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    Dilip Jaiswal: BJP ने लगातार तीसरी बार दूसरे दल से आए व्यक्ति को बनाया प्रदेश अध्यक्ष, क्या है भाजपा की रणनीति?

    Updated: Mon, 29 Jul 2024 10:22 PM (IST)

    Bihar Politics भाजपा ने बिहार में दिलीप कुमार जायसवाल को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें बिहार भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि दिलीप दूसरे दल की पृष्ठभूमि वाले भाजपा के तीसरे प्रदेश अध्यक्ष बन गए हैं। इनसे पहले संजय जायसवाल और सम्राट चौधरी का भी दूसरी पार्टियों के साथ संबंध रह चुका है।

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    बिहार भाजपा के अध्यक्ष दिलीप कुमार जायसवाल

    राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Politics In Hindi बिहार भाजपा में दूसरे दल से आकर प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने वाले डॉ. दिलीप जायसवाल (Dilip Jaiswal) लगातार तीसरी हस्ती बन गए हैं। दिलीप से पहले सम्राट चौधरी और डॉ. संजय जायसवाल भी दूसरे दल की परिक्रमा कर भाजपा में आए और प्रदेश इकाई का नेतृत्व किए।

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    हालांकि, सम्राट चौधरी ऐसे प्रदेश अध्यक्ष रहे, जो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। अब संयोग है कि कांग्रेस, राजद और जदयू से भाजपा में आए लगातार तीसरे व्यक्ति को प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व देकर ने पार्टी ने बड़ा संदेश दिया है।

    यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि दूसरे दलों से भाजपा में आए कई नेताओं को पार्टी राज्य सरकार में मंत्री पद या संगठन में प्रदेश उपाध्यक्ष जैसे अहम दायित्व भी देती रही है, लेकिन इस बार पार्टी ने लीक से हटकर लगातार तीसरी बार दल में बाहर से आए व्यक्ति को प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व दिया है।

    कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई (भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ) में डॉ. दिलीप जायसवाल दुमका जिले में पद धारक हुआ करते थे। तब एनएसयूआई की बिहार इकाई के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. प्रेमचंद्र मिश्र थे। अहम यह कि जायसवाल कांग्रेस की विधान पार्षद स्टेन शीला हेंब्रम की काफी नजदीकी हुआ करते थे।

    कई नेताओं का हुआ भाग्योदय

    कांग्रेस, राजद, जदयू एवं हम जैसे कई दलों को छोड़कर भाजपा में आए नेताओं का लंबे अरसे बाद भाग्योदय हुआ। ऐसे में नेताओं में वर्तमान में उद्योग एवं पर्यटन मंत्री का दायित्व संभाल रहे नीतीश मिश्रा, अनुसूचित जाति एवं जनजाति मंत्री जनक राम के अतिरिक्त कई नाम सम्मिलित हैं।

    नीतीश मिश्रा जदयू और हम के रास्ते भाजपा में आए तो जनक राम ने बसपा छोड़ भाजपा से जुड़कर सांसद और राज्य सरकार में मंत्री का पद प्राप्त किया।

    यही नहीं, भाजपा ने सत्ता के बाहर रहने के कालखंड में संगठन में कई अहम दायित्व देकर आगे बढ़ाया। इसी तरह अन्य कई नेताओं को सांसद, विधायक एवं विधान पार्षद बनाकर राजनीति को धार दी।

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