों की लागत भी बढ़ जाएगी। वर्तमान में लाल ईंट पर एक एवं पांच प्रतिशत जीएसटी की दर निर्धारित की गई है। बिहार ईंट निर्माता संघ के अध्यक्ष मुरारी लाल मन्नू ने कहा कि इनपुट क्रेडिट टैक्स का लाभ नहीं लेने पर ईंट निर्माताओं को एक प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करना होता है, जबकि इनपुट क्रेडिट का लाभ लेने पर पांच प्रतिशत की दर से जीएसटी का भुगतान करना होता है। एक प्रतिशत को बढ़ाकर पांच प्रतिशत , और पांच प्रतिशत को बढ़ाकर 12 प्रतिशत जीएसटी करने की बात चल रही है। 20 लाख रुपये टर्नओवर वाले ईट निर्माताओं पर यह लागू होना है। इससे ईंट प्रति ट्राली 1500 रुपये से 2000 रुपये तक महंगी हो जाएगी। अभी ईंट की दर 12 से 14 हजार रुपये प्रति ट्राली है। एक ट्राली में 1500 ईंट आती है।
- - प्रति ट्राली कम से कम 1500 रुपये अधिक खर्च करने होंगे
- - जीएसटी की दर में सात प्रतिशत तक संभावित वृद्धि पर रोक की मांग
बिक्री कम टैक्स ज्यादा से डूब जाएगा उद्योग
उन्होंने कहा कि लाल ईंट की किक्री कम हो रही है। पहला कारण यह कि सरकारी योजनाओं में फलाईऐश ईंट के उपयोग को अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही 10 हजार स्क्वायर फुट वाले भवन निर्माण में भी लाल ईंट के उपयोग पर प्रतिबंध है। ऐसे में ईंट की बिक्री कम हो गई है। अब अगर जीएसटी की दर बढ़ जाती है तो ईंट उद्योग बंदी के कगार पर पहुंच जाएगा। सिर्फ सामान्य तरह के मकान बनाने वाले मध्यम व निम्न मध्यम वर्ग खरीदार बच जाएंगे। मकानों का बजट बढ़ जाएगा। इससे निर्माण उद्योग पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
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