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    Bihar Government: नीतीश सरकार की बड़ी पहल, आर्द्रभूमियों का संरक्षण कर रहे 'वेटलैंड मित्र'

    Updated: Mon, 01 Sep 2025 06:52 PM (IST)

    बिहार सरकार ने जलवायु परिवर्तन के खतरे को देखते हुए आर्द्रभूमियों (वेटलैंड) के संरक्षण के लिए ‘वेटलैंड मित्र’ मुहीम शुरू की है। इस मुहीम के तहत आर्द्रभूमियों के आसपास रहने वाले लोगों की मदद से उनकी देखरेख की जा रही है। वेटलैंड मित्र प्रवासी पक्षियों के अवैध शिकार पर रोक लगाने और पर्यावरणीय पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद कर रहे हैं।

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    आर्द्रभूमियों का संरक्षण कर रहे 'वेटलैंड मित्र'

    डिजिटल डेस्क, पटना। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकट के दौर में आर्द्रभूमियों (वेटलैंड) का महत्व तेजी से बढ़ रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार बड़े पैमाने पर आर्द्रभूमियों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए ‘वेटलैंड मित्र’ मुहीम चलाई है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अंतर्गत इस मुहीम के तहत वेटलैंड यानी आर्द्रभूमियों के आसपास रहने वाले लोगों की मदद से उन आर्द्रभूमियों की देखरेख और संरक्षण किया जा रहा है।

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    इन मित्रों की जिम्मेदारी होती है कि वे वेटलैंड की पहचान करें, उनकी साफ-सफाई और रखरखाव सुनिश्चित करें। साथ ही, प्रवासी पक्षियों के अवैध शिकार पर रोक और पर्यावरणीय पर्यटन को बढ़ावा देने में भी यह पहल महत्वपूर्ण साबित हो रही है।

    वैसे जगह जैसे तालाब, झीलें, सिंचाई टैंक और ऐसे इलाके जहां पानी लंबे समय तक ठहरता है, वो वेटलैंड की श्रेणी में आते हैं। ये न केवल जल को शुद्ध करने और मिट्टी को नमी प्रदान करने का काम करते हैं, बल्कि बाढ़ नियंत्रण और जलवायु संतुलन में भी अहम भूमिका निभाते हैं। इन्हीं कारणों से राज्य सरकार ने आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए इस नई पहल की शुरूआत की है।

    वर्तमान में राज्य में 2.25 हेक्टेयर से बड़े क्षेत्रफल वाली कुल 4526 आर्द्रभूमियां हैं। इनमें से 4316 आर्द्रभूमियों का भू-सत्यापन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने कर लिया है। इसके साथ ही विशेषज्ञों ने 233 आर्द्रभूमि का ‘वेटलैंड हेल्थ कार्ड’ भी तैयार कर लिया है। इसमें पक्षियों और अन्य जलीय जीवों की संख्या, जल की गुणवत्ता और ऑक्सीजन स्तर जैसी महत्वपूर्ण जानकारी दर्ज है।

    भविष्य में यदि किसी आर्द्रभूमि के अस्तित्व पर खतरा आता है, तो हेल्थ कार्ड ऐसी भूमि के संरक्षण में सहायक साबित होगा। सरकार ने राज्य की हर आर्द्रभूमि तक पहुंचने के लिए एक ऐप भी लॉन्च किया है। ‘आर्द्रभूमि ऐप’ पर आम लोग अपने जिले की आर्द्रभूमि की फोटो और जगह की जानकारी अपलोड कर सकते हैं। विशेषज्ञों की टीम वहां जाएगी। जांच पड़ताल करके सत्यापन करेगी।

    क्यों जरूरी हैं वेटलैंड मित्र?

    स्थानीय स्तर पर जनभागीदारी सुनिश्चित होने से आर्द्रभूमियों की निगरानी और बहाली अधिक प्रभावी होगी। इसके साथ ही संरक्षण कार्यों की दीर्घकालिक स्थिरता और शासन व्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। वेटलैंड मित्र फीडबैक और सुझाव देकर प्रबंधन को और सशक्त बनाएंगे।

    कौन बन सकते हैं वेटलैंड मित्र?

    सरकार ने इस अभियान को समावेशी बनाने के लिए सभी वर्गों के लोगों को जोड़ा है। धार्मिक संस्थान, आश्रम, सरकारी विभाग, कॉरपोरेट हाउस, उद्योग-व्यवसायिक प्रतिष्ठान, स्कूल-कॉलेज, विश्वविद्यालय, गैर सरकारी संगठन, पंचायत राज संस्थाएं, नगर निकाय, स्वच्छता कार्यकर्ता, एनएसएस व एनसीसी जैसी युवा इकाइयां, आंगनवाड़ी और आशा सहयोगिनी, मछुआरे, नाविक और वेटलैंड से सटे गांव-शहरों के निवासी इसमें शामिल हो सकते हैं।

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