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    बिहार की खेल के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक पहल, 'महिला एथलीट स्वास्थ्य एवं कल्याण नीति' बनाने वाला देश का पहला राज्य

    Updated: Fri, 04 Jul 2025 10:36 PM (IST)

    बिहार महिला एथलीट स्वास्थ्य एवं कल्याण नीति-2025 के ड्राफ़्ट पर विशेषज्ञों ने चर्चा की। बिहार ऐसी नीति बनाने वाला पहला राज्य होगा। खेल विभाग ने महिला खिलाड़ियों की बढ़ती भागीदारी को देखते हुए यह कदम उठाया है। नीति में मासिक धर्म संबंधी समस्याओं पोषण की कमी और शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित किया गया है ताकि महिला खिलाड़ियों का प्रदर्शन बेहतर हो और वे मेडल जीत सकें।

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    बिहार महिला एथलीटों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए नई नीति

    डिजिटल डेस्क, पटना। पाटलिपुत्र खेल परिसर में आज बिहार सरकार द्वारा महिला खिलाडियों के विकास के लिए 'बिहार महिला एथलीट स्वास्थ्य एवं कल्याण नीति-2025' के ड्राफ़्ट पर देशभर से आए विशेषज्ञों द्वारा परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस तरह की नीति बनाने वाला बिहार देश का पहला राज्य होगा।

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    राज्य में महिला खिलाडियों की निरंतर बढ़ती भागीदारी और बेहतर प्रदर्शन द्वारा मेडल जीतने की वृद्धि को ध्यान में रखते हुए खेल विभाग, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण और सरकार द्वारा महिला खिलाड़ियों के लिए विशेष रूप से स्वास्थ्य और कल्याण नीति बनाने की आवश्यकता महसूस हुई।

    बिहार महिला एथलीट स्वास्थ्य एवं कल्याण नीति-2025 के ड्राफ़्ट पर हुई आज की परिचर्चा में बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रवीन्द्रण शंकरण, निदेशक रविंद्र नाथ चौधरी पूर्व निदेशक संजय कुमार सिन्हा, उप निदेशक हिमांशु सिंह की उपस्थिति में खेल और विभिन्न क्षेत्रों की महिला विशेषज्ञों और खिलाडियों में प्रमुख रूप से बिहार पुलिस अकादमी की निदेशिका आर मल्लार विज़्जी,ऑलंपियन तैराक माना पटेल ,आईआईएम बोधगया की निदेशिका डॉ.विनीता एस सहाय,प्रसिद्ध महिला उद्यमी और आईटी विशेषज्ञ ब्रांड रेडियेटर की प्रबंध निदेशक हिमानी मिश्रा,दानी स्पोर्ट्स फाउंडेशन के निदेशक और टॉप्स के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी कमोडोर राजेश राजगोपालन, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ.ऋतुराज ,राजगीर स्पोर्ट्स अकादमी के मुख्य सलाहकार ऑलंपियन गविन फरेरा,सिंपली स्पोर्ट्स फाउंडेशन की अदिति मुतालकर, खेल मनोवैज्ञानिक डॉ.प्रिया ,आईपीआरडी की कम्युनिकेशन एक्सपर्ट नूपुर झा, लीड स्पोर्ट्स न्यूट्रिशनिस्ट मिहिरा, एनआईएस पटियाला की खेल विज्ञान विशेषज्ञ डॉ.जाह्नवी दांडे,सहित 30 से ज्यादा विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी।

    खेल के क्षेत्र में बिहार के निरंतर आगे बढ़ने के पीछे खिलाडियों की मेहनत के साथ साथ राज्य में खेल और खिलाड़ियों के सर्वांगीण विकास की सरकार की प्रतिबद्धता का मह्त्वपूर्ण योगदान है।

    पिछले दशक में भारत के साथ ही बिहार ने जमीनी स्तर और अभिजात वर्ग दोनों स्तरों पर खेलों में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। उल्लेखनीय रूप से, 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों में, महिलाओं ने भारत के कुल पदकों में से 40प्रतिशत से अधिक का योगदान दिया। पेरिस 2024 ओलंपिक में पदक स्पर्धाओं में लैंगिक समानता का वादा करते हुए,भारत ने अपने अब तक के सबसे अधिक लिंग-संतुलित दल भेजे। वैश्विक मंचों पर इस बढ़ती उपस्थिति ने महिला एथलीटों को अच्छी पहचान दिलाई है और देश भर में लाखों युवा लड़कियों को प्रेरित किया है।

    इस प्रगति के बावजूद, वैश्विक स्तर पर और भारत में अधिकांश खेल प्रणालियां महिला एथलीटों की शारीरिक और मनोवैज्ञानिक ज़रूरतों के अनुरूप नहीं बनाई गई हैं। वैश्विक स्तर पर, 80प्रतिशत महिला एथलीट मासिक धर्म से संबंधित लक्षणों का अनुभव करती हैं जो प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं, फिर भी 10प्रतिशत से भी कम अपने कोच के साथ इस पर चर्चा करने में सहज महसूस करती हैं। भारत में, 82प्रतिशत महिलाओं ने बताया है कि मासिक धर्म उनके प्रशिक्षण और प्रदर्शन में बाधा डालता है।

    महिला खिलाडियों की खेल के दौरान मासिक धर्म संबंधी समस्याओं और इसके समाधानों , समुचित पोषण की कमी से होनेवाली समस्या तथा इसका निदान, शारीरिक और मानसिक रुप से खेल के लिए सक्षम बनाने के वैज्ञानिक उपायों पर विशेष ध्यान देते हुए इस नीति का ड्राफ़्ट तैयार किया गया है जिससे की राज्य में महिला खिलाडियों की भागीदारी और उनके प्रदर्शन में और सुधार हो सके तथा ज्यादा से ज्यादा महिला खिलाड़ी राज्य और देश के लिए विभिन्न खेलों में मेडल जीत सकें।

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