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    बीमा लोकपाल : बिना किसी रुकावट के होगा बीमा क्लेम का निपटान, नहीं लगेगी फीस

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 02:47 PM (IST)

    बीमा लोकपाल बीमा कंपनियों और पॉलिसीधारकों के बीच विवादों को सुलझाने का एक मुफ्त और प्रभावी तरीका है। यह बिना किसी शुल्क के बीमा दावों का निपटान करता है। पॉलिसीधारक लिखित शिकायत दर्ज करके लोकपाल की सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। लोकपाल का निर्णय बीमा कंपनी के लिए बाध्यकारी होता है।

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    बीमा लोकपाल से बिना रुकावट के होगा क्लेम। फाइल फोटो

    नलिनी रंजन, पटना। इलाज या दुर्घटना के बाद जब बीमा कंपनी भुगतान में देर करे या क्लेम को खारिज कर दे, तब पीड़ित परिवार की सबसे बड़ी चिंता होती है, अब क्या करें? ऐसी ही स्थिति में अब “बीमा लोकपाल” लोगों के लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है। यह संस्थान न केवल शिकायतों की निःशुल्क सुनवाई करता है, बल्कि बीमा धारकों को उनकी हक की राशि दिलाने में भी मदद करता है।

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    बीमा लोकपाल, बीमा संबंधी विवादों के समाधान के लिए एक वैकल्पिक और निशुल्क मंच है। यदि किसी व्यक्ति ने स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना बीमा या जीवन बीमा कराया है और दावा करने के बावजूद बीमा कंपनी भुगतान से इंकार कर रही है या देरी कर रही है, तो वह सीधे बीमा लोकपाल से संपर्क कर सकता है।

    यहां 50 लाख रुपये तक के बीमा क्लेम के मामलों की सुनवाई की जाती है। बीमा लोकपाल में व्यक्तिगत बीमा, समूह बीमा, प्रोपराइटरशिप या सूक्ष्म उद्यमों से संबंधित बीमा पालिसियों की शिकायतें सुनी जाती हैं। यहां तक कि बीमा एजेंटों और बिचौलियों से जुड़ी शिकायतों की भी सुनवाई होती है।

    शिकायत दर्ज कराने में नहीं लगता कोई शुल्क

    बिहार-झारखंड क्षेत्र के लिए वर्तमान में बीमा लोकपाल का प्रभार बेंगलुरु स्थित लोकपाल नीरजा कपूर के पास है। वह समय-समय पर आनलाइन माध्यम से मामलों की सुनवाई कर उनका निपटारा कर रही हैं।

    बीमा लोकपाल कार्यालय पटना के बेली रोड स्थित ललित भवन की दूसरी मंजिल पर स्थित है। बीमा लोकपाल में शिकायत दर्ज कराने के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता और न ही किसी वकील या एजेंट की आवश्यकता होती है। शिकायतें आनलाइन (www.cioins.co.in), आफलाइन, रजिस्ट्री पत्र या व्यक्तिगत रूप से जमा की जा सकती हैं।

    आसान और उपभोक्ता हित में कानूनी प्रक्रिया

    लोकपाल नियमों के तहत मामलों का निपटारा “कान्ट्रैक्ट एक्ट” के प्रावधानों के अनुसार किया जाता है, जबकि “एविडेंस एक्ट” के नियम यहां लागू नहीं होते। यानी, यहां प्रक्रिया जटिल नहीं होती और उपभोक्ताओं को शीघ्र राहत मिलती है।

    बीमा लोकपाल का निर्णय सभी बीमा कंपनियों के लिए बाध्यकारी होता है, और यदि कोई पक्ष असंतुष्ट है, तो वह केवल संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय में रिट दायर कर सकता है।

    जब जरूरत के वक्त अटक जाता है क्लेम

    कई बार बीमा धारक इलाज के दौरान अस्पताल बिल भरने में असमर्थ होते हैं, पर बीमा कंपनी तकनीकी कारणों का हवाला देकर भुगतान रोक देती है। ऐसे में परिवार को मानसिक और आर्थिक दोनों तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

    ऐसे मामलों में बीमा लोकपाल आम लोगों के लिए उम्मीद की किरण बनकर सामने आता है, जो उन्हें न्याय और राहत दोनों दिलाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बीमा लोकपाल व्यवस्था का उद्देश्य उपभोक्ताओं को सरल, पारदर्शी और त्वरित न्याय दिलाना है ताकि कोई भी व्यक्ति अपने हक़ के पैसे से वंचित न रहे।