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Bihar: सम्राट चौधरी को बिहार की कमान सौंप भाजपा ने दिया आक्रामक राजनीति का संकेत, क्या बदलेंगे जातिगत समीकरण?

बिहार की राजनीति के जानकारों का मानना है कि लव-कुश समीकरण यानी कुशवाहा-कुर्मी को जदयू का आधार वोट बैंक माना जाता है। भाजपा ने सम्राट को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर हाल-फिलहाल तक सहयोगी रहे जदयू पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने का भरसक प्रयास किया है।

By Raman ShuklaEdited By: Yogesh SahuThu, 23 Mar 2023 09:56 PM (IST)
Bihar: सम्राट चौधरी को बिहार की कमान सौंप भाजपा ने दिया आक्रामक राजनीति का संकेत, क्या बदलेंगे जातिगत समीकरण?
Bihar: सम्राट चौधरी को बिहार की कमान सौंप भाजपा ने दिया आक्रामक राजनीति का संकेत, क्या बदलेंगे जातिगत समीकरण?

रमण शुक्ला, पटना। सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि अब पार्टी अपने बूते पर बिहार विजय के लिए आक्रामक राजनीति करेगी।

जनमत बनाने वालों में एक बड़ी हिस्सेदारी पिछड़ा-अतिपिछड़ा वर्ग की है, जिसे लुभाने के लिए पार्टी ने सम्राट चौधरी को कुछ और आगे कर दिया है।

यह जाति आधारित गणना को ट्रंप कार्ड मानकर चलने वाले महागठबंधन की रणनीति से निबटने की एक रणनीति भी है। सम्राट कुशवाहा बिरादरी से आते हैं।

इस बिरादरी को खुश करने के लिए ही उपेंद्र कुशवाहा को जदयू के पाले में लाया गया था, वे अलग पार्टी खड़ी कर चुके हैं।

बिहार की राजनीति के जानकारों का मानना है कि लव-कुश समीकरण यानी कुशवाहा-कुर्मी को जदयू का आधार वोट बैंक माना जाता है।

भाजपा ने सम्राट को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर हाल-फिलहाल तक सहयोगी रहे जदयू पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने का भरसक प्रयास किया है।

सरकार को वे जिस अंदाज में सीधी चुनौती पेश करते हैं, वह सत्ता विरोधी जनमानस को प्रभावित करता है।

उनके नेतृत्व में ही भाजपा 2024 का लोकसभा और 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी।

कई सरकारों का अनुभव

मुंगेर जिला में लखनपुर के रहने वाले सम्राट चौधरी 1990 में सक्रिय राजनीति की शुरुआत के साथ ही चर्चा में आ गए थे।

लालू प्रसाद की सरकार में 19 मई, 1999 को पहली बार मंत्री बनाए गए, लेकिन कम उम्र होने के कारण उन्हें पद छोड़ना पड़ा।

उसके बाद वे 2000 में पहली बार परबत्ता विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और विजयी हुए। हालांकि, बाद के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

2010 में वे पुन: राजद के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए। 2010 में उन्हें बिहार विधानसभा में विपक्ष का मुख्य सचेतक बनाया गया।

वर्ष 2014 में वे राजद छोड़कर जदयू में शामिल हो गए। 2 जून, 2014 को नीतीश कुमार की सरकार में शहरी विकास और आवास विभाग के मंत्री बनाए गए।

फिर जीतन राम मांझी की सरकार में भी मंत्री रहे। उसके बाद वे भाजपा के साथ हो गए। 2018 में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए थे।

2020 के जुलाई में विधान पार्षद निर्वाचित हुए और पंचायती राज विभाग के मंत्री बने। जदयू से भाजपा के संबंधविच्छेद होने के बाद वे 24 अगस्त, 2022 से विधान परिषद में विपक्ष के नेता हैं।