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    Bihar Politics: पारस के लिए BJP क्या कर रही प्लानिंग? कद बढ़ाकर चिराग को दे सकती है साफ संदेश

    Updated: Sat, 07 Sep 2024 08:57 PM (IST)

    चिराग पासवान को संतुलित करने के लिए उनके चाचा पशुपति कुमार पारस का कद बढ़ाने की तैयारी हो रही है। भाजपा की रणनीति के तहत पारस को राज्यपाल या किसी केंद्रीय आयोग का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। यह पद केंद्रीय मंत्री के समकक्ष होगा। दूसरी तरफ चिराग को समझाया जा रहा है कि एनडीए की रीति नीति की परिधि में ही वे अपनी वाणी और गतिविधियों को केंद्रीत रखें।

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    चिराग पसवान और पशुपति पारस। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, पटना। लोजपा (रा) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को संतुलित करने के लिए उनके चाचा और पार्टी के दूसरे गुट रालोजपा के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस का कद बढ़ाने की तैयारी हो रही है।भाजपा की रणनीति अगर व्यवहार में उतरी तो पारस जल्द ही किसी राजभवन में नजर आएंगे।

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    राजभवन के अलावा उनके लिए दूसरी जगह की भी पहचान हो रही है। यह किसी केंद्रीय आयोग का अध्यक्ष पद हो सकता है।वह पद केंद्रीय मंत्री के समकक्ष होगा।

    यह खुशखबरी पारस को दे दी गई, जिससे उनके लोग उत्साहित हैं। दूसरी तरफ चिराग को समझाया जा रहा है कि एनडीए की रीति नीति की परिधि में ही वे अपनी वाणी और गतिविधियों को केंद्रीत रखें। उसी में उनकी भलाई है।

    पारस का कद बढ़ाने की सुधि भाजपा को चिराग की कुछ नई गतिविधियों के कारण आयी है। आरक्षण में क्रीमी लेयर, लैटरल इंट्री और अनुसूचित जाति-जनजाति के आरक्षण में उप वर्गीकरण जैसे मुद्दे पर चिराग अति सक्रिय हो उठे थे। इसी बीच उन्होंने झारखंड सहित अन्य राज्यों में भी चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।

    चिराग की अति सक्रियता से चिंतित भाजपा ने पहले पारस को सहलाया। गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें उचित सम्मान का भरोसा दिया। दूसरी तरफ, चिराग को भी उन्होंने अपने तरीके से समझा दिया। अब पारस को उचित सम्मान देने का माध्यम खोजा जा रहा है। पहला माध्यम किसी राज्य के राज्यपाल का पद हो सकता है।

    यह पद पारस की भी पसंद है। विकल्प के रूप में किसी ऐसे केंद्रीय आयोग या बोर्ड की भी खोज हो रही है, जिसके अध्यक्ष का पद केंद्रीय मंत्री के समकक्ष हो। ताकि पद धारण के बाद पारस जब कभी बिहार आएं तो उनके आसपास ऐसा तामझाम हो, जिससे यह पता चले कि ये भी एनडीए के घटक हैं।

    इस तामझाम से पारस अपने दल के कार्यकर्ताओं-नेताओं में आत्म विश्वास पैदा कर सकेंगे कि अगले साल के विधानसभा चुनाव में रालोसपा को भी कुछ सीटें मिल सकती हैं।

    चिराग की भी अनदेखी नहीं

    वैसे तो भाजपा चिराग से नजदीकी बना कर रखना चाहती है। लेकिन, वह उनके युवा जोश और महत्वाकांक्षा की अनदेखी भी नहीं कर रही है। इसलिए चिराग को इशारे में समझा दिया गया है कि वे जिन पांच सांसदों के बल पर इतरा रहे हैं, वह स्थायी नहीं है।

    पांच में से तीन सांसदों के राजनीतिक जीवन की शुरुआत लोजपा से नहीं, एनडीए के दो घटक दलों-भाजपा और जदयू से हुई है। वैशाली की लोजपा सांसद वीणा देवी का जदयू-भाजपा से जुड़ाव रहा है। उनके पित दिनेश प्रसाद सिंह जदयू के एमएलसी हैं।

    समस्तीपुर की सांसद डॉ. शांभवी चौधरी जदयू के वरिष्ठ नेता और राज्य सरकार के मंत्री डॉ. अशाेक चौधरी की पुत्री हैं। खगड़िया के सांसद राजेश वर्मा की राजनीति की शुरुआत भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से ही हुई है।

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