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    कलम के जादूगर रामवृक्ष बेनीपुरी का पटना से रहा गहरा संबंध, हिंदी साहित्‍य में नहीं भुलाया जा सकता योगदान

    By Shubh NpathakEdited By:
    Updated: Wed, 23 Dec 2020 08:48 AM (IST)

    जयंती पर विशेष रामवृक्ष बेनीपुरी की युवक पत्रिका आजादी के आंदोलन को देती थी धार हिंदी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी का पटना शहर से भी था गहरा जुड़ाव लंबे समय तक पटना में बिताया अपना जीवन एसके नगर में मिलने आते थे बड़े साहित्यिक हस्ताक्षर

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    रामवृक्ष बेनीपुरी का पैतृक आवास। जागरण आर्काइव

    पटना [प्रभात रंजन]।  'पतितों के देश में', 'आम्रपाली', 'माटी की मूरतें' जैसे कालजयी साहित्यिक ग्रंथों की रचना करने वाले 'कलम के जादूगर' रामवृक्ष बेनीपुरी का हिंदी साहित्य में बड़ा योगदान रहा है। मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुरी गांव में 23 दिसंबर 1899 को जन्मे हिंदी की बहुमुखी प्रतिभा के संपन्न साहित्यकार बेनीपुरी का पटना शहर से भी गहरा जुड़ाव रहा था। यहां उन्होंने लंबा समय बिताया। पटना के एसके नगर में रहने के दौरान उनसे मिलने साहित्यिक क्षेत्र के बड़े हस्ताक्षर आया करते थे। शहर के वरिष्ठ रंगकर्मी रहे स्वर्गीय डॉ. चतुर्भुज के पुत्र डॉ. अशोक प्रियदर्शी के अनुसार, बेनीपुरी का हमारे पिता से भी गहरा संबंध रहा।

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    बेनीपुरी से मिलने के लिए पटना आते थे बड़े साहित्‍यकार

    पटना में रहने के दौरान उनके घर पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, प्रफुल्लचंद्र ओझा समेत महाकवि हरिवंश राय बच्चन जैसे बड़े रचनाकार भी मिलने आते थे। साहित्य को लेकर रातभर चर्चा होने के साथ विभिन्न गतिविधियों पर बातें होती थीं। जब भी हरिवंश राय बच्चन का पटना आना होता था, तब वे बेनीपुरी से मिलने उनके घर जाते थे। वहीं, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा से भी उनका आत्मीय लगाव रहा। महामाया बाबू के चुनाव प्रचार के दौरान बेनीपुरी की बड़ी बहू सुशीला बेनीपुरी ने बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया था।

    जेल में रहते हुए भी जारी रहा रचनाक्रम

    आजादी के आंदोलन के दौरान बेनीपुरी कई बार जेल भी गए। उन्होंने जेल में रहते हुए 'मंगल हरवाहा' और 'सरयुग भैया' जैसी रचनाएं कीं। विधान परिषद के सदस्य व पटना विवि के प्रोफेसर रहे डॉ. रामवचन राय बताते हैं, भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान हजारीबाग जेल से जयप्रकाश नारायण को फरार कराने में बेनीपुरी का अहम योगदान रहा था। बेनीपुरी ने दिवाली की रात जेल में सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए थे। मौके का लाभ उठाते हुए जेपी अपने साथियों के साथ जेल से फरार हो गए थे। उनके साथ बेनीपुरी की घनिष्ठता के बारे में डॉ. रामवचन राय बताते हैं, आपातकाल के दौरान पांच जून 1975 को पटना के गांधी मैदान में जब जनसैलाब उमड़ा था, तब जेपी ने मंच से बेनीपुरी को याद किया था।

    बारी पथ में बेनीपुरीजी ने गुजारा था काफी वक्‍त

    बेनीपुरी ने काफी समय तक पटना मेडिकल कॉलेज के डॉ. रहे डॉ. मधुसूदन दास के बारी पथ स्थित आवास में भी वक्त बिताया था। बेनीपुरी के जाने के बाद उस लॉज को बेनीपुरी लॉज नाम रखा गया। पटना के रमना रोड में बेनीपुरी का कार्यालय था, जहां से 'युवक' नामक पत्रिका निकालने के साथ उसका संपादन कार्य भी करते रहे। आंदोलन के दौरान 'युवक' पत्रिका का बड़ा असर हुआ था। डॉ. रामवचन राय की मानें तो बेनीपुरी की नाट्य रचना 'अंबपाली' उन दिनों काफी चर्चित हुई थी। पृथ्वीराज कपूर का जानकी बल्लभ शास्त्री से भी गहरा लगाव था। कपूर उन दिनों बेनीपुरी के नाटक का खूब मंचन करते थे। इसी कारण दोनों के बीच अच्छा संबंध हुआ।

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