भाजपा ने संजय मयूख से छीनी जिम्मेदारी; मनोनयन से क्षेत्रीय व सामाजिक संतुलन साधने में कितनी कामयाब रही पार्टी?
Bihar News: बिहार भाजपा में संजय मयूख से जिम्मेदारी वापस ली गई। पार्टी का लक्ष्य मनोनयन के माध्यम से क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन स्थापित करना है। देखन ...और पढ़ें

राजेंद्र प्रसाद गुप्ता एवं विनोद नारायण झा।
रमण शुक्ला, पटना। Bihar Politics: विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली प्रचंड जीत के उपरांत पार्टी ने संगठन एवं सत्ता में क्षेत्रीय संतुलन साधने की पहल तेज कर दी है। इसी कड़ी में मिथिलांचल से दरभंगा नगर के विधायक को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बनाकर 27 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग वोट बैंक को संगठन की बागडोर सौंपी है।
जबकि मधुबनी जिले के बेनीपट्टी से विधायक विनोद नारायण झा को विधानसभा में पार्टी का मुख्य सचेतक एवं उप मुख्य सचेतक बनाकर मैथिल ब्राह्मणों के बीच पार्टी ने संदेश देने कोशिक की है।
वहीं, कोशी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए राजेंद्र गुप्ता को विधान परिषद में फिर से उपनेता (कैबिनेट मिनिस्टर ) एवं पूर्व मंत्री जनक राम को उपमुख्य सचेतक मनोनीत कर अनुसूचित समाज के वोट बैंक को साधने की पहल की है। वहीं, संजय मयूख को विधान परिषद में उपमुख्य सचेतक पद से हटा दिया है।
पूर्व मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि बने सचेतक
कोशी क्षेत्र के बनमनखी से विधायक कृष्ण कुमार ऋषि तो अंग प्रदेश के बिहपुर से विधायक कुमार शैलेन्द्र, सीतामढ़ी जिले के परिहार से विधायक गायत्री देवी को पार्टी ने सत्तारूढ़ दला सचेतक मनोनीत किया है। तीनों नेताओं को राज्य मंत्री का दर्ज प्राप्त होगा। तीनों विधायक तीन समुदाय के हैं।
पहल से साफ है कि यह निर्णय केवल सदन की कार्यवाही को सुचारु रखने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से पार्टी ने संगठनात्मक अनुशासन, क्षेत्रीय संतुलन एवं सामाजिक समीकरणों को भी मजबूत करने का संकेत दिया है।
सचेतक की भूमिका सरकार और विधायकों के बीच सेतु की होती है। सदन में पार्टी लाइन पर विधायकों की उपस्थिति, मतदान और अनुशासन सुनिश्चित करना उनकी प्रमुख जिम्मेदारी होती है।

(विधायक कुमार शैलेंद्र।)
उप नेता बनाए गए राजेंद्र गुप्ता, मुख्य सचेतक का दायित्व पूर्व मंत्री जनक राम को
ऐसे में इस पद पर अनुभवी और संगठन के प्रति प्रतिबद्ध नेताओं को दायित्व देकर भाजपा ने यह संदेश दिया है कि सरकार की प्राथमिकताओं को धरातल पर उतारने में कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी।
वहीं उप नेता के चयन में भी पार्टी ने संतुलन का ध्यान रखा है, ताकि सदन के भीतर नेतृत्व का वैकल्पिक केंद्र मजबूत बना रहे। संगठन से लंबे समय तक जुड़े नेताओं को सदन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर पार्टी ने कार्यकर्ताओं में यह भरोसा जगाया है कि मेहनत और निष्ठा का उचित सम्मान मिलता है।
साथ ही, सरकार में शामिल वरिष्ठ चेहरों के साथ नए और उभरते नेताओं को मौका देकर नेतृत्व की अगली कतार तैयार करने का प्रयास भी साफ दिखता है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व प्रदेश महामंत्री सुशील चौधरी के अनुसार, यह फैसला क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरणों को साधने की रणनीति का भी हिस्सा है।
संजय मयूख उपमुख्य सचेतक पद हटाए गए
अलग-अलग इलाकों और वर्गों से नेताओं को जिम्मेदारी देकर भाजपा ने यह संकेत दिया है कि पार्टी समावेशी राजनीति की दिशा में आगे बढ़ रही है। इससे न केवल विधायकों में संतुलन बना रहेगा, बल्कि विपक्ष के हमलों का जवाब देने में भी सरकार को मजबूती मिलेगी।
बकौल चौधरी, मुख्य सचेतक और उप नेता की नियुक्तियां भाजपा की सोची-समझी रणनीति को दर्शाती हैं। इसके जरिए पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले समय में सदन के भीतर अनुशासन, संगठन की भूमिका और सरकार की प्राथमिकताएं एक-दूसरे के पूरक बनकर काम करेंगी। यही संतुलन भाजपा की राजनीतिक मजबूती का आधार बनेगा।

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