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    Bihar News: बिहार की सांस्कृतिक विरासत को मिला नया जीवन, मुख्यमंत्री गुरु-शिष्य परंपरा योजना हुई शुरू

    Updated: Sat, 19 Jul 2025 08:18 PM (IST)

    बिहार सरकार ने मुख्यमंत्री गुरु-शिष्य परंपरा योजना शुरू की है जिसका उद्देश्य राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना है। इस योजना के तहत दुर्लभ लोककलाओं संगीत विधाओं और चित्रकलाओं को पुनर्जीवित किया जाएगा। अनुभवी गुरुओं और युवा शिष्यों के बीच पारंपरिक गुरु-शिष्य पद्धति को अपनाया जाएगा। सरकार ने इस योजना के लिए 1.11 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है।

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    बिहार में लोककलाओं का पुनरुत्थान मुख्यमंत्री गुरु-शिष्य परंपरा योजना

    डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार की मिट्टी में रची-बसी अनगिनत लोककलाएं, दुर्लभ संगीत विधाएं, विलुप्तप्राय चित्रकला और शास्त्रीय परंपराएं अब नए सिरे से जीवंत होने जा रही हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में कला संस्कृति एवं युवा विभाग ने राज्य की सांस्कृतिक जड़ों को संरक्षित करने और युवा प्रतिभाओं को इस विरासत से जोड़ने के लिए एक अनूठी पहल मुख्यमंत्री गुरु-शिष्य परंपरा योजना की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य केवल कलाओं का संरक्षण ही नहीं, बल्कि कला प्रेमियों को एक सशक्त मंच प्रदान करना भी है।

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    वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए इस योजना के लिए 1.11 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है। इसके तहत दुर्लभ और लगभग विलुप्त हो चुकी लोकगाथाओं, लोकनाट्य, लोकनृत्य, लोकसंगीत, लोकवाद्ययंत्र, शास्त्रीय कलाओं और पारंपरिक चित्रकलाओं को फिर से जीवित करने का संकल्प लिया गया है। खास बात यह है कि इन सभी क्षेत्रों में दो वर्षों तक प्रशिक्षित करने के लिए अनुभवी गुरुओं और युवा शिष्यों के बीच पारंपरिक गुरु-शिष्य पद्धति को अपनाया जाएगा।

    नीतीश सरकार की यह योजना न सिर्फ सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का माध्यम बनेगी, बल्कि ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों की छुपी हुई प्रतिभाओं को आगे लाने का भी अवसर देगी। योजना के अंतर्गत चयनित 20 गुरु प्रत्येक को 15,000 रुपये प्रतिमाह, संगतकार को 7,500 रुपये और 160 शिष्यों को 3,000 रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जाएगी।

    कलकारों को किया जाएगा सम्मानित

    खास बात है कि प्रशिक्षण की समाप्ति पर भव्य दीक्षांत समारोह का आयोजन होगा, जिसमें प्रशिक्षु अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। यह योजना राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में संस्कृति के पुनर्जागरण की नींव रखेगी और आने वाली पीढ़ियों को अपनी सांस्कृतिक पहचान से जोड़ने का कार्य करेगी।

    कितने दिन प्रशिक्षण और क्या होंगे फायदे?

    इस योजना के अंतर्गत दो वर्षों तक चयनित कलाओं में नियमित प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को हर माह कम से कम 12 दिन अनिवार्य रूप से उपस्थित रहना होगा। योजना के तहत प्रत्येक गुरु को 15,000 प्रतिमाह, संगतकार को 7,500 प्रतिमाह और हर शिष्य को 3,000 प्रतिमाह की वित्तीय सहायता दी जाएगी। कुल 20 गुरुओं, 20 संगतकारों और 160 शिष्यों का चयन किया जाएगा, जिन्हें दो वर्षों तक यह प्रोत्साहन राशि प्राप्त होगी। यह सहायता सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जाएगी।

    इस योजना से कलाकारों को कई प्रकार के लाभ होंगे। सबसे पहला लाभ यह है कि वरिष्ठ कलाकारों को उनके ज्ञान के बदले सम्मानजनक आय प्राप्त होगी, जिससे उनका जीवन यापन सहज होगा। साथ ही इससे पारंपरिक कलाओं का संरक्षण तो होगा ही ।

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