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    कंप्लीट हार्ट ब्लाक से पहले शरीर देने लगता है संकेत, सीढ़ी चढ़ते समय आपको भी तो नहीं होता ऐसा एहसास?

    By Jagran NewsEdited By: Akshay Pandey
    Updated: Tue, 08 Nov 2022 03:55 PM (IST)

    सर्वाइकल समझ कर अचानक चक्कर आने को हल्के में न लें। यह कंप्लीट हार्ट ब्लाक हो सकता है। दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम हेलो डाक्टर में इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के जनरल फिजिशियन डा. अमिताभ ने पाठकों के सवालों के जवाब दिए।

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    हार्ट ब्लाक से पहले शरीर देता है संकेत। सांकेतिक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, पटना : आपाधापी भरे जीवन में हम में से कई लोगों को अचानक चक्कर आ जाते हैं। सर्वाइकल समझ कर इसकी अनदेखी नहीं करें। यह कंप्लीट हार्ट ब्लाक हो सकता है। इसलिए हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें। यदि वे ईसीजी या होल्टर जांच कराने की सलाह देते हैं तो करवा लें ताकि चक्कर का कारण जाना सके। स्थायी या अस्थायी पेसमेकर लगवाकर कंप्लीट हार्ट ब्लाक का निदान किया जा सकता है। ठंड का मौसम आ रहा है, ऐसे में यदि आप बीपी और शुगर की दवा लेते हैं तो अपने डाक्टर की सलाह के बिना उन्हें कतई बंद नहीं करें।

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    पहले डाक्टर के पास पहुंचने से इलाज संभव

    इसके अलावा सीढ़ी पर चढ़ते समय या चलने पर छाती में भारीपन लगे या दर्द हो, बाएं हाथ में दर्द हो जो बाद में नीचे की ओर फैलता जाए, छाती में दर्द के साथ दम फूले, बिना कारण दम फूलने लगे तो इसकी अनदेखी न करके तुरंत हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलें। ये संक्रमण के कारण हृदय कमजोर होने के लक्ष्ज्ञण हो सकते हैं। यदि गंभीर लक्षण के पहले रोगी डाक्टर के पास पहुंच जाते हैं तो पूरी तरह से उनका निदान हो सकता है अथवा रोग वृद्धि की रफ्तार कम की जा सकती या उसे बढ़ने से रोका जा सकता है। बीपी-शुगर रोगियों को हर तीन माह और 45 वर्ष से अधिक उम्र के स्वस्थ लोगों को साल में एक बार ईसीजी, ईको, टीएमटी, सीटी एंजियो और खून की जांच जैसे सीबीसी, एलएफटी-केएफटी आदि जरूर कराकर डाक्टर को देखी लेनी चाहिए। ये बातें रविवार को दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम हेलो डाक्टर में इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के जनरल फिजिशियन डा. अमिताभ ने पाठकों के सवालों के जवाब में कहीं।  

    - कुछ खाने पर स्वाद नहीं मिलता, उल्टी महसूस होती है।

    शशि गौरीबाला, अनीसाबाद, राजेश कुमार फुलवारीशरीफ 

    हाल में यदि आपको डेंगू या कोई वायरल बुखार नहीं हुआ है तो इसका कारण पेट में कीड़े हो सकते हैं। अल्बेंडाजाल की एक गोली आज रात और दूसरी सात दिन बाद खा लें। इससे आराम होगा। यदि आराम नहीं होता तो किसी पेट रोग विशेषज्ञ से मिलें, लिवर में संक्रमण होने से भी ऐसा हो सकता है।

    - बीपी-शुगर की दवा खाता हूं, अब छोड़ने पर भी नियंत्रित रहता है तो दवा बंद कर दूं ?

    सीताराम सिंह महनार वैशाली, रामगोपाल कंकड़बाग, श्रीकांत रमन राजेंद्र नगर, संजय कुमार 70 फीट

    शुगर-बीपी की दवा एक बार शुरू होने के बाद नियंत्रित रहने पर अपनी मर्जी से छोड़कर घर नहीं बैठें। अपने डाक्टर को बताएं वे जांच करेंगे कि बिना दवा, परहेज व घरेलू उपायों से आप का बीपी-शुगर नियंत्रित रह रहा है कि नहीं। इसके बाद यदि वे उचित समझेंगे तो दवा कम या बंद कर सकते हैं। इसके पहले दवा बंद करना या उसकी सलाह देना नुकसानदेह हो सकता है। दवा बदलने की स्थिति में भी 15 दिन व हर तीन माह में जांच कराकर देखना जरूरी है।

    - बीपी-शुगर नहीं है, ईसीजी भी सामान्य है पर सांस लेने में परेशानी बनी हुई है।

    सत्यनारायण सिंह चौहान बख्तियारपुर, राहुल कुमार महेश नगर

    यदि हृदय सही है तो सांस लेने में परेशानी का कारण एलर्जी हो सकती है। अब ठंड बढ़ रही है, ऐसे में खासकर श्वांस रोगियों में एलर्जी की शिकायत बढ़ती है। लिवो सेट्रेजिन जैसे एंटी एलर्जिक दवा लें और नजदीकी छातीरोग या ईएनटी के विशेषज्ञ से मिलें।

    - दवा बंद करते ही फिर शुरू हो जाती है कब्ज की शिकायत।

    सुरेंद्र सिंह, आरा

    आप कीड़े की एक गोली अभी ले लें और स्टूल की जांच कराने के बाद पेट रोग विशेषज्ञ से मिलें। डाक्टर से मिलने के पहले नाश्ते-खाने का समय निश्चित करें, रात में ईसबगोल की भूसी गुनगुने दूध या पानी के साथ लें, रात में फाइवर युक्त हल्का भोजन लें, जांच करें कि किस चीज को खाने के बाद कब्ज की शिकायत ज्यादा होती है उसे लेना बंद करें, जितनी भूख हो उससे कम खाएं, सुबह टहलने के साथ हल्का व्यायाम करें और हर दिन दो गिलास गुनगुना पानी सुबह पिएं।

    इन्होंने भी पूछे सवाल :

    देवेंद्र सिंह बाढ़, नवीन कुमार अनीसाबाद, रामगोपाल कंकड़बाग, संजय कुमार मंदिरी, अजय कुमार अनीसाबाद, रोहित कुमार अशोक राजपथ आदि।

    जीवनशैली सुधारें, दूर रहेंगे असंक्रामक रोग

    प्रदेश ही नहीं देश में बीपी, शुगर, हृदय रोग, गठिया, मोटापा, कैंसर, किडनी, कब्ज, गैस, रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी, विटामिन या कैल्शियम आदि की कमी से होने वाले असंक्रामक रोग बढ़ने का कारण हमारी गलत जीवनशैली व खानपान है। स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि सुबह सूर्योदय के पहले अधिकतम छह बजे तक बिस्तर छोड़ दें। दो गिलास गुनगुना पानी पीने के बाद नित्यकर्म करने के बाद 30 से 45 मिनट टहलें और बीच-बीच में स्ट्रेचिंग जैसे व्यायाम जरूर करें। चाय के शौकीन हैं तो मल्टीग्रेन्स या आटे के बिस्किट-रस्क आदि खाकर ही पिएं। नाश्ते में मौसमी फल, हरी सब्जी का सूप, हरी सब्जी-रोटी घी लगा सकते हैं, दही आदि का सेवन करें। दोपहर को दाल, रोटी, चावल, थाली का पांचवां हिस्सा के बराबर मौसमी सब्जियों-फलों का सलाद, दही या रायता, चटनी आदि का सेवन करें।

    चाय के साथ चने-मकई आदि का भूजा लें

    शाम को चाय के साथ चने-मकई आदि का भूजा लें और रात को सोने के कम से कम दो घंटे पहले दाल-सब्जी रोटी और आधे घंटे बाद गुनगुना दूध व च्वयनप्राश लें। ध्यान रखें कि जितनी भूख हो उसका 60 प्रतिशत यानी चार रोटी खाते हैं तो ढाई रोटी ही खाना है। अधिक तला-भुना, चीनी-नमक वाला भोजन तीज-त्याेहार या बहुत कम खाएं। इसके अलावा कई रोगों के कारक तनाव से दूर रहने के लिए पूरी मेहतन-ईमानदारी से अपना काम कर खुद खुश रहें और दूसरों में खुशियां बांटें। इससे हाइपरटेंशन व उससे संबंधित राेगों से बचा जा सकता है।